कोरोना के आर्थिक संकट से बाहर निकलने के लिए युरोप जारी करें ‘पर्पेच्युअल बॉण्ड्स’ – अरबपति निवेशकार जॉर्ज सॉरोस की सूचना

ब्रुसेल्स – कोरोना की महामारी के कारण आनेवाली संभाव्य आर्थिक मंदी को टालने के लिए युरोप ‘पर्पेच्युअल बॉण्ड्स’ प्रकार के बॉण्ड्स का इस्तेमाल करें, ऐसी सूचना अरबपति निवेशकार जॉर्ज सोरोस ने की है। पिछले हफ़्ते युरोप के प्रमुख देश फ्रान्स तथा जर्मनी ने, कोरोना महामारी के आर्थिक झटके से बचने के लिए पाँचसौ अरब युरो की विशेष निधि की घोषणा की थी। इस संदर्भ में बात करते हुए सोरोस ने एक डच अख़बार को दिये इंटरव्यू में, विशेष निधि के बदले बॉण्ड्स का इस्तेमाल करें, ऐसा मत ज़ाहिर किया।

कोरोनावायरस महामारी की पृष्ठभूमि पर युरोपीय महासंघ का अंत हो सकता है, ऐसा सोरोस ने हाल ही में एक ब्रिटिश अख़बार को दिये इंटरव्यू में कहा था। ‘युरोपिय महासंघ यह एक संगठित गुट के तौर पर आज भी अपूर्ण है। उसी समय, वह क़ानून और नियमों पर अधिक ज़ोर देता है। क़ानून और उसपर आधारित इन्साफ़ का चक्र बहुत ही धीर धीरे चलता है। लेकिन उसकी तुलना में कोरोना जैसी महामारी बहुत ही तेज़ी से फ़ैल रही होकर, उसका मुक़ाबला करने में युरोप असफल साबित होगा और उसीमें महासंघ का अंत होगा’, ऐसा दावा निवेशकार सोरोस ने किया था।

युरोप में २० लाख लोग कोरोनावायरस से संक्रमित हुए होकर, उसमें अब तक एक लाख ७३ हज़ार से अधिक लोगों की मृत्यु हुई है। युरोप के ब्रिटन, फ्रान्स, जर्मनी, इटली और स्पेन इन देशों में महामारी ने हाहाकार मचाया है। इस महामारी के आर्थिक परिणाम भी सामने आना शुरू हुआ होकर, दुनिया के अधिकांश प्रमुख गुट और संस्थाओं ने ऐसा अनुमान जताया है कि युरोप को आर्थिक मंदी का ज़बरदस्त झटका लगेगा। युरोप की अग्रसर अर्थव्यवस्था होनेवाले जर्मनी ने मंदी की घोषणा भी की है।

इस पृष्ठभूमि पर, युरोपीय अर्थव्यवस्था पहले जैसी करने के लिए पिछले हफ़्ते विशेष निधि की घोषणा की गयी थी। जर्मनी और फ्रान्स इन दो देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने एक व्हिडिओ कॉन्फरन्स के ज़रिये ‘रिकव्हरी फंड’ इस नाम की निधि की घोषणा करते हुए, इसके तहत युरोप के विभिन्न देशों को आर्थिक अनुदान दिया जायेगा, ऐसा कहा था। लेकिन कुछ युरोपियन देशों ने ही इसका विरोध किया होकर, निधि कर्ज़े के रूप में ही दी जायें, ऐसी आग्रही माँग की है। इस मुद्दे पर युरोपीय महासंघ आनेवाले किछ दिनों में अंतिम प्रस्ताव रखनेवाला होकर, उससे पहले ही जॉर्ज सॉरोस ने की हुई सूचना ग़ौरतलब साबित हो रही है।

अरबपति निवेशकार जॉर्ज सोरोस ने, नेदरलँड के ‘डेर टेलिग्राफ’ नामक एक अख़बार को दिये इंटरव्यू में कहा है कि अमरीका और ब्रिटन ने इससे पहले इस्तेमाल किये हुए प्रकार के बॉण्ड्स का इस्तेमाल करें। ‘पर्प’ अथवा ‘कन्सोल्स’ इन नामों से भी पहचाने जानेवाले इन बॉण्ड्स की विशेषता यह है कि उनके लिए किसी भी प्रकार की अंतिम कालावधि अर्थात् ‘डेट ऑफ मॅच्युरिटी’ निश्चित की हुई नहीं होती है। इस क़िस्म के बॉण्ड्स में केवल हर साल नियमित रूप से ब्याज चुकता करना बंधनकारक होता है।

डच अख़बार को दिये इंटरव्यू में निवेशकार सोरोस ने कहा है कि युरोपीय महासंघ एक ट्रिलियन युरो के बॉण्ड्स को ‘पर्पेच्युअल बॉण्ड्स’ प्रकार में बिक्री के लिए अदा करें। इन बॉण्ड्स पर यदि ०.५ प्रतिशत ब्याज लगाया, तो हर साल केवल पाँच अरब युरो इतना ही ब्याज अदा करना पड़ेगा, ऐसा सोरोस ने कहा। बॉण्ड्स एक ही समय, एकत्रित रूप में बेचने की ज़रूरत न होकर, समय समय पर उनकी बिक्री की जा सकती है और दीर्घकालीन निवेश के लिए उत्सुक होनेवाले कई उसका लाभ उठा सकते हैं, ऐसा दावा सोरोस ने इंटरव्यू के दौरान किया।

‘पर्पेच्युअल बॉण्ड्स’ इस प्रकार के बॉण्ड्स का इस्तेमाल इससे पहले अमरीका और ब्रिटन ने किया हुआ सामने आया है। ब्रिटन ने फ्रेंच सम्राट नेपोलियन के ख़िलाफ़ चले युद्ध में तथा क्रिमियन युद्ध और पहले विश्वयुद्ध के दौरान इन बॉण्ड्स का इस्तेमाल किया था। वहीं, अमरीका ने १८७० के दशक में ‘सिव्हिल वॉर’ के लिए इन बॉण्ड्स का इस्तेमाल किया था।

युरोपिय महासंघ इस हफ़्ते में ‘रिकव्हरी फंड’ से संबंधित अंतिम प्रस्ताव रखनेवाला है। उससे पहले युरोपीय महासंघ के सदस्य देशों में इसको लेकर होनेवाले मतभेद सामने आये हैं। ऐसी स्थिति में, अरबपति निवेशकार सोरोस की सूचना, युरोपीय देशों के बीच के मतभेद अधिक तीव्र करनेवाली साबित करनेवाली हो सकती है।

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