जर्मनी के ‘बव्हेरिया’ प्रान्त में आजादी की माँग

बर्लिन: जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल यूरोपीय महासंघों की एकजुट को अधिक मजबूत बनाने के लिए प्रयास कर रही हैं, लेकिन जर्मनी में मर्केल सरकार और यूरोपीय महासंघ की पकड़ से बाहर निकलने की गतिविधियाँ शुरू हुई हैं। जर्मनी का सबसे बड़ा प्रान्त और औद्योगीकरण केंद्र ‘बव्हेरिया’ प्रान्त में आजादी की भावना बढ़ रही है, यह बात सामने आयी है। जर्मनी के एक प्रमुख दैनिक ने किए सर्वेक्षण में ३० प्रतिशत से अधिक नागरिकों ने ‘आजाद बव्हेरिया’ की माँग का समर्थन करने की बात खुल गई है।

जर्मनी के ‘बिल्ड’ इस दैनिक ने किए सर्वेक्षण में बव्हेरिया के लगभग ३२ प्रतिशत नागरिकों ने चांसलर मर्केल का शासन और यूरोपीय महासंघ के खिलाफ तीव्र नाराजगी जताई है। इन नागरिकों ने खुद को जर्मन सरकार और महासंघ इन दोनों का भी नियंत्रण नहीं चाहिए, ऐसा अभिप्राय दर्ज किया है। जर्मनी और महासंघ से अलग होने की इस माँग का समर्थन करनेवाला एक राजनितिक पक्ष भी ‘बव्हेरिया’ में स्थापन हुआ है और उस पक्ष को ‘पार्टी ऑफ़ बव्हेरिया’ नाम दिया गया है। इस पक्ष के प्रमुख ‘फ्लोरियन वेबर’ ने इसके आगे बव्हेरिया को खुद के फैसले खुद ही लेने का हक़ चाहिए, ऐसी माँग की है।

‘बव्हेरिया प्रान्त ने एकजुट दिखाकर खुद के आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक स्थिति के बारे में फैसला लेना चाहिए। वर्तमान में बव्हेरिया के फैसले जर्मन सरकार या महासंघ की ओर से लिए जाते हैं। बव्हेरिया जनता का अधिकार छिनकर जर्मनी और यूरोपीय महासंघ अपना अधिकार जता रहे हैं। हमें यूरोपीय संसद में भी पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है। बव्हेरिया की जनसंख्या ज्यादा होते हुए भी ग्रीक जैसे कम जनसंख्या वाले देश से ज्यादा प्रतिनिधि भेजे जाते हैं’, इन शब्दों में वेबर ने बव्हेरिया की आजादी की माँग का समर्थन किया है।

जर्मनी के दक्षिण में स्थित बव्हेरिया देश का सर्वाधिक क्षेत्रफल और जनसंख्या में दूसरे क्रमांक का प्रान्त के नाम से पहचाना जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध ‘बीएमडब्लू’ और ‘ऑडी’ इन कंपनियों के प्रमुख केन्द्रों वाले बव्हेरिया प्रान्त को, जर्मनी के औद्योगिक क्षेत्र का मजबूत आधार समझा जाता है। जर्मनी के जीडीपी में तकरीबन १८ प्रतिशत से भी ज्यादा हिस्सा उठाने वाले इस प्रान्त को जर्मनी से अलग सांस्कृतिक पृष्ठभूमि और इतिहास भी है।

अधिकृत स्तर पर ‘फ्री स्टेट ऑफ़ बव्हेरिया’ इस नाम से पहचाने जाने वाले इस प्रान्त में पिछले कुछ सालों से आर्थिक स्तर पर असंतोष बढ़ रहा है। छः साल पहले सन २०११ में जर्मनी की ‘हैंस सीडेल फ़ौंडेशन’ इस संस्था ने किए सर्वेक्षण के दौरान ‘बव्हेरिया’ के २५ प्रतिशत नागरिकों ने जर्मनी से अलग होने की इच्छा जताई थी। जर्मनी में अपना स्थान सिर्फ कर और आर्थिक हिस्सा देनेवाला ऐसा ही रहने की नाराजगी बव्हेरियन जनता से व्यक्त हो रही है।

लेकिन ऐसा होते हुए भी जर्मनी से अलग होने का बव्हेरिया का रास्ता अत्यंत कठिन है। जर्मन राजघटना ने प्रान्तों का अलग होने का हक़ नकारा है और इस सन्दर्भ की याचिका भी ख़ारिज की है।

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