पश्चिमियों के प्रतिबंधों के बावजूद रशिया की ईंधन निर्यात में भारी इजाफा – अमरिकी वेबसाईट का दावा

वॉशिंग्टन/मास्को – पिछले वर्ष शुरू हुए रशिया-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि पर पश्चिमियों ने लगाए प्रतिबंधों के बावजूद रशिया अपना ईंधन कारोबार बरकरार रखने में कामयाब होने की बात स्पष्ट हुई है। अगस्त के आखिरी हफ्ते में रशिया के कच्चे तेल की निर्यात प्रति दिन ३४ लाख बैरल्स तक जा पहुंचने की जानकारी अमरिकी वेबसाइट ‘ब्लूमबर्ग’ ने प्रदान की है। यह पिछले दो महीनों का रिकार्ड स्तर होने की बात कही जा रही है। रशिया ने कच्चे तेल के उत्पादन और निर्यात में की हुई कटौती एवं बढ़ते दरों की पृष्ठभूमि पर सामने आएं नए आंकड़े ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। 

निर्यातरशिया-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद रशिया पर दबाव बनाने के लिए पश्चिमी देशों ने भारी मात्रा में प्रतिबंध लगाए थे। इसमें रशियन अर्थव्यवस्था में अहम योगदान दे रहे ईंधन क्षेत्र का भी समावेश था। ईंधन क्षेत्र पर प्रतिबंध लगाने पर रशियन अर्थव्यवस्था टूट जाएगी और रशिया तार तार हो जाएगी, ऐसे अनुमान पश्चिमी नेते और अधिकारियों ने व्यक्त किए थे। लेकिन, वास्तव में रशिया इनके प्रतिबंध निरस्त करने में कामयाब होती दिखाई दे रही हैं। रशिया को ईंधन क्षेत्र से प्राप्त हो रही आय कुछ मात्रा में कम हुई है, फिर भी इसे नुकसान पहुँचाकर रशिया का युद्ध खर्च कम करने में पश्चिमी देश नाकाम हुए दिख रहे हैं।  

अमरिकी वेबसाईटपश्चिमियों के प्रतिबंधों के जवाब में रशिया ने कच्चे तेल की निर्यात की मात्रा प्रति दिन आठ लाख बैरल्स कम करने का ऐलान किया है। साथ ही ‘ओपेक प्लस’ गुट के सदस्य देशों के सहयोग से कच्चे तेल का उत्पादन भी कम कर दिया है। उत्पादन एवं निर्यात दोनों में हुई गिरावट और पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बावजूद रशिया ने कच्चे तेल की निर्यात में बढ़ोतरी करना अहमियत रखता है। यूरोप, अमरीका और जापान यह देश रशिया के ईंधन के प्रमुख आयातक थे। लेकिन, प्रतिबंध लगने के बाद रशिया ने एशियाई एवं लैटिन अमरिकी देशों को हो रही ईंधन निर्यात की मात्रा बढ़ाई दिखाई पड़ी है। इनमें चीन, भारत, आग्नेय एशियाई और खाड़ी देश एवं मेक्सिको जैसे देशों का समावेश हैं।

इसी बीच पिछले वर्ष के दिसंबर महीने में ‘जी ७’ और मित्र देशों ने रशियन ईंधन पर ‘प्राईस कैप’ लगाने का निर्णय किया था। इसके अनुसार, रशियन कच्चे तेल की कीमत अधिकतम ६० डॉलर प्रति बैरल निर्धारित की थी। इसकी कीमत की हर दो महीने बाद समीक्षा करना भी तय हुआ था। लेकिन, मार्च महीने के बाद ‘प्राईस कैप’ की समीक्षा करने के लिए कोई भी बैठक नहीं हुई है। साथ ही दूसरी ओर रशियन ईंधन की कीमत प्रति बैरल ६० डॉलर का स्तर पार गई है। अगस्त महीने के आखिरी दिनों में ‘रशियन उरल्स’ की कीमत प्रति बैरल ७४ डॉलर दर्ज़ होती दिखाई पड़ी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.