४६ हजार करोड़ रूपए की रक्षा सामग्री की खरीदारी का निर्णय – १११ हेलिकॉप्टर्स, १५० तोपों की खरीदारी के प्रस्तावों को रक्षा मंत्रालय की मंजूरी

नई दिल्ली: भारतीय नौसेना के लिए १११ हेलिकॉप्टर्स के साथ साथ रक्षा मंत्रालय ने कुल ४६ हजार करोड़ रुपयों की खरीदारी को मंजूरी दी है। ‘डिफेन्स एक्विझिशन कौंसिल’ (डीएसी) की बैठक में यह निर्णय लिया गया है। २१ हजार करोड़ रुपयों के हेलिकॉप्टर्स की खरीदारी को मंजूरी देते समय रक्षा मंत्रालय ने अन्य २५ करोड़ रुपये के रक्षा प्रस्तावों को भी हरी झंडी दिखाई है। इसमें नौसेना के लिए २४ बहुद्देशीय हेलिकॉप्टर्स और लष्कर के लिए भारतीय बनावट की १५० तोपों की खरीदारी करने का प्रस्ताव है।

शनिवार को रक्षा मंत्री की अध्यक्षता में ‘डीएसी’ की बैठक पूरी हुई। इस बैठक में ४६ हजार करोड़ रुपयों की रक्षा सामग्री की खरीदारी के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। इसमें नौसेना के लिए १११ हेलिकॉप्टर्स की खरीदारी का समावेश है। नौसेना के पास वाले फ्रेंच बनावट के चेतक हेलिकॉप्टर्स कालबाह्य हुए हैं। इसकी जगह नए हेलिकॉप्टर लेंगे।

४६ हजार करोड़ रूपए, रक्षा सामग्री, खरीदारी, निर्णय, १११ हेलिकॉप्टर्स, १५० तोपों, प्रस्तावों, रक्षा मंत्रालय, मंजूरीपिछले महीने में ‘डीएसी’ की बैठक में इन हेलिकॉप्टर्स की खरीदारी के लिए मार्गदर्शक तत्वों को मान्यता दी गई थी। इसके अनुसार ‘मेक इन इंडिया’ अंतर्गत देश में रक्षा सामग्री के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए भारतीय कंपनियों के साथ भागीदारी करने की शर्त भी रखी गई। इसके अलावा समय पर इन हेलिकॉप्टर्स की आपूर्ति करने का आश्वासन देने वाली कंपनियों को ही प्राधान्य दिया जाने वाला है।

पिछले साल मई महीने में केंद्र सरकार ने देश में रक्षा सामग्री के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप (एसपी) इस नीति को मंजूरी दी थी। इस नीति के अनुसार विदेशी कंपनियां रक्षा क्षेत्र की निजी भारतीय कंपनियों के साथ भी भागीदारी कर सकते हैं। लड़ाकू विमान, हेलिकॉप्टर्स, पनडुब्बियां और लष्करी गाड़ियाँ और टैंकों के लिए भी इस तरह भागीदारी हो सकती है। इसके पहले रक्षा क्षेत्र की विदेशी कंपनियों को संवेदनशील रक्षा सामग्री की आपूर्ति करने के लिए निजी कंपनियों के साथ सहकार्य करने का प्रावधान नहीं था। नौसेना के लिए १११ हेलिकॉप्टर्स की खरीदारी यह इस नीति के अंतर्गत होने वाला पहला रक्षा व्यवहार साबित हो सकता है।

इसके पहले अमरिका, यूरोप और रशियन कंपनियों ने भारत को हेलिकॉप्टर्स की आपूर्ति करने के लिए उत्सुकता दिखाई थी। सन २०११ को नौसेना ने पहली बार १११ यूटिलिटी हेलिकॉप्टर्स और १२३ बहुउद्देशीय हेलिकॉप्टर्स की खरिदारी के लिए वैश्विक स्तर से रिक्वेस्ट फॉर इनफोर्मेशन (आरएफआई) मंगवाई थी।

सन २०१३ को वापस ‘आरएफआई’ मंगाए गए। लेकिन इन हेलिकॉप्टर्स की खरीदारी स्थगित हो गई थी। पिछले वर्ष स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप की नीति मंजूर होने के बाद इस हेलिकॉप्टर्स की खरीदारी की प्रक्रिया को फिरसे गति मिल गई है।

‘डीएसी’ की बैठक में २४ ‘नेवल मल्टीरोल हेलिकॉप्टर्स (एनएमआरएच) की खरीदारी को भी मंजूरी दी गई। पनडुब्बी विरोधी युद्ध में इस्तेमाल किए जा सकेंगे, ऐसी क्षमता वाले हेलिकॉप्टर्स की खरीदारी की सरकार की कोशिश है।

साथ ही भारतीय नौसेना के विमान वाहक युद्धपोत, विध्वंसक और जहाजों पर भी तैनात किए जा सकेंगे, ऐसे हेलिकॉप्टर्स की खरीदारी इसके अंतर्गत होने वाली है।

इसके अलवा डीएसी ने १५५ एमएम की भारतीय बनावट की १५० अतिप्रगत तोपों की खरीदारी को भी मंजूरी दी है। यह खरीदारी का व्यवहार ३,३६४ करोड़ रुपयों का होगा। भारतीय बनावट की तोपों के लिए किया गया यह पहला बड़ा व्यवहार है।

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