चरमपंथियों पर कार्रवाई करने से दूर रहने पर फ्रान्स की इस जंग में हार होगी – फ्रान्स के वरिष्ठ सांसद का इशारा

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरपैरिस: चरमपंथियों के विरोध में संघर्ष किए बिना शांत रहने से वर चरमपंथ के विरोध में जंग भी हार जाएगा, यह चेतावनी फ्रान्स के वरिष्ठ सांसद ब्रुनो रिटेल्यू ने दी है| फ्रान्स की राजधानी पैरिस में चार्ली हेब्दो इस पत्रिका के दफ्तर पर हुए आतंकी हमले को पिछले हफ्ते में पांच वर्ष पुरे हुए| ‘अल कायदा’ इस आतंकी संगठन ने किए इस हमले में १२ लोग मारे गए थे|

फ्रान्स के माध्यमों को दिए मुलाकात के दौरान सांसद ब्रुनो रिटेल्यू ने फ्रेंच राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन की नीति पर कडी आलोचना की| इसमें उन्होंने मैक्रोन की आतंकवाद विरोधी नीति को भी लक्ष्य किया| राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन ने आतंकवादविरोधी लडाई को प्राथमिकता देने का दावा किया हो फिर भी इस मुद्दे पर वह ज्यादा गंभीर ना होने का आरोप उन्होंने किया| फ्रान्स इस्लामी चरमपंथ के विरोध में जंग हार रहा है| फ्रान्स की सरकार चरमपंथियों के विरोध में संघर्ष करने से इन्कार कर रही है औड़ इसी कारण हम इस जंग में हार रहे है’, यह इशारा रिटेल्यू ने दिया|

पिछले पांच वर्षों में फ्रान्स में ‘अल कायदा’ और ‘आयएस’ इन आतंकी संगठनों ने कई आतंकी हमलें किए है और इनमें करीबन २५० से भी अधिक लोग मारे गए है| वर्ष २०१५ में हुए हमले के बाद फ्रान्स सरकार ने देश में आपात्काल का ऐलान करके राजधानी पैरिस के साथ कई हिस्सों में सेना की तैनाती की थी| पर, लष्करी तैनाती के बावजूद फ्रान्स में आतंकी हमलों का सत्र रुका नही है| नए वर्ष में भी फ्रान्स में दो आतंकी हमलें हुए है और इस दौरान दो लोग मारे गए है और तीन घायल हुए है|

फ्रान्स में हो रहे हमलों में शरणार्थियों का समावेश होने की बात सामने आयी है और शरणार्थियों के झुंड में शामिल होकर आतंकी भी पहुंचे है, यह बात गुप्तचर यंत्रणा के रपट से स्पष्ट हुई है|

पर, फ्रान्स सरकार शरणार्थी और चरमपंथियों के विरोध में आक्रामक कार्रवाई करने से बच रही है, यह दावा विपक्ष के साथ प्रमुख विश्‍लेषक और विशेषज्ञ कर रहे है| कुछ महीनें पहले फ्रान्स के अभ्यासकों ने खाडी क्षेत्र की चरमपंथी संगठन ‘मुस्लिम ब्रदरहुड’ की यूरोप में हरकतें बढ रही है और इस संगठन ने फ्रान्स में दरार डालने की कोशिश शुरू की है, यह दावा भी किया था|

वही, फ्रेंच अभ्यासक जेरोम फॉर्केट ने प्रसिद्ध किए एक सर्वे में फ्रान्स में चरमपंथियों का प्रभाव कैसे बढरहा है, इस ओर ध्यान आकर्षित किया था| फ्रेंच संविधान ने चरमपंथियों के दबाव में उनकी कुछ मांगे स्वीकारनी होगी, यह मांग जोर पकड रही है, यह बात फॉर्केट ने अपने सर्वे के जरिए सामने रखी थी|

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