सत्ता के लिए चांसलर मर्केल की शरणार्थीयों के ओपन डोर पॉलिसी की उपेक्षा

बर्लिन: जर्मनी के चुनाव से पहले शरणार्थियों के संदर्भ मे लिए निर्णय को दोहराने की तैयारी दिखाने वाली ‘ओपन डोर पॉलिसी’ का समर्थन करने वाले चांसलर एंजेला मर्केल ने सत्ता स्थापित करने के लिए इस नीति से पीछे हटने का निर्णय लिया है। रविवार के दिन सत्ताधारी गठबंधन के सहयोगी पक्ष होने वाले ‘क्रिस्टियन सोशल यूनियन’ के साथ हुए दीर्घकाल चर्चा के बाद यह निर्णय घोषित किया गया है। नए निर्णय के अनुसार जर्मनी मे इससे आगे प्रतिवर्ष सिर्फ दो लाख शरणार्थी स्वीकारे जाएंगे। ‘ओपन डोर पॉलिसी’ से पीछे हटना यह जर्मन चुनाव निर्णयों ने चांसलर मर्केल को दिया पहला झटका होने की बात कही जा रही है।

ओपन डोर पॉलिसीजर्मनी मे पिछले महीने मे हुए चुनाव मे चौंका देने वाले निर्णय सामने आए थे। चांसलर मर्केल इनके सीडीयू-सीएसयू पक्ष को मिले ३३ प्रतिशत वोट यह १९४९ वर्ष के बाद का न्यूनतम रिकॉर्ड माना गया है। उस समय आक्रामक दाये विचारधारा के ‘अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी’ ने प्राप्त किए १२.६ प्रतिशत वोट उन्हें संसद मे प्रवेश देने के लिए निर्णायक माने गये है। जर्मनी का भूतपूर्व हुकुमशाह एडोल्फ हिटलर की मृत्यु के बाद लगभग ७ दशकों के बाद देश के संसद मे दाये आक्रामक पक्ष का प्रवेश जर्मनी के साथ यूरोप को झटका देने वाला था।

‘अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी’ के उदय के पीछे जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल के शरणार्थियों के बारे मे ‘ओपन डोर पॉलिसी’ का निर्णय यह प्रमुख घटक होने की टीका, जर्मनी से अन्य राजकीय पक्ष तथा विश्लेषक कर रहे थे। जर्मनी मे चुनाव का प्रचार शुरू होते समय उसके स्पष्ट संकेत मिल रहे थे। प्रचार के दौरान चांसलर मर्केल को शरणार्थियों के मुद्दे पर तीव्र असंतोष का सामना करना पड़ा था। इस असंतोष की पृष्ठभूमि पर मर्केल इनके सत्ताधारी गठबन्धन का भाग होने वाले ‘क्रिस्टियन सोशल यूनियन’ ने सरकार स्थापित करने के लिए आक्रामक शर्तें रखी है।

ओपन डोर पॉलिसीअपने चांसलर पद के कार्यकाल मे पहली बार मर्केल को ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा है। ‘क्रिस्टियन सोशल यूनियन’ के साथ संलग्न होने के बाद भी सत्ता स्थापित करने के लिए अन्य पक्षों के साथ बातचीत आवश्यक होने वाली है। उसके लिए सीडीयू-सीएसयू यह वास्तविक गठबंधन आवश्यक होने के लिए व्यवस्था से मर्केल ने सहयोगी पक्ष के साथ बातचीत शुरू करने की बात मानी जा रही है। रविवार के दिन हुए चर्चा के बाद ‘क्रिस्टियन सोशल यूनियन’ के नेता होर्स्ट सिहौफर ने ‘शरणार्थियों की संख्या’ का मर्यादा यह मुद्दा प्रमुख एजेंडा पर होने की बात स्पष्ट की थी।

जर्मनी मे आगे होने वाले चुनाव मे ‘एएफडी’ को अगर रोकना है, तो शरणार्थियों के मुद्दे पर एक कदम पीछे आना आने की भूमिका ‘क्रिस्टियन सोशल यूनियन’ ने ली थी। आगे चलकर गर्दन झुकाए चांसलर मर्केल ने ‘ओपन डोर पॉलिसी’ को नजरंदाज करने का निर्णय लिया है। रविवार के दिन हुए निर्णय के अनुसार आगे चलकर जर्मनी मे आने वाले शरणार्थियों की संख्या प्रतिवर्ष २ लाख तक मर्यादित रखी जायेगी। उसके साथ आने वाले समय मे उत्तर अफ्रीका के ३ देशों को सुरक्षित घोषित करना और विशेष कौशल्य होने वाले शरणार्थियों को प्राथमिकता देना, इन प्रावधान का समावेश होने वाला स्वतंत्र कानून करने के संकेत दिए गए है।

चांसलर मर्केल ने ‘ओपन डोर पॉलिसी’ को नजरअंदाज करना युरोपीय महासंघ की दृष्टि रूप से महत्वपूर्ण मुद्दा माना जाएगा। इससे पूर्व मर्केल इनके इस नीति को विरोध करने वाले देशों को अधिक बल मिलने वाला है और उसका समर्थन करने वाले नेता संकट मे आने की आशंका है।

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