ताजिकिस्तान के दुशांबे में भारत और अफगानिस्तान के विदेश मंत्रियों की भेंट

दुशांबेदुशांबे – भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ‘शंघाय कोऑपरेशन ऑर्गनायझेशन-एससीओ’ की बैठक के लिए ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में दाखिल हुए। यहां पर उन्होंने अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मोहम्मद अत्मार से मुलाकात की। अफगानिस्तान से अमेरिका की सेना वापसी और अफगानी लश्कर के साथ चल रहे तालिबान के संघर्ष की पृष्ठभूमि पर, बुधवार को एससीओ के ‘कॉन्टॅक्ट ग्रूप’ की बैठक होने वाली है। इस बैठक से पहले भारत और अफगानिस्तान के विदेश मंत्रियों के बीच संपन्न हुई चर्चा महत्वपूर्ण साबित होती है।

दुशांबे में आयोजित एससीओ की इस बैठक में चीन के विदेश मंत्री वँग ई और पाकिस्तान के विदेश मंत्री मोहम्मद कुरेशी भारत के विदेश मंत्री के सामने आनेवाले हैं। दोनों पड़ोसी देशों के साथ भारत का तनाव बढ़ा है, ऐसे में एससीओ की यह बैठक अहम साबित होती है। अफगानिस्तान की परिस्थिति, यह इस बैठक का सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा होगा। एससीओ ने अफगानिस्तान के लिए ‘कॉन्टॅक्ट ग्रुप’ की स्थापना की होकर, उसमें भारत और पाकिस्तान का भी समावेश है। अफगानिस्तान के संदर्भ में भारत और पाकिस्तान की परस्पर विरोधी भूमिका को मद्देनजर रखते हुए, इस कॉन्टॅक्ट ग्रुप की यह बैठक गौरतलब साबित होने के संकेत मिल रहे हैं।

इस बैठक से पहले अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मोहम्मद अत्मार से विदेश मंत्री जयशंकर ने मुलाकात की। इस मुलाकात में अफगानिस्तान की परिस्थिति पर चर्चा हुई, ऐसी जानकारी जयशंकर ने सोशल मीडिया में दी। इसी बीच, अफगानिस्तान के हालातों की ओर रशिया के साथ ही ताजिकिस्तान, उझबेकिस्तान ये मध्य एशियाई देश भी गंभीरता से देख रहे हैं। अफगानिस्तान में मची अस्थिरता और अराजक सीमा पार करके अपने देश में प्रवेश करेंगे, ऐसा डर इन देशों को लग रहा है। लेकिन अफगानिस्तान में अगर स्थिरता लौट आई, तो उसका बहुत बड़ा फायदा इन देशों को मिल सकता है।

बंदरगाह उपलब्ध ना होनेवाले ये मध्य एशियाई देश भारत के साथ व्यापार बढ़ाना चाहते हैं। उसके लिए ईरान के छाबहार बंदरगाह का इस्तेमाल करके, उसके जरिए भारत के साथ माल ढुलाई करने की महत्वकांक्षी योजना पर ये देश काम कर रहे हैं। इस कारण एससीओ की इस बैठक को सामरिक महत्व आया दिख रहा है। इसी बीच, एससीओ की इस बैठक में चीन और पाकिस्तान के विदेश मंत्री भी सहभागी हो रहे हैं। लद्दाख की एलएसी पर भारत और चीन के बीच पैदा हुआ तनाव अभी भी कम नहीं हुआ है। इस तनाव के लिए चीन ही ज़िम्मेदार होने का आरोप विदेश मंत्री जयशंकर ने हाल ही में किया था।

रशिया के दौरे में भारत-चीन सीमाविवाद पर बात करते समय जयशंकर ने, चीन भारत के साथ सीमा-समझौता मान्य करने के लिए तैयार नहीं है और वैसा करके चीन ने दोनों देशों के सहयोग की नींव को ही डांवाडोल कर दिया है, ऐसी आलोचना की थी। उसके बाद पहली बार भारत और चीन के विदेश मंत्री ‘एससीओ’ के उपलक्ष्य में एक-दूसरे के सामने आ रहे हैं। साथ ही पाकिस्तान ने भी, अपने देश में होनेवाले घातपात के पीछे भारत होने के आरोप करके, अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित करने की कोशिशें कीं थीं। इन कोशिशों में पाकिस्तान के हाथ कुछ खास नहीं लगा । लेकिन इससे भारत और पाकिस्तान के बीच चर्चा होने की संभावना पूरी तरह ख़ारिज हो चुकी है।

अफगानिस्तान में चल रहे हिंसाचार के लिए पड़ोसी देश ही ज़िम्मेदार है, यह बताकर भारत लगातार पाकिस्तान को लक्ष्य कर रहा है। ‘एससीओ’ के मंच पर भारत फिर एक बार, अफगानिस्तान में चल रहे रक्तपात के पीछे पाकिस्तान होने का आरोप अधिक तीव्रता से कर सकता है। अफगानिस्तान के विदेश मंत्री से भी इसकी पुष्टि हो सकती है। इस कारण एससीओ की यह बैठक विवादास्पद साबित हो सकती है।

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