अमरीका ‘क्वाड’ देशों के फ़ाइटर पायलटों को प्रशिक्षण देगी

वॉशिंग्टन – इंडो-पॅसिफिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती लष्करी गतिविधियों की पृष्ठभूमि पर, अमरीका ने भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान इन देशों की सहायता से इस क्षेत्र में अपनीं गतिविधियाँ अधिक आक्रमक की हैं। ‘क्वाड’ अंतर्गत आनेवाले भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान इन देशों के पायलटों के लड़ाक़ू विमानों का प्रशिक्षण दिया जानेवाला है, यह अमरीका ने स्पष्ट किया। चीन के सागरी क्षेत्र से २६०० किलोमीटर दूरी पर होनेवाले इंडो-पॅसिफिक क्षेत्र में स्थित गुआम द्वीप पर अमरीका यह प्रशिक्षण देगी। युरोपस्थित अपनी सेना इंडो-पॅसिफिक क्षेत्रों में तैनात करने की घोषणा करने के बाद, अगले कुछ ही घंटों में अमरीका ने ‘क्वाड’ के संदर्भ में किया यह फ़ैसला चीन के लिए चेतावनी साबित होती है।Quad-countries-Fighter-Jet-Training

अमेरिकन सिनेट की ‘आर्म्ड सर्व्हिसेस कमिटी’ के सामने बिल प्रस्तुत किया जायेगा। अमरीका के ‘नॅशनल डिफेन्स ऑथोरायझेशन ॲक्ट’ के तहत, इंडो-पॅसिफिक क्षेत्र में अमरीका की लष्करी ताक़त को मज़बूती देने के लिए सहयोगी और मित्रदेशों को सिद्ध करने का प्रस्ताव रखा गया। इसके लिए अमरीका ने गठित किये ‘क्वाड’ के अंतर्गत आनेवाले भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान इन देशों को विशेष लष्करी सहायता की आपूर्ति करने की बात स्पष्ट की गयी। इसमें संबंधित देशों के पायलट्स को लड़ाक़ू विमानों का प्रशिक्षण देने के संदर्भ में प्रस्ताव रखा गया। ‘सिनेट आर्म्ड सर्विसेस कमिटी’ के अध्यक्ष जिम इनहॉप ने यह जानकारी साझा की। आनेवाले कुछ हफ़्तों में अमरीका के रक्षामंत्री मार्क एस्पर इस संदर्भ में महत्त्वपूर्ण फ़ैसला कर सकते हैं।

आनेवाले समय में, चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए इंडो-पॅसिफिक क्षेत्र के अपने सहयोगी और मित्रदेशों को सिद्ध करने के उद्देश्य से अमरीका यह प्रशिक्षण देनेवाली है। इस प्रशिक्षण के तहत, अमरीका इंडो-पॅसिफिक क्षेत्र में अहम गतिविधियाँ भी करनेवाली है। इसमें लाँग रेंज विनाशिकाभेदी क्षेपणास्त्रों की तैनाती का भी फ़ैसला किया जा सकता है। इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव की पृष्ठभूमि पर अमरीका यह फ़ैसला करेगी, ऐसा दावा अमरिकी माध्यम कर रहे हैं। उसीके साथ, चीन की लष्करी गतिविधियों का जवाब देने के लिए अमरीका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान इन ‘क्वाड’ देशों के संयुक्त लष्करी अड्डें भी इस क्षेत्र में कार्यरत हो सकते हैं। ये संयुक्त लष्करी अड्डें चीन के लिए सबसे बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।

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