चीन आर्थिक बल पर युरोप को ‘कंट्रोल’ कर रहा है- विश्लेषक एवं अधिकारियों का आरोप

बीजिंग / ब्रूसेल्स: चीन अपने आर्थिक सामर्थ्य के बल पर युरोपीय महासंघ को नियंत्रित कर रहा है ऐसा सनसनीखेज आरोप युरोप के कुछ अधिकारी एवं विश्लेषकों ने किया है। आर्थिक निवेश के बल पर चीन ने कुछ युरोपीय देशों को अपने पक्ष मे निर्णय लेने पर विवश करने का दावा, इस आरोप मे किया गया है। युरोप मे चीनी निवेश पर प्रतिबंध लाने के प्रस्ताव पर यह मुद्दा सामने आया है। इस से पूर्व अफ्रीका, लैटिन अमरीका और आशियाई देशों मे चीन ने अपने अर्थ सहायता के बल पर स्थानिक सरकार को चीन के पक्ष मे निर्णय लेने के लिए विवश करने का आरोप हुआ था।

आर्थिक सामर्थ्य

पिछले कई वर्षों से युरोप मे चीन का निवेश बढ़ रहा है और चीनी कंपनियों ने युरोप के बंदरगाह, ऊर्जा उपक्रम, परिवहन व्यवस्था, तंत्रज्ञान कंपनी पर कब्जा पाने के लिए शुरुआत की है। चीन के इस आक्रामकता पर युरोप के अग्रणी देशों मे चिंता बढ़ रही है। जर्मनी, फ्रांस इटली इन जैसे देशों ने चीन के निवेश पर लगाम लगाने के लिए कठोर प्रावधान का समावेश होने वाला प्रस्ताव सामने लाया था। पर युरोपीय महासंघ की बैठक मे यह प्रस्ताव झूठलाया गया और उसके बजाए चीन के लिए सुलभ स्वरूप का प्रस्ताव मंजूर किया गया है।

चीनी निवेश को लगाम लगाया जाए इसके लिए चीन ने युरोप मे अपने आर्थिक बल का उपयोग करने की बात स्पष्ट हुई है। चीन का बड़ा निवेश होने वाले फिनलैंड, स्वीडन एवं नेदरलैंड जैसे देशों ने इस मे महत्वपूर्ण भूमिका ली है। स्वीडन के संसद सदस्य सैद अब्दु ने, स्वीडन ने युरोपीय प्रस्ताव को किए विरोध के पीछे चीनी कंपनियों का निवेश जिम्मेदार होने का बयान दिया है। स्वीडन मे अग्रणी के वाहन निर्माण करने वाले कंपनी ‘नेव्ह्स’ एवं ‘वोल्वो’ पर चीनी कंपनियों का कब्जा होने के मुद्दे से ध्यान केंद्रित किया है।

जर्मन मंत्रियों ने इस मामले मे खुलकर चीन के विरोध मे भूमिका ली है। चीन के सीधे निवेश की वजह से पिछले कई वर्षों मे युरोप मे अनेक देशों को बड़ी तादाद मे फायदा हुआ है। इसी वजह से इसी बल पर चीन अब इन देशों पर खुलकर दबाव ला रहा है, ऐसा आरोप जर्मनी के वाणिज्य व्यवहार मंत्री मथायस मैक्निग ने किया है। युरोप मे कुछ विश्लेषकों ने चीन अब युरोपीय महासंघ के निर्णय क्षमता पर प्रभाव डालने के लिए सक्षम होने का दावा किया है।

पिछले महीने मे युरोपीय देशों मे चीन दरार ला सकता है, ऐसा सनसनीखेज बयान जर्मनी के विदेश मंत्री सिग्मार गेब्रियल ने किया था। अगर युरोपीय महासंघ चीन के बारे मे अपनी स्वतंत्र नीति बनाने मे सफल नहीं होगा, तो चीन युरोप के टुकड़े करने मे सफल होगा, ऐसा इशारा जर्मनी के विदेश मंत्री सिग्मार गेब्रियल ने उस समय दिया था।

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