‘ग्लोबल रिसेट’ की वजह से भारत में प्रचंड़ मात्रा में अवसर उपलब्ध होंगे – अंतरराष्ट्रीय निवेषक एवं उद्योग क्षेत्र को भारत के वित्तमंत्री का संदेश

न्यूयॉर्क – कोरोना की महामारी, बिजली की किल्लत एवं अन्य गंभीर समस्याओं की वजह से विश्‍व की फैक्टरी माने जा रहे चीन में उत्पादन की गति धीमी हुई है। इससे उत्पाद एवं कच्चे सामान के लिए चीन पर निर्भर देशों को ‘ग्लोबल रीसेट’ अर्थात चीन का विकल्प बने वैश्‍विक उत्पादन के नए केंद्र का निर्माण करने की आवश्‍यकता महसूस हो रही है। भारत चीन के उत्पादन क्षेत्र के लिए बड़ा विकल्प साबित होगा, यह विश्‍वास अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यक्त हो रहा है। अमरीका के दौरे पर पहुँचीं भारत की केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन ने इस बात का दाखिला दिया। ‘ग्लोबल सप्लाई चेन रीसेट’ और निर्णयक्षम नेतृत्व की वजह से अंतरराष्ट्रीय निवेशक एवं उद्योग क्षेत्र के लिए भारत में काफी मात्रा में अवसर उपलब्ध हैं, ऐसा बयान अर्थमंत्री सीतारामन ने किया हैं।

‘ग्लोबल रिसेट’‘फेडरेशन ऑफ इंडियन चेंबर्स ऑफ कॉमर्स ॲण्ड इंडस्ट्री’ (फिक्की) और ‘यूएस-इंडिया स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप फोरम’ ने अमरीका में आयोजित किए समारोह में अर्थमंत्री सीतारामन बोल रही थी। अंतरराष्ट्रीय निवेशक एवं उद्योग क्षेत्र के लोग इस समारोह में शामिल हुए थे। भारत के आर्थिक सुधारों को प्राप्त हो रही सफलता और इससे तेज़ गति से बदल रही स्थिति की जानकारी वित्तमंत्री सीतारामन ने इस दौरान साझा की। भारत ने तकनीक काइस्तेमाल करके बैंक एवं उद्योग कारोबार में आम जनता का योगदान बढ़ाया हैं और इससे आर्थिक समावेशकता बढ़ रही हैं, इस ओर भी वित्तमंत्री सीतारामन ने ध्यान आकर्षित किया।

इससे भारत में बड़ी संख्या में ‘स्टार्टअप’ शुरू हुए हैं और इसके लिए आवश्‍यक निवेश पूँजी बाज़ार से भी उपलब्ध किया जा रहा है। मौजूदा वर्ष के दौरान देश के १६ ‘स्टार्टअप्स’ १०० करोड़ डॉलर्स का कारोबर करने की उपलब्धी पर ‘युनिकॉर्न’ का बहुमान प्राप्त करेंगे, ऐसा कहकर सीतारामन ने भारत की आर्थिक छलांग का अहसास अमरिकी निवेशक एवं उद्योग क्षेत्र को कराया। मौजूदा चुनौतियों से भरे दौर में सभी देशों की अर्थव्यवस्था कठिन स्थिति में होने के दौरान भी भारत डिजिटाइज़ेशन को गति प्रदान करके अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहा है, ऐसा वित्तमंत्री सीतारामन ने कहा।

इस समारोह के दौरान वित्तमंत्री सीतारामन ने ‘ग्लोबल सप्लाई चेन रीसेट’ यानी वैश्‍विक सप्लाई चेन की पुनर्रचना को लेकर किए बयान ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। वैश्‍विक उत्पादन और कच्चे सामान की सप्लाई का केंद्र चीन के सामने खड़े संकटों में बड़ा इज़ाफा हुआ है। अब भी चीन में कोरोना की महामारी खत्म नहीं हुई है। साथ ही इस देश को कोयले की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है और इसका असर बिजली के निर्माण पर हुआ है। इससे चीन के कारखानों का उत्पादन प्रभावित हुआ है। इसी वजह से चीन द्वारा पूरे विश्‍व को उत्पादन एवं कच्चे सामान की सप्लाई कम हुई है। इससे औद्योगिक क्षेत्र के प्रगत देशों को नुकसान पहुँच रहा है।

अगले दिनों में उत्पादन के लिए चीन पर निर्भर रहना मुमकिन नहीं होगा, इसका अहसास होने पर विकसित देशों ने और बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने अब चीन के लिए विकल्प खोज़ने की तैयारी की है। भारत ही चीन के लिए समर्थ विकल्प साबित होता है, ऐसा निष्कर्ष जापान एवं ऑस्ट्रेलिया के नेता दर्ज़ कर रहे हैं। इसी वजह से चीन से निकल रही बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ भारत में प्रवेश करने की तैयारी कर रही हैं। भारत का बड़ा बाज़ार, कुशल कर्मी, लोकतांत्रिक व्यवस्था, आर्थिक एवं राजनीतिक स्थिरता जैसे सभी मुद्दे अंतरराष्ट्रीय निवेशक एवं उद्योग क्षेत्र को आकर्षित कर रहे हैं। इसी बीच भारत ने आर्थिक सुधार करने का व्यापक कार्यक्रम अपनाया है। इसका असर दिखाई देने लगा है और भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी बढ़ रहा है।

निकट भविष्य में भारत की अर्थव्यवस्था को इसका बड़ा लाभ होगा और भारत को वैश्‍विक सप्लाई चेन में अहम स्थान मिला तो देश में रोज़गार को बड़ी गति मिलेगी। इसके अलावा भारत को नवीनतम तकनीक आसानी से प्राप्त होगी। ऐसे में भारतीय अर्थव्यवस्था कुछ ही वर्षों में विकसित देशों के मुकाबले में जोरदार आर्थिक कारनामा करके दिखा सकती है। वित्तमंत्री सीतारामन के बयान से यही संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.