भारत फ्रान्स में १४ करार संपन्न

नई दिल्ली: भारत और फ्रान्स के रक्षादलों को एक दूसरों के लष्करी तल का उपयोग का मार्ग खुला है। इस संदर्भ में दोनों देशों में महत्वपूर्ण करार संपन्न हुए हैं। इंडो पॅसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते चुनौतियों की पृष्ठभूमि पर दोनों देशों में हुए इस करार का महत्व बढ़ा है। इससे पहले भारत और अमरिका में भी ऐसा ही करार हुआ है।

भारत भेंट पर आए हुए फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमॅन्युल मॅक्रॉन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में शनिवार को द्विपक्षीय चर्चा संपन्न हुई है। इसके बाद परमाणु ऊर्जा, रक्षा एवं अंतरिक्ष क्षेत्र के साथ दोनों देशों में १४ करार संपन्न हुए हैं। इनमें एक दूसरों की रक्षा तल को ‘लॉजिस्टिक सपोर्ट’ देने के महत्वपूर्ण करार का समावेश है। यह करार मतलब दोनों देशों में रक्षा सहयोग के इतिहास का सुनहरा कदम होने की बात प्रधानमंत्री ने उस समय कही है।

शनिवार को मॅक्रॉन ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री मोदी और विदेशमंत्री सुषमा स्वराज के साथ महत्वपूर्ण नेताओं की बैठक हुई है। भारत के प्रधानमंत्री और मॅक्रॉन के भेंट में जागतिक एवं क्षेत्रीय ऐसे विविध विषयों पर द्विपक्षीय चर्चा संपन्न हुई है। समुद्री मार्ग यह शक्ति प्रदर्शन की जगह नहीं है, ऐसे शब्दों में दोनों नेताओं ने अपने संयुक्त निवेदन में चीन को स्पष्ट संदेश दिया है।

तथा इंडो पॅसिफिक क्षेत्र में सहयोग अधिक सक्षम करने के साथ आतंकवाद विरोधी सहयोग बढ़ाने का निर्णय प्रधानमंत्री मोदी एवं राष्ट्राध्यक्ष मॅक्रॉन ने घोषित किया है। दोनों देशों ने लिया यह निर्णय क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण होगा, ऐसा भारत के प्रधानमंत्री ने उस समय कहा है।

भारत और फ्रान्स में व्यूहरचनात्मक सहयोग को २० वर्ष हुए हैं पर दोनों देशों में सांस्कृतिक सहयोग सैकड़ों वर्ष पुराने हैं। दोनों देशों को समृद्धि और सामर्थ्य विरासत में मिला है। जल, स्थल और आकाश ऐसेकोई भी क्षेत्र में नहीं,  जहॉ भारत और फ्रान्स में सहयोग नहीं है। फ्रान्स भारत का सबसे भरोसेमंद सहयोगी है, ऐसे शब्दों में प्रधानमंत्री ने भारत फ्रान्स संबंधों का महत्व रेखांकित किया है।

उस समय फ्रान्स की सहायता से भारत निर्माण कर रहे स्कॉर्पीन पनडुब्बियां और रफायल विमानों के संदर्भ में भी चर्चा होने का वृत्त है। जैतापुर में ९९०० मेगावाट परमाणु ऊर्जा प्रकल्प के संदर्भ में करार, गोपनीय जानकारी का आदान-प्रदान, नशीले पदार्थों की तस्करी रोकने के संदर्भ में सहयोगी करार भी उस समय संपन्न हुए हैं। तथा शिक्षा, पर्यावरण, शहर विकास और रेलवे विकास के संदर्भ में भी समझौते करार पर उस समय हस्ताक्षर किए गए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.