हेन्रीक हर्टझ् – (१८५७-१८८४)

द्वितीय महायुद्ध में रडार का शोध हुआ और इसी कारण शत्रु के विमानों से अपनी सुरक्षा करने का मार्ग उपलब्ध हुआ। शत्रु के आक्रमक विमान रडार की सहायता से तुरंत ही खदेड़ दिए जा सकते थे, इससे बादलों की जानकारी भी पूर्व ही प्राप्त की जा सकती हैं। रडार का उपयोग जहाजों एवं विमानों के लिए काफी लाभदायक सिद्ध होता है। विमान जमीन से कितनी ऊँचाई पर है, कोई पर्वत कितना भी ऊँचा क्यों न हो, इसका ज्ञान भी रडार के कारण प्राप्त करना आसान था। रडार की खोज सही मायने में १९४० में हो चुकी थी परन्तु इससे संबंधित प्राथमिक संशोधन यह हेन्रीक हर्टझ् ने काफी पहले ही कर रखा था। हर्टझ् ने डायपोल की खोज करके दूरदर्शन के प्रक्षेपण एवं ग्रहण करने की क्षमतावाले अँटिना का कार्य क्षेत्र तैयार कर रखा था।

हेन्रीक हर्टझ्

२२ फरवरी १८५७ के दिन हँबुर्ग (जर्मनी) में एक प्रतिष्ठित एवं सधन परिवार में हेन्रीक हर्टझ् का जन्म हुआ। बर्लिन विश्‍वविद्यालय में फॉन हेल्मॉटस नामक इस नामचीन संशोधक के मार्गदर्शन में सिखने का सुअवसर उन्हें प्राप्त हुआ। हेल्मॉटझ ने हर्टझ् के गुणों को पहचानकर १८८० में शास्त्रीय मदद के तौर पर उन्हें अपने पास रख लिया। १९९३ में हर्टझ् कील में प्राध्यापक के तौर पर गए उन्होंने मॅक्सवेल के विद्युत् चुंबकीय सिद्धांत का अभ्यास शुरु कर दिया। मॅक्सवेल के अनुसार प्रयोग के द्वारा उसे कैसे सिद्ध किया जा सकता है यह देखने के लिए हर्टझ् ने अपने प्रयोग शुरु कर दिए और उस प्रयोग में उन्होंने प्रथम रेडियो प्रक्षेपक एवं रेडियो ग्राहक बनाया और इस प्रयोग के माध्यम से ही आगे चलकर दूरदर्शन एवं रडार इनके आविष्कार की नींव ड़ाली गई।

इस प्रयोग के अन्तर्गत विद्युत चुंबकीय तरंगों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए बिलकुल थोड़ा ही क्यों ना हो पर एक विशेष समय तो लगता ही है। यह सिद्ध करने की कोशिश उन्होंने की। यह समय इतना अल्प होता है कि उसकी गणना करना भी कठिन था। वैसें ही विद्युत चुंबकीय तरंगों को ग्रहण कर उनका अन्वेषण करने इतनी सूक्ष्म से सूक्ष्म यंत्रसामग्री उस समय उपलब्ध नहीं थी। विद्युतवाहक के विसर्जन से प्रति सेकंड २ करोड से २० करोड की दोलने रफ्तार उसकी होती हैं ऐसा हर्टझ् को पता चला। इलेक्ट्रॉनिक्स की भाषा में यदि कहा जाए तो ये रफ्तार प्रति सेकंड में १०० मेगासायकल्स से १००० मेगासायकल्स इतने होते हैं। इसी लिए हम ऐसा भी कह सकते हैं कि उस समय किए गए हर्टझ् के प्रयोग ये आज के रडार अथवा मायक्रोव्हेज् के प्रांत के थे। रेडियों तरंगों में एक विशिष्ट वेग होता है यह मात्र तब तक हर्टझ् के लिए सिद्ध करना मुमकीन नहीं था।

प्रक्षेपित किए गए रेडियों तरंग की प्रतिसेकंड होनेवाली कंपन संख्या उन्हें ज्ञात थी। इसी कारण यह कंपनसंख्या गुणात्मक एवं तरंग की लंबाई के साथ रेडियो तरंग की गति इस प्रकार के सूत्रों का उपयोग कर उन्होंने उसी के आधार पर उसकी गति की गणना की। यह गति प्रकाश के गति के समान अर्थात प्रति सेकंड ३००,०००,०००(तीन अरब) मीटर इतनी दिखाई दी।

इसके पश्‍चात् हर्टझ् ने प्रक्षेपक को एक अन्तर्गोल परावर्तक लगाकर उसकी सहायता से विद्युत चुंबकीय तरंग प्रकाश तरंग के समान ही परिवर्तित करके केन्द्रित की जा सकती है यह सिद्ध कर दिखलाया। साथ ही विद्युत् चुंबकीय तरंगों का दिशानिदर्शन किया जा सकता है। यह भी उन्होंने सिद्ध किया। दूरदर्शन के विद्युत् चुंबकीय तरंगों को ग्रहण करने के लिए जिस अँटिना का उपयोग किया जाता है, उसके बाहू आड़े रहते हैं, वे यदि सीधे रहेंगे तो उनका कार्य भली-भाँति नहीं चल पायेगा। आसान शब्दों में यदि कहें तो प्रकाश के तरंगों के सभी गुण विद्युत् चुंबकीय तरंगों में होते ही हैं यह हर्टझ् ने सिध्द कर दिखलाया।

हर्टझ् की कुशाग्र बुद्धि एवं प्रायोगिक कौशल्य से मॅक्सवेल के सिद्धांत का विजय दिखाई देता है। प्रति सेकंड में होनेवाले आवर्तनों को ‘हर्टझ्’ का नाम देकर एक परिमाण का उपयोग करके शास्त्रज्ञों ने हर्टझ् को गौरावान्वित किया। जर्मनी के बाहर इसका कुछ अधिक उपयोग नहीं किया गया।

उम्र के बिलकुल ३७ वे वर्ष में ही १८९४ साल में हर्टझ् की असमय ही मृत्यु हो गई। यदि ये संशोधक दीर्घायुषी हुए होते तो उन्होंने अनेकों अद्भुत शोध किए होते। हिटलर के उत्पात से त्रस्त होकर उनकी पत्नी एवं बेटी लंडन में स्थायी हो गए। उनका भतीजा गुस्ताव हर्टझ् नोबेल पुरस्कर का विजेता साबित हुआ और इस गुस्ताव हर्टझ् के बेटे कार्ल हर्टझ् ने मेडिकल अल्ट्रासोनोग्राफी की खोज़ की। हर्टझ् लहरों के प्रति लक्षणीय संशोधन करनेवाले संशोधक को हेन्री का हर्टझ् मेमोरीयल अ‍ॅवार्ड दिया जाता है। हँबुर्ग (जर्मनी) के रेडियो टेलिकम्युनिकेशन टॉवर को उस शहर के सम्मानीय सुपुत्र हेन्री के नाम से ही जाना-पहचाना जाता है। चाँद पर होनेवाले एक विवर (crater) को हर्टझ् का नाम दिया गया है।

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