चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने उइगरों के बाद अब तिब्बती नागरिकों के लिए भी ‘लेबर कैम्प्स’ शुरू किए – अभ्यासगुट की रपट

न्यूयॉर्क/बीजिंग – चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने उइगर वंशियों के बाद अब तिब्बती नागरिकों का उत्पीड़न करके उनसे श्रमिकों जैसा बर्ताव करना शुरू किया है, यह चौकानेवाली रपट सामने आयी है। अमरीका के ‘जेम्सटाउन फाउंडेशन’ नामक अभ्यासगुट ने इससे संबंधित रपट सार्वजनिक की है। इसी रपट में लगभग पांच लाख तिब्बती नागरिकों को लेबर कैम्प्स में कैद करके रखा गया है, यह जानकारी दर्ज़ है। यह रपट जारी हो रही थी तभी उइगर वंशियों के लिए शुरू किए गए कैम्प्स की संख्या में बढ़ोतरी होने की बात भी सामने आयी है। इस पृष्ठभूमि पर फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युएल मैक्रॉन ने चीन के झिंजियांग प्रांत में उइगर वंशियों पर हो रहे अत्याचारों की जाँच करने के लिए संयुक्त राष्ट्रसंघ का दल भेजने की माँग की है। उइगर वंशियों के बाद तिब्बती नागरिकों पर अत्याचार होने की जानकारी सामने आने से चीन की हुकूमत का असली चेहरा सामने आया है और यह बात चीन के लिए बड़ा झटका समझा जा रहा है।

वर्ष २०१८ में संयुक्त राष्ट्रसंघ की एक रपट में ही चीन ने लगभग ११ लाख उइगर वंशियों को छल शिविरों में कैद किया है, ऐसा चौकानेवाला दावा किया गया है। इससे संबंधित रपट प्राप्त होने के बाद पश्‍चिमी देशों ने उइगर वंशियों के मुद्दे पर चीन को लक्ष्य करना शुरू किया था। बीते दो वर्षों में इस्लाम धर्मी उइगरवंशियों पर हो रहे अत्याचारों से संबंधित कई रपट सामने आए और अमरीका के साथ यूरोपिय देशों ने भी इस मुद्दे पर चीन के खिलाफ़ कार्रवाई करने का कदम उठाया है। इसके साथ ही अब तिब्बती नागरिकों से संबंधित कैम्प भी सामने आने से चीन की हुकूमत के लिए बड़ी मुश्‍किलें निर्माण होंगी, ऐसे संकेत प्राप्त हुए हैं।

China-labour-campsअमरीका के ‘जेम्सटाउन फाउंड़ेशन’ ने जारी की हुई रपट के अनुसार इस वर्ष के पहले सात महीनों में पांच लाख से अधिक तिब्बती नागरिकों को इन उत्पीड़न शिविरों में भेजकर प्रशिक्षित किया गया है। इन नागरिकों में प्रमुखता से किसान और घुमंतू जनजातियों के लोगों का समावेश है। प्रशिक्षित तिब्बती नागरिकों को चीन के अन्य इलाकों में भेजकर उनसे श्रमिकों की तरह उनका इस्तेमाल किया जा रहा है, यह आरोप संबंधित रपट में किया गया है। ऐसी पूरी योजना चीन ने इससे पहले झिंजियांग प्रांत में चलाए उत्पीड़न शिविरों की तरह ही होने का ज़िक्र अमरीकी अभ्यासगुट ने अपनी रपट में किया है।

इस रपट के साथ ही ‘ऑस्ट्रेलियन स्ट्रैटेजिक पॉलिसी इन्स्टिट्यूट’ की नई रपट भी जारी की गई है। इसमें चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने उइगरवंशियों पर हो रहे अत्याचारों का दायरा अधिक बढ़ने का आरोप किया गया है। चीन ने झिंजियांग प्रांत में लगभग ४०० उत्पनीड़न शिविर स्थापित करके इनमें उइगरवंशियों को बंद किया है, यह बात इसमें कही गई है। बीते कुछ महीनों में चीन ने उइगरवंशियों के लिए स्थापित किए शिविरों की संख्या कम होने का दावा किया था। लेकिन, नई रपट से चीन का यह दावा महज़ एक झूठ था, यह बात साबित हुई है।

China-labour-campsउइगरवंशियों के हो रहे उत्पीड़न का मुद्दा संयुक्त राष्ट्रसंगठन में भी उपस्थित किया गया था। संयुक्त राष्ट्रसंगठन की आम सभा में फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन ने इसी मुद्दे पर चीन को लक्ष्य किया। बुनियादी अधिकार यह पश्‍चिमी देशों की संकल्पना नहीं है, बल्कि संयुक्त राष्ट्रसंगठन के संविधान में भी इसका ज़िक्र है और सदस्य देशों को इसका अहसास भी है, इन शब्दों में उन्होंने चीन को फटकार लगाई है। साथ ही चीन के झिंजियांग प्रांत में संयुक्त राष्ट्रसंगठन अपना एक दल भेजकर स्थिति की उचित जानकारी सामने लाए, यह माँग भी उन्होंने की।

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