सरकार की पाबंदी के बावजूद ब्रिटेन में प्रखर राष्ट्रवादी गुटों को प्राप्त समर्थन में बढोतरी

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरलंदन – ब्रिटेन की सरकार ने वर्ष २०१६ में लगाई पाबंदी के बावजूद देश में आक्रामक राष्ट्रवादी गुटों के (नव नाजी) प्रभाव में बढोतरी होने की जानकारी सामने आयी है| ब्रिटीश सरकार ने दिसंबर २०१६ में ‘नैशनल एक्शन’ इस आक्रामक दक्षिणी विचारधारा के गुट को आतंकी करार देकर इस गुट पर पाबंदी लगाई थी| लेकिन, इसके बावजूद इस गुट के सदस्यों ने अन्य नाम से गुट का गठन करके अपना काम जारी रखा और ऐसे में उन्हें बढती मात्रा में समर्थन भी प्राप्त होने की बात स्पष्ट हुई है|

‘ब्रिटीश नैशनल पार्टी’ इस सियासी दल से बाहर निकले युवकों ने वर्ष २०१३ में ‘नैशनल एक्शन युके’ इस गुट का गठन किया था| इसके पीछे टॉमी जॉन्सन, बेंजामिन रेमंड, टॉम इन जैसे युवकों का समावेश होने की बात समझी जा रही है| ‘क्रांतिकारी राष्ट्रवादी गुट’ यह पहचान करा रहे इस गुट ने शरणार्थियों के विरोध में अपनाई आक्रामक भूमिका, जर्मन तानाशाह एडॉल्फ हिटलर की ‘नाजी’ विचारधारा का किया पुरस्कार एवं ब्रिटेन में सांसदों को दी धमकीयां चर्चा का विषय साबित हुई है|

सोशल मीडिया पर द्वेष से भरे पोस्टर्स, शरणार्थियों के विरोध में किए प्रदर्शन, ‘व्हाईट जिहाद’ संबंधी रखी भूमिका और ब्रिटीश सांसद के हत्यारे को समर्थन देने से ब्रिटेन की सरकार ने इस गुट पर पाबंदी लगाई थी| पाबंदी के बाद ‘नैशनल एक्शन युके’ के कई नेताओं को एवं सदस्यों को गिरफ्तार करके उनके विरोध में मामले दर्ज किए गए थे| इस वजह से इस गुट की गतिविधियां रोकने में कामयाबी मिलने के संकेत प्राप्त हुए थे|

लेकिन, ब्रिटीश प्रसार माध्यमों ने प्रसिद्ध किए एक वृत्त में ‘नैशनल एक्शन युके’ पर लगाई पाबंदी नाकामयाब साबित होने का दावा किया गया है| इस गुट के सदस्यों ने अलग अलग गुट स्थापित करके ‘नैशनल एक्शन युके’ का काम आगे जारी रखने की बात सामने आ रही है| इन गुटों में ‘स्कॉटिश डॉन’, ‘एनएस १३१’ एवं ‘सिस्टिम रेझिस्टन्स नेटवर्क’ इन नामों के गुटों का समावेश है| इनमें से ‘स्कॉटिश डॉन’ और ‘एनएस १३१’ यह गुट ‘नैशनल एक्शन युके’ का ही हिस्सा होने की बात सरकार ने स्वीकारी है| इन गुटों पर पाबंदी लगाने के संकेत भी सूत्रों ने दिए है|

ब्रिटेन में पिछले कुछ वर्षों में शरणार्थी एवं आप्रवासियों की संख्या में बडी तादाद में बढोतरी हुई है| ऐसे में जनसंख्या में गौरवर्णियों की मात्रा कम होने की बात कही जा रही है| ब्रिटेन के कुछ हिस्सों में इस पर कडी प्रतिक्रिया प्राप्त हो रही है और ‘नैशनल एक्शन युके’ और उसके बाद गठित गुटों को प्राप्त हो रहा समर्थन?इसी का हिस्सा समझा जा रहा है| इसी दौरान पाबंदी की कार्रवाई होने के बावजूद इन गुटों की गतिविधियां जारी रहना ब्रिटीश सरकार की नाकामयाबी होने की आलोचना विश्‍लेषक कर रहे है|

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