स्वतन्त्रता यज्ञ

स्वतन्त्रता यज्ञ

जाड़ों के दिन बस अभी अभी ख़त्म हुए थे। अब धीरे धीरे गरमी बढ़नेवाली थी। हालाँकि चिलचिलाती धूप तो नहीं थी, मग़र फिर भी माहौल कुछ गरमा सा रहा था। अपनी मातृभूमि से प्रेम करनेवाले हर एक भारतीय के मन में कुछ हो तो रहा था, लेकिन प्रकट रूप में कहीं कुछ दिखायी नहीं दे […]

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नेताजी-४

नेताजी-४

सुभाषबाबू के जीवन में दाखिल हो चुके स्वामी विवेकानन्दजी ने उन्हें बाह्य-आभ्यन्तर भारित कर दिया था। अपने जीवन का हेतु ही मानो स्वामीजी समझा रहे हैं, ऐसा उन्हें लगा। विवेकानन्दजी के विचार पुरोगामी ही थे। भोगवादी संस्कृतिप्रधान पश्चिमी देशों में जब भारत के बारे में रहनेवाले घोर अज्ञान के कारण भारत से संबंधित ग़लत धारणाएँ […]

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अल्टरनेटींग करंट एवं डॉ. निकोल टेसला

अल्टरनेटींग करंट एवं डॉ. निकोल टेसला

अहंकारपूर्ण प्रदर्शन अर्थात सामर्थ्य नहीं, अहंकारी मनुष्य अपनी कमजोरी को छिपाने के लिए ही अहंकाररुपी मुखौटे का उपयोग करता है, ऐसा कहा जाता है। डॉ.निकोल टेसला के जीवन का अगला प्रवास करते समय यह वाक्य अपना एक अलग ही महत्त्व रखता है – सही मायने में धैर्यवान, सामर्थ्यवान एवं संयमशीलता का मानवी प्रतीक अर्थात डॉ.निकोल […]

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सुभाषबाबू पर स्वामी विवेकानन्दजी का बढ़ता प्रभाव

सुभाषबाबू पर स्वामी विवेकानन्दजी का बढ़ता प्रभाव

सुभाषबाबू के जीवन में दाखिल हो चुके स्वामी विवेकानन्दजी ने उन्हें बाह्य-आभ्यन्तर भारित कर दिया था। अपने जीवन का हेतु ही मानो स्वामीजी समझा रहे हैं, ऐसा उन्हें लगा। विवेकानन्दजी के विचार पुरोगामी ही थे। भोगवादी संस्कृतिप्रधान पश्चिमी देशों में जब भारत के बारे में रहनेवाले घोर अज्ञान के कारण भारत से संबंधित ग़लत धारणाएँ […]

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डॉ. निकोल टेसला – जीवनविकास की शुरुआत

डॉ. निकोल टेसला – जीवनविकास की शुरुआत

डॉ. निकोल टेसला की नजरों में विज्ञान एवं अध्यात्म ये दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू थे। नैसर्गिक तौर पर होनेवाली हर एक घटना परमेश्‍वर का ही आविष्कार होती है ऐसी उनकी धारणा थी। उनके इस अध्यात्मिक विचारधारा के प्रति उनके पारिवारिक पृष्ठभूमि का आधार था। इनका जन्म ही परमेश्‍वर पर अविचल श्रद्धा रखनेवाले […]

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सुभाषबाबू और निर्धार इस अटूट समीकरण का स्कूली जीवन में पहला दर्शन

सुभाषबाबू और निर्धार इस अटूट समीकरण का स्कूली जीवन में पहला दर्शन

रेव्हॅनशॉ कॉलेजिएट स्कूल में सुभाषबाबू का व्यक्तित्व धीरे धीरे सुघटित होने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी| दकियानुसी स्कूली अभ्यासप्रणाली में सुभाषबाबू का मन नहीं लग रहा था| लेकिन केवल अपनी कुशाग्र बुद्धिमत्ता के बल पर पूरी क्लास में वे अच्छे नंबरों से पास होते थे| अँग्रे़जी में तो वे हमेशा ही क्लास में अव्वल […]

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डॉ. निकोल टेसला – ०१

डॉ. निकोल टेसला – ०१

इस शीलवान संशोधक ने अपने पर आनेवाले संकटों से तनिक भी विचलित न होते हुए धैर्यपूर्वक उसका सामना किया। अपने संशोधन को और भी अधिक अच्छी तरह से आगे बढ़ाया। संशोधन के लिए लगनेवाले साधनसंपत्ति की कमी, विरोधकों के कपटकारस्थान, ये सबकुछ डॉ. टेसला के अविचल निर्धार एवं पूर्ण श्रद्धा के आगे कोई मायने नहीं […]

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नेताजी -०१

नेताजी -०१

‘मुझे वाकई बहुत मज़ा आ रहा है, एक गोरे अँग्रेज़ को मेरे जूतें पॉलिश करते हुए देखकर|’ सन १९१९ में अपने इंग्लैंड़ के निवास के दौरान नेताजी ने अपने परिवार को लिखे हुए एक ख़त में यह कहा था। आयसीएस की सम्मानित डिग्री अर्जित करने इंग्लैंड़ आये सुभाषबाबू केंब्रिज युनिव्हर्सिटी में शिक्षा हासिल कर रहे […]

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