फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष मॅक्रॉन भारत भेंट पर

नई दिल्ली : शुक्रवार से फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमॅन्युअल मॅक्रॉन का भारत दौरा शुरू हो रहा है। आने वाले समय में फ्रान्स का भारत यह निकटतम सहयोगी देश एवं व्यापारी साझेदार बनेगा, ऐसा विश्वास व्यक्त करके राष्ट्राध्यक्ष मॅक्रॉन ने अपने दौरे का महत्व रेखांकित किया है। इस भेंट में फ्रान्स के साथ रफायल लड़ाकू विमानों का करार विकसित होगा, ऐसा विश्वास व्यक्त किया जा रहा है। तथा आजतक भारत को सबसे अधिक शस्त्रास्त्र प्रदान करनेवाले रशिया को पीछे करते हुए यह स्थान प्राप्त करने के लिए फ्रान्स उत्सुक होने के संकेत, राष्ट्राध्यक्ष मॅक्रॉन ने अपने दौरे से पहले दिए हैं।

यूरोपीय महासंघ में फिलहाल बड़ी तादाद में उथल-पुथल शुरू होकर यूरोपीय महासंघ से ब्रिटेन पूर्णरुप से बाहर होगा या फिर से महासंघ में रहेगा, यह स्पष्ट नहीं हुआ है। ऐसी परिस्थिति में महासंघ के अन्य प्रमुख सदस्य देश अपनी आर्थिक हित संबंधों को अधिक जिम्मेदारी से देखने लगे हैं। फ्रान्स ने भी इसकी जोरदार तैयारी की है और भारत के साथ संबंध दृढ़ करने के लिए फ्रेंच राष्ट्राध्यक्ष का यह दौरा अत्यंत महत्वपूर्ण होने वाला है। इससे पहले भी भारत ने फ्रान्स से ३६ रफायल लड़ाकू विमान की खरीदारी का निर्णय लिया था। तथा भारतीय नौदल के लिए स्कॉर्पीन पनडुब्बियां के निर्माण के लिए फ्रान्स एवं अन्य सहायता प्रदान कर रहा है। दोनों देशों का सहयोग ऊंचाई पर ले जाने के लिए फ्रान्स विशेष उत्सुकता दिख रहा है।

अबतक भारत को सबसे अधिक तादाद में रक्षा साहित्य प्रदान करने वाले देशों में रशिया अव्वल स्थान पर है। यह स्थान प्राप्त करने के लिए फ्रान्स प्रयत्न कर रहा है और आनेवाले समय में फ्रान्स के लिए अधिक तीव्रता से प्रयत्न करेगा, ऐसे संकेत राष्ट्राध्यक्ष मॅक्रॉन अपने दौरे के पहले ही दिए हैं। साथ ही भारत के साथ फ्रान्स के व्यापारी सहयोग अधिक दृढ़ एवं व्यापक करने के लिए फ्रान्स गतिमान रूप से कदम उठा रहा है, ऐसी बात राष्ट्राध्यक्ष मॅक्रॉन ने कही है। अबतक ब्रिटेन यह भारत का यूरोप में महत्वपूर्ण साझेदार देश था। पर आने वाले समय में भारत आधुनिक समय में यूरोप का महत्वपूर्ण व्यापारी सहयोगी होगा, ऐसा फ्रान्स राष्ट्राध्यक्ष ने स्पष्ट किया है।

राष्ट्राध्यक्ष मॅक्रॉन इनके भेंट में द्विपक्षीय सहयोग एवं व्यापारिक संबंधों के साथ सामाजिक स्तर पर भी महत्वपूर्ण चर्चा एवं निर्णय अपेक्षित है। हिंद महासागर क्षेत्र से वह पैसेफिक महासागर क्षेत्र तक अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए प्रयत्नशील चीन को रोकने के लिए फ्रान्स के लिए भी महत्वपूर्ण होगा। चीन के विस्तार वादी एवं आक्रामक व्यापारी धारणा से फ्रान्स के अफ्रीका के हिट संबंध को खतरा है। इस पृष्ठभूमि पर भारत एवं फ्रान्स सहयोग का महत्व अधिक बढ़ने के बाद दिखाई दे रही है।

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