‘सी ऑफ जापान’ में अमरिकी विध्वंसक की रशिया को चुनौती

वॉशिंग्टन/मॉस्को – पिछले कुछ महीनों से ‘साउथ चायना सी’ में अपने विध्वंसक भेजकर, चीन की गतिविधियों को चुनौती दे रही अमरीका ने अब रशिया को भी चुनौती दी है। मंगलवार के दिन एशिया-पैसिफिक क्षेत्र का हिस्सा होनेवाले ‘सी ऑफ जापान’ में, अमरिकी विध्वंसक ने रशियन समुद्री सीमा के करीब से यात्रा की। रशियन युद्धपोतों ने अमरिकी विध्वंसक का पीछा करके उसे भगाया, यह दावा रशियन रक्षा विभाग ने किया है। इससे पहले भूमध्य समुद्री क्षेत्र एवं ‘ब्लैक सी’ में अमरीका और रशिया के युद्धपोत एवं लड़ाकू विमान भी एक-दूसरे के सामने आने की घटनाएँ हुई हैं। लेकिन, पैसिफिक क्षेत्र में ऐसी घटना होने का यह पहला अवसर है।

sea-of-japanमंगलवार के तड़के अमरीका की प्रगत विध्वंसक ‘यूएसएस जॉन मैक्वैन’, जापान और रशिया के बीच होनेवाले ‘सी ऑफ जापान’ से सफर कर रही थी। इस समुद्री क्षेत्र का हिस्सा होनेवाले ‘पीटर द ग्रेट गल्फ’ के क्षेत्र में जारी यात्रा के दौरान, रशियन युद्धपोतों ने अमरिकी विध्वंसक को वापिस लौटने के लिए चेतावनी दी। अमरिकी विध्वंसक रशिया की समुद्री सीमा से मात्र दो किलोमीटर दूरी पर होते समय, रशिया के ‘एडमिरल विनोग्रॅडव्ह’ नामक युद्धपोत ने अपना रूख अमरिकी विध्वंसक की दिशा में कर दिया। इसके बाद अमरिकी विध्वंसक पीछे हटी, यह दावा रशिया ने किया है। अमरिकी विध्वंसक की आक्रामक गतिविधियों के बाद रशिया ने अपना दूसरा युद्धपोत ‘सॉव्हरशेनी’ को भी अमरिकी युद्धपोत के पीछे रवाना किया था, ऐसा रशिया ने कहा है।

sea-of-japanरशिया के ये दावे अमरीका ने स्पष्ट शब्दों में ठुकराए हैं। ‘रशिया ने प्रदान की हुई जानकारी पूरी तरह से गलत है। ‘युएसएस जॉन मैक्वॅन’ को किसी भी देश की सीमा से भगाया नहीं गया है। अमरिकी युद्धपोत आन्तर्राष्ट्रीय नियमों के अनुसार, ‘फ्रिड़म ऑफ नेव्हिगेशन’ मुहीम चला रहा था। अमरीका किसी भी देश ने लगाए दबाव के सामने नहीं झुकेगी। साथ ही, समुद्री सीमा को लेकर किए जा रहें अवैध दावे भी स्वीकार नहीं करेंगे। इस मामले में रशिया ऐसी ही कोशिश करता हुआ दिख रहा है। समुद्री परिवहन की आज़ादी एवं समुद्री क्षेत्र के नियमों को लेकर अमरीका वचनबद्ध है’, इन शब्दों में अमरिकी नौसेना ने रशिया को प्रत्युत्तर दिया है।

sea-of-japan१९ वीं सदी में चीन के विरोध में हुए युद्ध के बाद, रशिया ने ‘सी ऑफ जापान’ के बड़े समुद्री क्षेत्र पर कब्ज़ा किया था। इसे ‘पीटर द ग्रेट गल्फ’ यह नाम देकर, इस क्षेत्र पर अपना ऐतिहासिक अधिकार होने का दावा किया था। बीते शतक में रशिया ने इस समुद्री क्षेत्र का दायरा अधिक बढ़ाने की कोशिश की थी। इस क्षेत्र में रशिया ने अपनी ‘पैसिफिक फ्लीट’ का निर्माण करके बड़ी मात्रा में तैनाती की है। लेकिन, अमरीका ने रशिया का अधिकार ठुकराया है और आन्तर्राष्ट्रीय दायरे के बाहर किए गए दावें स्वीकार नहीं करेंगे, यह चेतावनी भी दी है।

इससे पहले अमरीका ने इस क्षेत्र में अपना युद्धपोत भेजा नहीं था। लेकिन, जापान में स्थित अमरिकी रक्षा अड्डे से अमरिकी गश्‍ती विमान एवं ‘बॉम्बर्स’ इस क्षेत्र में मंड़राते हैं, ऐसा कहा जा रहा है। बीते कुछ वर्षों में अमरीका ने ‘इंडो-पैसिफिक’ पर अपना ध्यान केंद्रित किया है। लेकिन इसका रूख, चीन की गतिविधियों का केंद्र बने ‘साउथ चायना सी’ की ओर रहा है। इस पृष्ठभूमि पर गौर करें, तो अमरिकी युद्धपोत ने रशियन सीमा के करीब सफर करना ध्यान आकर्षित करता है।

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