अगले दो दशकों में कच्चे तेल की मांग प्रतिदिन ११ करोड़ बैरल्स तक जाएगी – ईंधन उत्पादक देशों के ‘ओपेक’ संगठन का दावा

कौलालंपूर – ‘अगले सात सालों में वैश्विक अर्थव्यवस्था की होने वाली प्रगति के कारण दुनियाभर के लगभग ५० करोड़ लोग शहरों में स्थानांतरित होने की संभावना हैं। इस वजह से ईंधन की ज़रूरत अधिक बढ़ेगी। अगले दशकों में प्रतिदिन ज़रूरी कच्चे तेल की मांग बढ़कर ११ करोड़ बैरल्स तक पहुंचेगी’, ऐसा दावा ईंधन उत्पादक देशों के ‘ओपेक’ संगठन के महासचिव ने किया। मलेशिया में शुरू ‘एनर्जी एशिया कान्फरन्स’ में बोलते समय ‘ओपेक’ के महासचिव हैथाम अल-घैस ने करीबी भविष्य में कच्चे तेल का नया विकल्प पेश करना नामुमकिन होगा, यह अनुमान व्यक्त किया।

मौजूदा समय में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की मांग प्रतिदिन २० से २४ लाख बैरल्स के करीब हैं। मौसम के बदलाव और रशिया-यूक्रेन युदध की पृष्ठभूमि पर विश्व के कई देशों ने स्वच्छ और हरित ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ाना शुरू किया है और इसमें प्रचंड़ निवेष भी किया जा रहा है। इस वजह से नैसर्गिक ईंधन वायु, सौर ऊर्जा, हाइड्रोजन, बायोमास, परमाणु ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहनों के विकल्पों का इस्तेमाल तेज़ी से बढ़ रहा हैं। इस वजह से कच्चे तेल के क्षेत्र में निवेष कम होने लगा है और अगले कुछ दशकों में इसका इस्तेमाल बंद करने की महत्वाकांक्षी योजना भी कई देशों ने घोषित की है।

इस पृष्ठभूमि पर ‘ओपेक’ के महासचिव ने किया बयान ध्यान आकर्षित करता है। ‘ओपेक के अनुसार २०४५ तक विश्व में ईंधन की मांग में २३ प्रतिशत इजाफा होगा। ईंधन वायू, जलबिजली, परमाणु ऊर्जा, हाइड्रोनज और बायोमास का इस्तेमाल बढ़ता दिखाई देगा। लेकिन, कच्चे तेल का ईंधन में हिस्सा कायम रहेगा। ईंधन के कुल ज़रूरत में कच्चे तेल का हिस्सा २९ प्रतिशत रहेगा’, ऐसा ‘ओपेक’ के महासचिव हैथम अल-घैस ने कहा।

कच्चे तेल के क्षेत्र में निवेष कम होना आगे भी कायम रहा तो इससे फिलहाल ईंधन के लिए, ऊर्जा के लिए जिन यंत्रणाओं का इस्तेमाल हो रहा हैं उनकी व्यवहार्यता को ही चुनौती मिल सकती हैं। इससे ईंधन क्षेत्र में अराजकता निर्माण हो सकती हैं, ऐसी चेतावनी भी अल-घैस ने दी। आगे के दिनों में विश्व को कम नहीं, बल्कि अधिक तेल की ज़रूरत होगी, यह दावा भी उन्होंने इस दौरान किया।

कुछ हफ्ते पहले ‘इंटरनैशनल एनर्जी एजन्सी’ (आईईए) ने भी कच्चे तेल की मांग बढ़ेगी, यह अनुमान व्यक्त किया था। वर्ष २०२८ तक प्रतिदिन आवश्यक कच्चे तेल की मांग १० करोड़ ५७ लाख बैरल्स तक जाएगी, ऐसा ‘आईईए’ ने कहा था। पेट्रोकेमिकल और हवाई क्षेत्र में ईंधन की मांग बढ़ती देखी जाएगी, ऐसा इशारा ‘आईईए’ ने दिया था।

दो हफ्ते पहले ही ईंधन उत्पादक देशों के गुट ‘ओपेक प्लस’ ने वर्ष २०२४ के अन्त तक ११.५० लाख बैरल्स उत्पादन कम करने का निर्णय किया था। इस निर्णय की वजह से दिसंबर २०२४ तक कच्चे तेल की कीमत प्रतिबैरल १०७ डॉलर तक पहुंच सकती हैं और इसकी बढ़ोतरी बरकरार रहेगी, यह अनुमान ‘गोल्डमन सैक्स’ ने व्यक्त किया हैं।

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