दलाई लामा के जन्मदिन से चीन बेचैन – एलएसी पर चीनी जवानों ने निषेध दर्ज किया

नई दिल्ली – भारत के प्रधानमंत्री बौद्ध धर्मगुरू और तिब्बती नेता दलाई लामा को फोन करके जन्मदिन की शुभकामनाएँ दीं थीं। भारतीय माध्यमों ने इस खबर को महत्व देकर, इसके द्वारा भारत सरकार ने चीन को संदेश देने के दावे किए थे। चीन के सरकारी मुखपत्र ने, भारत के ऐसी छोटी तरकीबों का चीन पर कुछ भी असर नहीं होगा, ऐसे ताने मारे थे । लेकिन दरअसल दलाई लामा के जन्मदिन को भारत में और भारत से बाहर मिले महत्व के कारण इन बेचैन हुआ है। इसी कारण, लद्दाख की एलएसी पर डेमचोक में तैनात चीन के जवानों ने दलाई लामा के जन्मदिन के कार्यक्रम का विरोध करने के लिए घुसपैठ की कोशिश करके, प्लेकार्ड प्रदर्शित करने की खबरें आई हैं।

६ जुलाई के दिन यह घटना घटित होने की जानकारी लष्कर के सूत्रों ने देने का दावा किया जाता है। लद्दाख की एलएसी के करीबी गाँवों में दलाई लामा का जन्मदिन मनाया गया था। उसका विरोध करने के लिए चिनी जवान पोस्टर्स और बैनर्स लेकर डेमचोक तक पहुँचे थे। उन्होंने भारतीय सीमा में घुसपैंठ करने की कोशिश की, ऐसी जानकारी सामने आ रही है। पाँच गाड़ियों में डेमचोक की सीमा के पास आए इन चिनी जवानों ने, लगभग आधा घंटा यहाँ पोस्टर्स और बैनर्स प्रदर्शित किए और उसके बाद वे लौट गए, ऐसा दावा किया जाता है।

Lama-China-LACचिनी जवानों ने इससे अधिक कुछ खास हरकतें नहीं कीं। लेकिन दलाई लामा के जन्मदिन को भारत में मिल रही अहमियत चीन को सहन नहीं हुई है, यह इससे फिर एक बार स्पष्ट हुआ है। दलाई लामा तिब्बती जनता की आकांक्षाओं को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत करनेवाले नेता होकर, चीन तिब्बत पर कर रहे अत्याचारों को दलाई लामा हमेशा ही दुनिया के सामने ले आए थे। इस कारण दलाई लामा को दुनिया भर में मिल रहा महत्व, चीन को चुभता आया है। दलाई लामा को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मिल रहा आदर और उन्हें प्रदान किए जानेवाले सम्मान यह चीन विरोधी साज़िश का भाग होने के आरोप चीन द्वारा लगातार किए जाते हैं।

भारत के प्रधानमंत्री ने दलाई लामा के ८६ वें जन्मदिन पर फोन करके उन्हें शुभकामनाएँ दीं थीं। अमरीका के विदेश मंत्री ब्लिंकन ने भी दलाई लामा के साथ चर्चा करके उन्हें शुभकामनाएँ दी, यह बात चीन को अधिक ही चुभी थी। भारत और अमरीका अब तिब्बत कार्ड का इस्तेमाल करके चीन की घेराबंदी करने के दाँवपेंच खेल रहे हैं, ऐसी चिंता चीन को लगने लगी है। लद्दाख की एलएसी के पास तैनाती बढ़ाकर चीन भारत की सुरक्षा को चुनौती दे रहा है, ऐसे में भारत तिब्बत का मुद्दा उपस्थित करें और चीन पर दबाव बढ़ाएँ, ऐसी माँग सामरिक विश्लेषक कर रहे हैं। तिब्बत का मसला अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर उपस्थित करने का अच्छा खासा अवसर भारत के सामने होने का दावा इन विश्लेषकों ने किया है।

धरमशाला स्थित तिब्बतियों की निर्वासित सरकार भी भारत के पास इस बात पर ज़ोर दे रही है। चीन की सीमा भारत से सटी ना होकर, तिब्बत यह भारत और चीन के बीच होनेवाला देश है। आनेवाले समय में भारत सरकार ‘भारत-चीन सीमा’ ऐसा उल्लेख न करते हुए, ‘भारत-तिब्बत सीमा’ ऐसा एलएसी का उल्लेख करें, ऐसी माँग भारत में निवास करनेवाले तिब्बतियों के नेता कर रहे हैं।

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