चीन भारत से चर्चा करने के लिए तैयार – चीन के विदेश मंत्रालय का दावा

बीजिंग: ‘‘भारत और चीन शांतिपूर्ण चर्चा करके सीमा विवाद सुलझाएं। ‘चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर’ (सीपीईसी) प्रकल्प पर भारत के आक्षेप पर चर्चा करने के लिए चीन तैयार है’’, ऐसी समझदार भूमिका चीन के विदेश मंत्रालय ने स्वीकारी है। भारत को सबक सिखाने की धमकियां देने वाले चीन के भाषा में हुआ बदलाव लक्षणीय माना जा रहा है। पर चीन भारत के पड़ोसी देशों में कार्यान्वित कर रहा मूलभूत सुविधा प्रकल्पों से भारत को सतर्क रहने की आवश्यकता है, ऐसा भारत के भूतपूर्व विदेश सचिव श्याम सरन ने सूचित किया है।

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पिछले कई दिनों से चीन डोकलाम में भवन निर्माण कर रहा है, ऐसी खबरें प्रसिद्ध हो रही थी। इस पर भारत के लष्कर प्रमुख ने चीन को इशारे देने वाले विधान किए थे। इस पर चीन से अत्यंत चेतावनीखोर प्रतिक्रिया आई थी और चीन ने भारत को सबक सिखाने की धमकी दी थी। चीन के लष्करी अधिकारी भारत को इतिहास की याद दिला रहे थे। इस पृष्ठभूमि पर भारत के चीन में स्थित राजदूत गौतम बंबावले ने चीन के सरकारी दैनिक को दिए मुलाकात में भारत की भूमिका स्पष्ट तौर पर प्रस्तुत की थी। भारत एवं चीन एक दूसरों के दुश्मन नहीं है, पर चीन ने भारत का आक्षेप ध्यान में लेकर, सीमारेखा पर परिस्थिति बदलने का प्रयत्न न करें ऐसा बंबावाले ने सूचित किया था।

उनके इस मुलाकात के बाद चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने अपना देश भारत से चर्चा करने के लिए तैयार होने की बात स्पष्ट की है। भारत और चीन ने अपना सीमा विवाद शांति रूप चर्चा के माध्यम से सुलझाएं, ऐसा चुनयिंग ने कहा है। इतना ही नहीं तो ‘सीपीईसी’ प्रकल्प पर भारत के आक्षेप पर भी चीन चर्चा करने के लिए तैयार होने की बात चीन ने स्पष्ट की है। चीन की भाषा में हुआ यह बदलाव लक्षणीय माना जा रहा है। पर भारत के भूतपूर्व विदेश सचिव श्याम सरन ने चीन की गतिविधियों पर भारत को इशारा दिया है।

नेपाल से तिबेट तक चीन कार्यान्वित कर रहा मूलभूत सुविधा प्रकल्प पर भारत नजर रखें, ऐसा श्याम सरन ने कहा है। इतना ही नहीं तो अमेरिका, जापान और व्हिएतनाम इन देशों की सहायता लेकर भारत ने चीन के एकतरफा प्रभाव के विरोध करना आवश्यक होने का स्पष्ट मत श्याम सरन ने व्यक्त किया है। जयपुर में आयोजित किए एक कार्यक्रम में श्याम सरन बोल रहे थे। फिलहाल नेपाल में सत्ता बदलाव होकर आनेवाली नेपाल की नई सरकार चीन के लिए अनुकूल होने का निर्णय लिया जा रहा है। यह भारत के लिए चिंता की बात हो सकती है, इस पर श्याम सरन में ध्यान केंद्रित किया है।

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