नौसेना के लिए युद्धपोत और पनडुब्बियाँ खरीदने के लिए ५१ अरब डॉलर्स खर्च करेंगे – रक्षा राज्यमंत्री श्रीपाद नाईक

नई दिल्ली – भारतीय समुद्री सीमा की सुरक्षा कर रही नौसेना को अधिक ताकतवर बनाने के लिए अगले दस वर्षों में भारत सरकार ३.५ लाख करोड़ रुपये (५१ अरब डॉलर्स) खर्च करेगी। नौसेना के लिए नए युद्धपोत, पनडुब्बियां और अन्य प्रगत सामान की खरीद इससे की जाएगी, यह ऐलान रक्षा राज्यमंत्री श्रीपाद नाईक ने किया है। भारत के पड़ोसी देश और भारत की भूराजनीतिक स्थिति देखकर भारतीय नौसेना ताकतवर रहना और समुद्री सुरक्षा मज़बूत रहना काफी अहम है, यह बयान रक्षा राज्यमंत्री नाईक ने किया।

indian-navyभारत को विशाल समुद्री तट प्राप्त हुआ है और इस तटीय क्षेत्र की काफी अहमियत है। मुंबई पर हुआ २६/११ का हमला करने के लिए आतंकी समुद्र के रास्ते ही पहुंचे थे, यह बात रेखांकित करके भारत की भूराजनीतिक स्थिति और पड़ोसी देशों की ओर देखें तो नौसेना ताकतवर होना काफी ज़रूरी है। इस विषय पर बढ़ रही चुनौतियों पर गौर करके अगले दौर में नौसेना को बड़ी मात्रा में युद्धपोत और पनडुब्बियों की आवश्‍यकता रहेगी। नौसेना इस खरीद के लिए ऑर्डर निकालेगी। अगले दस वर्षों में कम से कम ३.५ लाख करोड़ रुपये नौसेना की यह आवश्‍यकताएं पूरी करने के लिए खर्च किए जाएंगे, यह जानकारी नाईक ने साझा की। यह माँग पूरी करने के लिए शिपयार्ड की बड़ी अहमियत रहेगी। क्योंकि, पोतों का निर्माण भारत में ही स्वदेशी तकनीक से करने पर जोर रहेगा, यह बयान भी नाईक ने किया।

गोवा शिपयार्ड लिमिटेड़ (जीएसएल) और माज़गांव डॉक शिपयार्ड लिमिटेड (एमडीएसएल) के लिए उपलब्ध होनेवाले अवसरों पर आयोजित एक वर्चुअल परिषद में रक्षा राज्यमंत्री नाईक ने यह जानकारी साझा की। नौसेना के लिए फिलहाल जो प्रावधान हो रहा है उसमें से ६० प्रतिशत प्रावधान पूंजीगत के लिए होता है। इस खर्च से भी ७० प्रतिशत खरीद देश में ही होती है। बीते पांच वर्षों में देश में खरीद के लिए ६६ करोड़ रुपये खर्च किए गए है, यह बात नाईक ने रेखांकित की।

फिलहाल भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल के लिए ६० से अधिक पोत और पनडुब्बियों का निर्माण हो रहा है। गोवा शिपयार्ड, माज़गांव शिपयार्ड, गार्डन रिच शिपबिल्डर, हिंदुस्थान शिपयार्ड और कोची शिपयार्ड में यह निर्माण कार्य जारी हैं, यह जानकारी भी रक्षा राज्यमंत्री ने साझा की है।

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