कच्चे तेल के दाम प्रति बैरल १०० डॉलर्स तक उछल सकते हैं – अमरिकी वित्तसंस्था का दावा

वॉशिंग्टन – अगले कुछ महीनों में कच्चे तेल के दाम बढ़कर प्रति बैरल १०० डॉलर्स तक जा सकते हैं, ऐसा दावा अमरिकी वित्तसंस्था ने किया है। कोरोना की पृष्ठभूमि पर अलग अलग देशों ने घोषित किए बड़ी आर्थिक सहायता, तेल की आपूर्ति और माँग में हो रहे सुधार एवं चीन जैसे सबसे बड़े आयातक देश की मज़बूत स्थिति जैसे कारणों से कच्चे तेल के दामों में उछाल होगा, ऐसा ‘बैंक ऑफ अमरीका मेरिल लिंच’ नामक अमरिकी वित्तसंस्था ने कहा है।

rates-crude-oilअमरीका में हुए बर्फिले तूफान की वजह से इस देश में फिलहाल ‘शेल ऑईल’ का उत्पादन बंद है। इस वजह से बीते दो दिनों में कच्चे तेल के दामों की बड़ी बढ़ोतरी हुई है और मंगलवार के दिन यही दाम प्रति बैरल ६६ डॉलर्स तक पहुँचा। यह बीते १३ महीनों का उच्चांक समझा जा रहा है। अमरीका में र्इंधन का उत्पादन दोबारा शुरू होने के लिए और पटरी पर आने के लिए कुछ समय लगने की संभावना है। इस वजह से कच्चे तेल के दरों में हो रही बढ़ोतरी बरकरार रहेगी, ऐसे संकेत दिए गए हैं।

‘गोल्डमन सैक्स’ नामक वित्तसंस्था ने यह अनुमान व्यक्त किया है कि, कच्चे तेल के दाम अगले कुछ महीनों में प्रति बैरल ७० से ७५ बैरल तक बढ़ सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की आपूर्ति फिलहाल जिस मात्रा में हो रही है और बढ़ने की संभावना है उसकी तुलना में माँग बढ़ने की गति ज्यादा होने की बात अमरिकी वित्तसंस्था ने कही है। इसी दौरान ईरान के परमाणु समझौते से संबंधित चर्चा होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं, फिर भी ईरान से हो रहा तेल का उत्पादन अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में जल्द दाखिल होने की संभावना ना होने का बयान ‘गोल्डमन सैक्स’ ने किया है।

rates-crude-oil‘बैंक ऑफ अमरीका मेरिल लिंच’ नामक वित्तसंस्था ने अगले कुछ महीनों में कच्चे तेल के दाम प्रति बैरल १०० डॉलर्स तक उछलेंगे, यह अनुमान व्यक्त किया है। साथ ही ‘ओपेक प्लस’ की बैठक और इसमें होनेवाला निर्णय एवं ईरान का मुद्दा कुछ समय के लिए तेल के दामों में बढ़ोतरी को रोक सकते हैं, यह संकेत भी दिए ग हैं। करीबी दिनों का विचार करें तो ईरान का २० लाख बैरल तेल बाज़ार में पहुँचना कच्चे तेल के दर में गिरावट का कारण बन सकता है, इस ओर ‘बैंक ऑफ अमरीका मेरिल लिंच’ के विश्‍लेषकों ने ध्यान आकर्षित किया।

‘ओपेक प्लस’ की बैठक में निर्णायक भूमिका अपना रहे सौदी अरब और रशिया की नीति में अभी भी सहमति ना होने का दावा विश्‍लेषक कर रहे हैं। सौदी अरब उत्पादन का स्तर कायम रखकर दरो में बढ़ोतरी करने पर ड़टा है और रशिया ने उत्पादन में बढ़ोतरी करने की माँग की है। इससे पहले भी इन दोनों देशों में मतभेद होने की बात सामने आयी है, फिर भी दोनों देशों के नेतृत्व ने उस समय समझौते की भूमिका अपनाई थी। इस पृष्ठभूमि पर तेल के दरों में उछाल होने से संबंधित किया गया अनुमान ध्यान आकर्षित कर रहा है।

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