डॉ. निकोल टेसला – ०१

स शीलवान संशोधक ने अपने पर आनेवाले संकटों से तनिक भी विचलित न होते हुए धैर्यपूर्वक उसका सामना किया। अपने संशोधन को और भी अधिक अच्छी तरह से आगे बढ़ाया। N.Teslaसंशोधन के लिए लगनेवाले साधनसंपत्ति की कमी, विरोधकों के कपटकारस्थान, ये सबकुछ डॉ. टेसला के अविचल निर्धार एवं पूर्ण श्रद्धा के आगे कोई मायने नहीं रखता था।

यही कारण है कि आज भी डॉ. टेसला का संशोधन हमारे जीवन का एक अविभाज्य घटक बन चुका है। मानवी जीवन को अधिक सुलभ, सुशिक्षित, समृद्ध तथा ऐश्‍वर्यशाली बनाना यही तो डॉ.टेसला के संशोधन के प्रति होनेवाली मूल प्रेरणा थी। जिनका नाम भी हमने कभी सुना नहीं होता है, ऐसे अनेक महानुभव महात्मा मानव जाति पर अनेक प्रकार से उपकार करते रहते हैं। मानवीय जीवन उत्तम तरीके से प्रस्थापित करते रहते हैं। डॉ.निकोल टेसला भी ऐसे ही महानुभवों में से एक हैं। इनके बारे में जानकारी हासिल करना अर्थात हकीकत में वैज्ञानिक दृष्टि से दुनिया की ओर देखना अथवा उसका निरिक्षण करने की सीख एवं मानवीय सद्गुणों के हिमालय की विशालता का अनुभव करना।

.………..और इस ‘हिमालय का’ पर्यटन करवानेवाली लेखमाला आज हम शुरू कर रहे हैं।

 

विशालता का परमोच्च दृश्य स्वरूप अर्थात हिमालय। हममें से बहुतों ने प्रत्यक्षरूप में हिमालय को नहीं देखा होगा। परन्तु उसकी ऊँचाई, भव्यता का अहसास तो हमें होता ही है। परन्तु इस नगाधिराज हिमालय के बारे में कुछ भी न जाननेवाला यदि हमसे मिलता है तो हमें हैरानी होगी। इसीलिए मानवीय करतबगारी ही हिमालय साबित हो, इस प्रकार के व्यक्तित्व की भव्यता रखनेवाले डॉ. निकोल टेसला के बारे में अब तक हम कुछ भी नहीं जानते थे। इस बात का आश्‍चर्य एवं खेद बहुत से लोग प्रकट कर रहे हैं। अनिरुद्ध बापूजी ने हमें प्रवचन में डॉ. निकोल टेसला के बारे बताया था कि इनके समान बड़ा शास्त्रज्ञ न हुआ है और ना ही होगा। और आज तक इतने सर्वश्रेष्ठ संशोधक के बारे में हमें जानकारी नहीं थी। इस में उनका नहीं बल्कि हमारा ही दुर्भाग्य है। ऐसा बापूजी ने प्रवचन में कहा था।

डॉ. निकोल टेसला के बारे में जानकारी हासिल करना अर्थात हिमालय दर्शन करने के समान है। हमने इस महान शास्त्रज्ञ का नाम नहीं सुना होगा परन्तु उनके द्वारा किया गया संशोधन आज के मानवीय जीवन का एक अविभाज्य घटक बन चुका है। मानवीय जीवन की स्थिति गति इस असामान्य संशोधक ने बदल डाली है। इस बात की कितनी सारी गवाही दी जा सकती है। आज भी डॉ. टेसला के नाम पर 700 से ज्यादा पेटंट हैं, इस विश्‍वविक्रम को हम नही जानते। ‘अल्टरनेटींग करंट’, ‘पीस रे’, ह्युमनॉईड रोबोट, टेलिव्हिजन, रिमोट कंट्रोल, एक्सरेज्, वायरलेस पॉवर ट्रान्समिशन, इंडक्शन मोटर, रेडिओ, रोटेटिंग मॅग्नेटिक ​फिल्ड प्रिन्सिपल, वायरलेस कम्युनिकेशन, टेलिङ्गोन रिपिटर, टेसला कॉईल ट्रान्सफॉर्मर, टेलेपोर्टेशन, स्पेसटाई बेंडिंग टाईम ट्रॅव्हल अर्थात कालांतर में प्रवास और ऐसे हजारो संशोधन डॉ. टेसलाने किये है। इनके संशोधन से होनेवाली प्रगति का फायदा हम सभी अपने दैनिक जीवन में उठा रहे हैं।

अर्थात डॉ. टेसला का जन्म आज के युग में ही हुआ है? ऐसी हमारी सोच हो सकती है। परन्तु ऐसा बिलकुल भी नहीं। जिस समय में डॉ.टेसला ने ये संशोधन किया उस समय में ये बातें विज्ञान की सहायता से कोई कर सकता है, ये बात कोई मान भी नहीं सकता था। अथवा ऐसी कल्पना करनेवालों की गणना दिवानों में हो गई होती। इसीलिए पहले कोई हुआ नहीं और इसके बाद कोई होगा भी नहीं ऐसे इस संशोधक के बारे में जो जानते हैं वे डॉ. निकोल टेसला को ‘विज्ञान की देवता’ की तरह मानते हैं। इस में कोई अतिशयोक्ति नहीं। डॉ.टेसली का संशोधन मानवी जीवन के हर एक अंग को स्पर्श करनेवाला सर्वव्यापी है। उन्हें इनके लिए दी जानेवाली यह उपाधि गलत नहीं है। यह बात इस ‘मानवीय करतबगारी के हिमालय’ को पा लेनेवाला हर कोई पूरे आत्मविश्‍वास के साथ कह सकता है।

10 जुलाई 1856 के दिन टेसला का जन्म ‘ऑस्ट्रियन साम्राज्य’ में अर्थात आजके एशिया में हुआ था। निकोल टेसला का जन्म हुआ उस दिन मध्यरात्रि के समय आँखों को चकाचौंध कर देनेवाली बिजली की कडकडाहट शुरू थी।  इनका जन्म होते ही इनका स्वागत आकाश में चमचमानेवाले बिजली ने किया। इस बात की पहचान उनकी अनुभवी दाई के आँखों से बच न सकी। उसने उसी समय कहा था कि यह बालक कोई साधारण बालक नही है, यह कोई महान कार्य ज़रूर करेगा। और उसकी इस बात को टेसला ने अपने जीवनकाल में शब्दश: सच कर दिखाया।

ऑस्ट्रिया के पॉलिटेक्निक स्कूल में टेसला की स्कूली शिक्षा पूरी हुई। उसके पश्‍चात प्राग के विश्‍वविद्यालय में वे दर्शनशास्त्र  (Philosophy) का अध्ययन करने लगा। अमरीका के येल विश्‍वविद्यालय ने और कोलंबिया विश्‍वविद्यालय ने उन्हें ‘ऑनररी डॉक्टरेट’ से सम्मानित किया था। डॉ. टेसला 18 भाषाओं से अवगत थे। इनमें से 12 भाषाओं पर उनका प्रभुत्त्व था। इन में वे जिस क्षेत्र में जन्मे थे उस क्षेत्र के सर्बो-क्रोएशियन, लैटिन, इटालियन, ङ्ग्रेन्च, जर्मन तथा अंग्रेजी इन भाषाओं का समावेश है।

जीवन में डॉ. टेसला को अनेक सम्मानों से पुरस्कृत किया गया। इसकी सूची बहुत बड़ी है। परन्तु वैज्ञानिक क्षेत्र में उस समय सर्वश्रेष्ठ माने जानेवाले कुछ पुरस्कार उल्लेखनीय हैं। सर्बिया के राजा किंग मिलान प्रथम की ओर से डॉ. टेसला को 1883 में ‘आर्डर ऑफ  सेंट सावा’ इस उपाधि के साथ सम्मानित किया गया था। फ्रॅन्कलिन विश्‍व विद्यालय द्वारा दिया जानेवाला सर्वोच्च सम्मान ‘द इलियट क्रेसॉन मेडल’ डॉ. टेसला ने प्राप्त किया था। मानवीय जीवन के और भी अधिक सुदृढ़ कल्याणकारी एवं आनंददायी बनानेवालों के लिए उपलब्ध करवाया जानेवाला ‘द जॉन स्कॉट अवॉर्ड’ डॉ.टेसलाने प्राप्त किया था। ‘द ऑर्डर ऑफ प्रिन्स डानिलो’ यह मॉन्टेनेग्रो के राजा किंग निकोल के हाथों डॉ. टेसला को प्राप्त हुआ था। इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग जबरदस्त कामगिरी करनेवालों को अमरीका में दिया जानेवाला ‘एडिसन मेडल’ डॉ.टेसला को 1917 में प्रदान किया गया था।

जीते जी तो डॉ. टेसला अनेक पुरस्कारों से सम्मानित होते रहे, उसी तरह मृत्यु पश्‍चात् भी उन्हें उसी प्रकार सम्मान मिलता ही रहा। संशोधकों के ‘हॉल ऑफ फेम’ के लिए डॉ. टेसला की 1975 में नियुक्ति हुई थी। अमरीका के पोस्ट विभाग ने 1983 में टेसला के नाम से स्टैंप निकाला। इतना ही नहीं बल्कि इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बड़ा कारनामा (उपाधि प्राप्त लोगों को/अच्छी मेहनत करनेवालों को)  डॉ. टेसला के नाम से पुरस्कार प्रदान किया जाता है। ‘द निकोल टेसला अ‍ॅवॉर्ड’ अर्थात इस क्षेत्र का सर्वोत्तम सम्मान देनेवाला पुरस्कार माना जाता है।

अपने जीवनकाल में अनेक सम्मान एवं अभूतपूर्व यश संपादन करनेवाले इस अद्वितीय संशोधक की परमेश्‍वर के प्रति पूरी आस्था थी। सश्रद्धा कॅथलिक परिवार में टेसला का जन्म हुआ था। सृष्टि में होनेवाली हर एक घटना के पीछे परमेश्‍वर का है ही चमत्कार होता है ऐसी उनकी धारणा थी। विज्ञान एवं अध्यात्म ये दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, ऐसा उनका मानना था। और इन दोनों पहलुओं पर परमेश्‍वर का नियंत्रण होता है इस बात पर उनका पूरा विश्‍वास था।

इसी विश्‍वास से प्रेरित डॉ. टेसला ने लोगों को अचम्भे में डाल देनेवाली खोजें की। इतना ही नहीं तो असाधारण श्रेणी के संशोधकों के समक्ष उनके जीवन में आनेवाले संकट एवं चुनौतियाँभी उतनी ही संघर्षमय थी। परन्तु इस सत्वशील संशोधक ने अपने ऊपर आनेवाले संकटों से विचलित हुए बिना, धैर्यपूर्वक उनका सामना किया और अपना संशोधन कार्य और भी अधिक उत्तमरीति से आगे बढ़ाते रहे।

संशोधन के लिए लगनेवाली साधनसंपत्ति आदि की कमी, विरोधकों के कपटकारस्थान ये सारे डॉ. टेसला के अविचल इच्छा निर्धार एवं अटूट श्रद्धा के आगे कोई मायने नहीं रखते थे।

इसीलिए आज भी डॉ. टेसला का संशोधन हमारे जीवन का अविभाज्य अंग बना हुआ है।

इस लेखमाला में हम डॉ. टेसला के जीवन एवं उनके द्वारा किए जानेवाले संशोधन के प्रति जानकारी हासिल करेंगे कारण इस ‘हिमालय’ की जानकारी न होनेवाले दुर्भाग्य को हमें मिटा देना है, अपने आपको भाग्यवान बनाने के लिए!

4 Responses to "डॉ. निकोल टेसला – ०१"

  1. Nilesh Jadhav   September 25, 2015 at 1:53 pm

    Amazing experience. Great article. Dr. Nikola Tesla.

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  2. Suneetaveera Karande   September 26, 2015 at 8:42 am

    हरि ॐ. डॉक्टर निकोल टेसला इंसानी करतबगारी के हिमालय यह जिनकी पहचान है, जो खुद ’विज्ञान की देवता’ इस उपाधि से अपनी अद्वितीय कर्तुतोंसे की वजह से सम्मानित किए जाते हैं , ऐसे महान, भव्य व्यक्तीमत्त्व को धारण करनेवाले महान मानव को शतशत प्रणाम ! यह विश्वास ही नहीं होता है कि सारे जग में डॉक्टर निकोल टेसला जैसे महान वैज्ञानिक के बारे में अज्ञान है, जब की हम उन्हीके अद्वितीय आविष्कार रोज मर्रा के जिंदगी में अधिकतम प्रमाण में इस्तेमाल करतें हैं
    आज अनिरूध्द बापूजी ने हमें इस सत्य से परिचित करवाके समस्त मानव जाति को अनोखा उपहार दिया है
    एक नहीं , दो नहीं बल्कि ७०० वैज्ञानिक पेटंट जिनके नाम में हैं वो एक महान हस्ति परमेश्वर पर पूरी आस्था रखके , असाधारण चुनौतियों का सामना करके भी , उसी परमेश्वर के चरणों मे अपना शिस हमेशा झुकाता है – यह बात की गवाही देती की है की परमेश्वर के चरणों के प्रति प्रीती और श्रध्दा के बलबूते पर इंसान आसमान की बुलदिंयो को भी छू सकता है ।
    विज्ञान एवं अध्यात्म ये दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, और इन दोनों पहलुओं पर परमेश्‍वर का नियंत्रण होता है इस बात पर उनका पूरा विश्‍वास था यह टेसलाजी की विचारधारा हर इंसान को अपने जीवन में अपनानी चाहिए।
    बहुत धन्यवाद , प्रत्यक्ष-मित्र टीम के सभी कार्यकर्त्तां का तहे दिल से शुक्रीया, जो अनिरुध्द बापूजी का कार्य संपूर्ण रूप से दर्शा रहें हैं।

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  3. Reshma   September 26, 2015 at 10:46 am

    Nikol Tesla is father of robotics

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  4. Dattatrayasinh Gawade   January 28, 2016 at 12:11 am

    Dr. Tesla is GOD of science !

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