चीन द्वारा उइगरवंशियों का वंशसंहार किया जा रहा है : अमरीका की घोषणा

वॉशिंग्टन/बीजिंग – चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी ने झिंजिआंग प्रांत के इस्लामधर्मिय उइगरवंशियों का वंशसंहार करवाया है और यह संहार अभी भी जारी है। चीन की कम्युनिस्ट हुक़ूमत उइगरवंशियों को ख़त्म करने के लिए नियोजनबद्ध तरीक़े से कोशिशें कर रही है, इन शब्दों में अमरीका ने चीन में वंशसंहार जारी होने की घोषणा की है। सन २०१७ से चीन की कम्युनिस्ट हुक़ूमत द्वारा यह वंशसंहार शुरू होकर, उइगरवंशियों के साथ ही अन्य धर्मों के अल्पसंख्यांकों भी ध्वस्त करने की मुहिम जारी होने का स्पष्ट आरोप अमरीका के विदेशमंत्री माईक पॉम्पिओ ने किया। उइगरवंशियों के वंशसंहार के बारे में की हुई यह घोषणा अमरीका के निवर्तमान ट्रम्प प्रशासन ने चीन को दिया सबसे बड़ा और ज़बरदस्त झटका माना जाता है।

uyghurs-us-chinaअमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने सन २०१६ में राष्ट्राध्यक्षपद पर चयन होने से लेकर लगातार चीन के खिलाफ़ आक्रामक भूमिका अपनायी थी। व्यापार, निवेश, सायबरहमलें, बौद्धिक संपदा की लूट, साऊथ चायना सी इन जैसे मुद्दों पर ट्रम्प के प्रशासन ने कई कठोर फ़ैसलें किये थे। राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने छेड़े व्यापारयुद्ध से चीन की अर्थव्यवस्था का ज़बरदस्त नुक़सान हुआ सामने आया था। उसके बाद व्यापारी समझौते के माध्यम से संबंध सुधारने के संकेत मिल रहे थे कि तभी कोरोना महामारी का फैलाव शुरू हुआ। चीन से शुरू हुई इस महामारी के बाद ट्रम्प प्रशासन ने, चीन के विरोध में अपनी भूमिका अधिक तीव्र की।

uyghurs-us-chinaसन २०१९ के अन्त से अमरीका ने चीन के विरोध में खुलेआम राजनीतिक संघर्ष छेड़ा होकर, चीन की हुक़ूमत के लिए संवेदनशील होनेवाले हाँगकाँग, ताइवान, उइगरवंशीय और तिब्बत इन मुद्दों पर एक के बाद एक झटकें देना शुरू किया। अक्तूबर २०१९ में अमरीका ने उइगरवंशियों पर किये जानेवाले अत्याचार के मुद्दे पर, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के नेता और अधिकारियों पर वीज़ाबंदी घोषित की। उसके बाद झिंजिआंग प्रांत के २७ उपक्रमों को ‘ब्लॅकलिस्ट’ किया गया था। मई २०२० में अमरीका की संसद ने ‘उइगर ह्युमन राईट्स ऍक्ट’ को मंज़ुरी दी। जुलाई महीने में ११ कंपनियों पर पाबंदी लगायी गयी; वहीं, नये साल की शुरुआत में झिंजिआंग से आयात होनेवाले सभी उत्पादों पर पाबंदी लगाने की घोषणा की गयी।

uyghurs-us-chinaअमरीका ने उइगरवंशियों के मुद्दे पर अपनायी इस आक्रामक भूमिका को आन्तर्राष्ट्रीय समुदाय से भी बड़े पैमाने पर समर्थन मिला है। ब्रिटन, कैनड़ा इन प्रमुख देशों के साथ युरोपिय महासंघ ने उइगरों पर किये जा रहे अत्याचारों के मुद्दे पर चीन की हुक़ूमत को किनारे पर रखा है। पिछले साल बुलायी गयी संयुक्त राष्ट्र की महासभा में भी प्रमुख सदस्य देशों द्वारा, उइगरवंशियों पर किये जा रहें अत्याचारों का मुद्दा उपस्थित किया गया था। इस पूरी पृष्ठभूमि को मद्देनज़र रखते हुए, उइगरवंशियों पर होनेवाले अत्याचारों को ‘वंशसंहार’ क़रार देने का फ़ैसला, यह अमरीका ने चीन की कम्युनिस्ट हुक़ूमत को दिया निर्णायक झटका दिखायी दे रहा है। इस संदर्भ में फ़ैसला हालाँकी ट्रम्प प्रशासन द्वारा ज़ाहिर किया गया है, फिर भी अमरीका के नवनियुक्त राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन और प्रशासन ने भी उसका समर्थन किया है।

बायडेन प्रशासन के विदेशमंत्री अँथनी ब्लिंकन ने यह प्रतिक्रिया दी है कि अमरिकी प्रशासन ने उइगरवंशियों के मामले में अपनायी भूमिका से वे सहमत हैं। ‘उइगरवंशियों के मुद्दे पर दोनों प्रशासनों में एकमत है। उइगरवंशियों को ज़बरदस्ती से कॉन्सन्ट्रेशन कैंप्स् में बंद करना, उनपर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की विचारधारा थोंपने की कोशिश करना, ये और इन् जैसीं सभी बातें वंशसंहार की ही कोशिशें हैं’, ऐसी भूमिका अमरीका के नये विदेशमंत्री ब्लिंकन ने प्रस्तुत की है।

uyghurs-us-chinaचीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट हुक़ूमत द्वारा पिछले कुछ सालों से लगातार झिंजिआंग प्रांत के उइगरवंशियों पर अनन्वित अत्याचार शुरू हैं। उइगरवंशियों को आतंकवादी और गुनाहगार बताकर उन्हें कब्ज़े में लिया जा रहा है और पूरे प्रांत में लष्करी और निमलष्करी यंत्रणाएँ तैनात कीं गयीं हैं। इन यंत्रणाओं द्वारा झिंजिआंग में लगभग ११ लाख से अधिक उइगरवंशियों को हिरासत में ले लिया गया है और उन्हें विभिन्न भागों में बनाये गये कॉन्सन्ट्रेशन कँप्स् में बंद किया गया है। इन कँप्स् में उनसे बेगारों की तरह काम करवाया जाता है, ऐसी चौंका देनेवाली जानकारी सामने आयी है। उसी समय, चिनी यंत्रणाएँ झिंजिआंग की उइगरवंशीय महिलाओं का लैंगिक शोषण कर रहीं हैं, ऐसी ख़बरें भी सामने आयीं हैं।

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