चीन की सेना युद्ध के लिए तैयार रहें – राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग के आदेश

बीजिंग/नई दिल्ली, (वृत्तसंस्था) – चीन की सेना युद्ध के लिए तैयार रहें, ऐसे आदेश राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने दिए हैं। चीन का भारत के साथ सीमा विवाद काफी हद तक बिगड़ चुका है और दोनों देशों की सेनाएँ एक-दूसरे के सामने खड़ी हुईं हैं। इस वज़ह से भारतीय माध्यम, चीन के राष्ट्राध्यक्ष ने युद्ध की तैयारी करने के लिए दिए आदेशों का संबंध भारत से जोड़ रहें हैं। भारत के प्रधानमंत्री एवं रक्षामंत्री ने रक्षादल प्रमुख के साथ उच्चस्तरीय बैठक करके देश की तैयारी का जायज़ा भी लिया। इसके बाद चीन के राष्ट्राध्यक्ष ने अपनी सेना को ये आदेश दिए हैं, इस ओर भी भारतीय माध्यम ग़ौर फ़रमा रहे हैं। लेकिन, एक ही समय पर तैवान, हाँगकाँग एवं साउथ चायना सी इन सभी ज़गहों पर चीन आक्रामक भूमिका में होने से, चीन के राष्ट्राध्यक्ष ऐसे युद्ध की तैयारी के आदेश देते दिख रहे हैं।

चीन की संसद के वार्षिक सत्र को संबोधित करते समय राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने, अपना देश सार्वभूमता के मोरचे पर बिल्कुल समझौता नहीं करेगा, यह कहकर चीन की सेना को युद्ध के लिए तैयार होने के आदेश दिए। बिल्कुल कठिन से कठिन स्थिति का विचार करके युद्ध के लिए तैयार हों, युद्ध की तैयारी रखें, यह इशारा जिनपिंग ने अपनी सेना को दिया हैं। अलग शब्दों में, एक ही समय पर कई मोरचों पर युद्ध करना होगा, यह तैयारी रखकर चीन की सेना युद्ध की तैयारी बढ़ाए, यह संदेश चीन के राष्ट्राध्यक्ष दे रहें हैं। चीन के सभी सरकारी मुखपत्रों ने उनके इस आदेश की ख़बर को काफ़ी अहमियत दी है।

कोरोना वायरस की महामारी का उद्गम चीन में ही हुआ और चीन ने यदि समय पर इस महामारी की जानकारी सार्वजनिक की होती, तो अनहोनी को टाला जा सकता था, यह आरोप अमरीका कर रहीं है। ब्रिटन, ऑस्ट्रेलिया और जापान ये देश भी अलग अलग शब्दों में चीन पर इसी तरह के आरोप रख रहें हैं और इस महामारी की गहराई से जाँच करने की माँग कर रहें हैं। वर्ष १९८९ में तिआनमिन चौक में जनतंत्र की माँग करनेवाले युवकों पर की हुई कार्रवाई के बाद भी चीन उतना अप्रिय नहीं हुआ था, जितना कोरोना वायरस के कारण आज हुआ है, ऐसे दावे चीन के अभ्यासगुट कर रहें हैं। अमरीका जैसा देश इसका लाभ उठाएगा और चीन को एक ही समय पर कई लष्करी मोरचों पर सामना करना पड़ेगा, यह चिंता चीन के सामरिक विश्‍लेषक व्यक्त कर रहें हैं।

इस वज़ह से चीन ने अपनी आक्रामकता में और भी बढ़ोतरी की है और साउथ चायना सी क्षेत्र में चीन की नौसेना की गतिविधियाँ और भी तीव्र हुई हैं। उसी समय तैवान पर कब्ज़ा करने के लिए लष्करी कार्रवाई हो सकती है, ऐसे धमकी के सुर चीन अलापने लगा है। वहीं, हाँगकाँग पर अपनी पकड़ अधिक मज़बूत करने के लिए चीन ने नए कानून लगाने की तैयारी भी की हैं।

ये हरकतें शुरू ही हैं कि तभी चीन हिंद महासागर क्षेत्र में भी अपनी नौसेना की आवाजाही बढ़ा रहा हैं। उसी समय भारत की सीमा में घुसपैठ करके चीन भारत पर दबाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन, चीन की इस घुसपैठ को भारत से करारा ज़वाब प्राप्त हो रहा है। भारत के हवाई क्षेत्र में हेलीकाप्टर्स की घुसपैठ करवाकर चीन ने तनाव निर्माण करने की कोशिश की थी। लेकिन, मात्र कुछ ही मिनिटों में भारत के लडाकू विमानों ने उड़ान भरते ही चीन के ये हेलीकाप्टर्स अपनी दिशा बदलने पर मज़बूर हुए थे। लद्दाख एवं भारत के अन्य सीमाक्षेत्र में घुसपैठ कर रहें चीन के सैनिकों को भारतीय सैनिकों ने रोक रखा है। फिर भी चीन ने इस पर आक्रामक प्रतिक्रिया देना टाला होकर, भारत के साथ सौहार्दता और भाईचारा बरकरार रखने की भाषा का प्रयोग किया है। भारत पर दबाव बनाने की कोशिश चीन भले ही कर रहा हो, लेकिन इस बार भारत से ठेंठ संघर्ष करने चीन तैयार नहीं होगा, यह स्पष्ट मत भारत के पूर्व लष्करी अफ़सर व्यक्त कर रहें हैं। भारत-चीन सीमा पर दोनों देशों की सेनाएँ एक भी गोली चलाती नहीं हैं, इसका मतलब यही होता है कि दोनों देशों को युद्ध करना नहीं हैं, ऐसा दावा भारत के पूर्व लष्करी अफ़सर एवं सामरिक विश्‍लेषक कर रहें हैं।

फिर भी चीन के राष्ट्राध्यक्ष ने अपनी सेना को दिए आदेश, अपने विरोध में खड़े हुए सभी देशों को चेतावनी देने के लिए ही होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। सभी देशों ने मिलकर दबाव बनाया, तो भी चीन पीछे नहीं हटेगा, ज़रूरत पड़ने पर लष्करी संघर्ष के लिए भी तैयार है, यह संदेश राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग देना चाहते हैं। साथ ही, चीन में युद्धज्वर फैला कर, कोरोना के संकट में प्राप्त हुई असफलता, गिरावट का सामना कर रहीं अर्थव्यवस्था से ध्यान हटाना राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग के लिए सुविधाभरा साबित हो सकता है। इससे चीन की सत्ता पर उनकी पकड़ और भी मज़बूत हो सकती है। इसी लिए राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने अपनी सेना को यह आदेश दिया हुआ दिख रहा है।

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