राजधानी नई दिल्ली में सुरक्षासंबंधी ‘रायसेना डॉयलॉग’ शुरू

नई दिल्ली: सुरक्षा के नजरिए से काफी अहम समझी जा रही भारत की ‘रायसेना डायलॉग’ परिषद की शुरूआत हुई है| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों इस परिषद का उद्घाटन हुआ| ईरान के विदेशमंत्री जावेद झरिफ इस परिषद के लिए प्रमुख अतिथी है| अमरिका के साथ शुरू हुए संघर्ष के बाद पहली बार ईरान के विदेशमंत्री किसी अंतरराष्ट्रीय परिषद में शामिल हो रहे है| इस वजह से रायसेना डायलॉग की ओर दुनिया भर के निरिक्षकों की नजर लगी है| इसी बीच विदेशमंत्री झरिफ गुरूवार के दिन मुंबई पहुंच रहे है|

रायसेना डायलॉग’ में करीबन बारह देश शामिल हुए है| इसमें रशिया, ऑस्ट्रेलिया, यूरोपिय महासंघ, दक्षिण अफ्रीका, डेन्मार्क, झेक प्रजासत्ताक, हंगेरी, लाटविया, उझबेकिस्तान, इस्टोनिया और मालदीव के विदेशमंत्री संबोधित करेंगे| इसके अलावा अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और अमरिका के उपराष्ट्रीय सलाहकार भी इस परिषद के लिए उपस्थित रहेंगे| इस वजह से ‘रायसेना डायलॉग’ में दुनिया भर के काफी अहम सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर गहराई से बातचीत होने की उम्मीद है|

पिछले कुछ वर्षों से ‘रायसेना डायलॉग’ की अहमियत बढ रही है और दुनिया भर के प्रमुख सुरक्षा संबंधी परिषदों में इसका समावेश हो रहा है| पिछले वर्ष इस परिषद में इंडोपैसिफिक क्षेत्र में चीन की वर्चस्ववादी गतिविधियों के मुद्दे पर खास गौर किया गया था| चीन की नौसेना के सामर्थ्य में हो रही बढोतरी इस क्षेत्र में असंतुलन बना रही है, यह बात इस परिषद के दौरान भारत के उससमय के नौसेनाप्रमुख ने डटकर रखी थी| इसपर अमरिका और ऑस्ट्रेलिया के वरिष्ठ नौसेना अफसरों ने समर्थन दिया था| इस वर्ष भी चीन की हरकतों का मुद्दा इस परिषद के बातचीत में रहेगा, यह संकेत प्राप्त हो रहे है|

इस वर्ष की परिषद में आक्रामक राष्ट्रवाद से अंतरराष्ट्रीय कानून और व्यवस्था को प्राप्त हो रही चुनौती, इस विषय पर बातचीत होगी| साथ ही जागतिक व्यापारी ढांचा, राजनयिक एवं आर्थिक और लष्करी क्षमता में तकनीक की भूमिका के मुद्दे पर भी ‘रायसेना डायलॉग’ में बातचीत होगी| साथ ही विकास का जागतिक अजंडा इस मुद्दे पर वर्णित परिषद में विचार होगा, यह कहा जा रहा है| इस कारण चीन की आक्रामक नीति पर परिषद में नए से बातचीत होने के संकेत प्राप्त हो रहे है|

साथ ही अमरिका और ईरान के बीच शुरू हुए संघर्ष की गुंज ‘रायसेना डायलॉग’ में सुनाई देने की कडी आशंका है| ईरान के विदेशमंत्री जावेद झरिफ अपने देश की भूमिका इस दौरान आक्रामकता से रखेंगे और इसके लिए इस परिषद का इस्तेमाल संभव होगा उतने प्रभावी तरिके से करेंगे, यह संभावना दिख रही है| साथ ही इस परिषद में शामिल हुए अमरिका के प्रतिनिधि उन्हें जवाब दिए बिना नही रहेंगे| इस पृष्ठभूमि पर ‘रायसेना डायलॉग’ पर पुरी दुनिया का ध्यान रहेगा|

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