आर्क्टिक की रक्षासिद्धता के लिए रशिया द्वारा ‘रिसर्च लैब’ का निर्माण

मॉस्को – आर्क्टिक क्षेत्र के अतिठंड़ मौसम में इस्तेमाल किये जानेवाले शस्त्रास्त्रों के लिए रशिया ने स्वतंत्र ‘रिसर्च लैब’ का निर्माण किया है। ‘द सेंट्रल सायंटिफिक रिसर्च इन्स्टिट्यूट फॉर प्रिसिजन मशिन इंजिनिअरिंग’ इस संस्था ने यह जानकारी दी है। लैब में ‘माइनस ६० अंश’ इतने कम तापमान में शस्त्रों का परीक्षण करने की सुविधा है, ऐसा बताया जाता है। कुछ ही महीने पहले रशिया ने आर्क्टिक के लिए स्वतंत्र नीति घोषित की होकर, उसमें ईंधनक्षेत्र का विकास और लष्करी सिद्धता के लिए महत्त्वाकांक्षी योजनाओं का समावेश है। नयी ‘रिसर्च लैब’ भी उसीका भाग माना जाता है।

russia-arctic-research-labआर्क्टिक क्षेत्र में से लगभग ५३ प्रतिशत सागरकिनारा और ५० प्रतिशत आबादी रशिया का भाग माना जाता है। रशिया द्वारा उत्पादन होनेवाले प्राकृतिक ईधनवायु में से ९० प्रतिशत प्राकृतिक वायु आर्क्टिक क्षेत्र में से आता है; वहीं, क्रूड़ ऑईल के उत्पादन में से लगभग २० प्रतिशत आर्क्टिकस्थित ईंधनक्षेत्र से आता है। पिछले कुछ सालों में आर्क्टिक क्षेत्र का बरफ़ तेज़ी से पिघलने की शुरुआत हुई है, जिससे कि इस सागरी मार्ग से होनेवाले व्यापार में भी बढ़ोतरी होने लगी है। इस सारी पृष्ठभूमि पर, रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन ने गत कुछ वर्षों में आर्क्टिक क्षेत्र के ओर ख़ास ध्यान देना शुरू किया है, यह बात सामने आ रही है।

पिछले दशकभर में रशिया ने आर्क्टिक भाग में और उससे सटे प्रांतों में ५० से अधिक रक्षा अड्डे सक्रिय किये हैं। आर्क्टिक सागरी क्षेत्र के लिए रशिया ने पाच प्रगत ‘न्यूक्लिअर आईसब्रेकर्स’ कार्यरत करने की महत्त्वाकांक्षी योजना बनायी होकर, उनमें से एक् सितम्बर महीने में सक्रिय हुआ है। कुछ महीने पहले रशिया ने ‘फ्रान्स जोसेफ लँड’ इस आर्क्टिकस्थित भाग में प्रगत लड़ाक़ू विमानों की सहायता से हवाईअभ्यास आयोजित किया होकर, इस क्षेत्र के हवाई अड्डे युद्धसिद्ध किये होने का दावा डेन्मार्क की गुप्तचर यंत्रणा ने किया है।

russia-arctic-research-labपिछले छ: महीनों में रशिया ने आर्क्टिक भाग में अतिप्रगत क्षेपणास्त्रों के परीक्षण किये होने की बात भी सामने आयी है। अगस्त-सितम्बर महीनों में ‘बुरवेस्टनिक’ नामक ‘न्यूक्लिअर पॉवर्ड क्रूझ मिसाईल’ का परीक्षण किया, ऐसा बताया जा रहा है। वहीं, नवम्बर महीने में ‘झिरकॉन’ इस प्रगत हायरपसोनिक क्षेपणास्त्र का भी परीक्षण किया गया है। रक्षा अड्डों का निर्माण तथा ये परीक्षण यही दर्शाते हैं कि रशिया आर्क्टिक में लष्करी वर्चस्व के लिए गतिविधियाँ कर रहा है। आर्क्टिक में शस्त्रास्त्रों के परीक्षण के लिए शुरू की गयी लैब भी उसीका भाग है।

इस लैब का निर्माण शीतयुद्ध के दौर में किया गया था। लेकिन उसके बाद आर्थिक मुश्किलों के कारण बंद की गयी थी। रशिया की आर्क्टिक नीति के तहत वित्तसहायता उपलब्ध कराके उसे पुन: शुरू किया गया होकर, उसमें फिलहाल रायफल्स, ग्रेनेड लाँचर्स और तोपगोलों का परीक्षण शुरू किया गया है, ऐसी जानकारी दी गयी है। इस लैब के बाद रशिया ने, केवल आर्क्टिक क्षेत्र के संशोधन के लिए स्वतंत्र ‘रिसर्च वेसल’ भी लाँच किया होने की बात सामने आयी है।

पिछले हफ़्ते ‘नॉर्थ पोल’ नामक यह शिप लाँच किया गया होकर, उसके लिए पूरे १० करोड़ डॉलर्स खर्च किये गए हैं। यह पोत लगातार दो साल सागरी तथा बर्फ़ीले क्षेत्र में सक्रिय रह सकता है, ऐसा दावा रशियन सूत्रों द्वारा किया गया है।

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