‘आयएनएस अरिदमन’ जलावतरण के लिए सज्ज

नई दिल्ली: भारत की दूसरी परमाणु पनडुब्बी ‘आयएनएस अरिदमन’ का जल्द ही जलावतरण किया जाने वाला है ऐसी खबर है। पूरी तरह से भारतीय निर्माण के अरिहंत श्रेणी की इस पनडुब्बी की वजह से भारतीय नौसेना की क्षमता में प्रचंड बढ़ोत्तरी होने वाली है। अगले दो सालों में विविध परिक्षण पूरे होने के बाद यह पनडुब्बी भारतीय नौसेना के ताफों में दाखिल किया जाने वाला है।

पिछले वर्ष भारतीय निर्माण की परमाणु पनडुब्बी ‘आयएनएस अरिहंत’ भारतीय नौसेना में दाखिल हुई थी। उसके बाद ‘आयएनएस अरिदमन’ जलावतरण के लिए सज्ज हुई है। ‘आयएनएस अरिदमन’ का निर्माण विशाखापत्तनम स्थित जहाज निर्माण केंद्र में किया गया है। इसके लिए आठ बरस लगे हैं। इसके पहले भारतीय नौसेना के ताफे में दाखिल हुई ‘आयएनएस अरिहंत’ के निर्माण के लिए ११ साल लगे थे।

‘आयएनएस अरिदमन’भारत की ‘एडवांस टेक्नोलॉजी व्हेसल’ परियोजना के तहत ‘आयएनएस अरिदमन’ का निर्माण किया गया है। ‘आयएनएस अरिदमन’ पर स्थित रिएक्टर ‘आयएनएस अरिहंत’ पर स्थित ‘लाइट वाटर रिएक्टर’ से भी अधिक क्षमता का है। इस वजह से पानी के नीचे ‘आयएनएस अरिदमन’ बहुत तेजी से अंतर पार सकती है। ‘आयएनएस अरिदमन’ पर स्थित रिएक्टर ‘प्रेशराईज्ड वाटर रिएक्टर’ श्रेणी का है और इस वजह से पनडुब्बी प्रति घंटा २४ समुद्री मील अंतर की गति प्राप्त कर सकती है। सतह पर यह पनडुब्बी १२ से १५ समुद्री मील गति से सफ़र कर सकती है।

इस पनडुब्बी पर ‘आयएनएस अरिहंत’ की तरह अत्याधुनिक ‘के-१५’ अल ‘के-४’ जैसे मिसाइल तैनात किए जाने वाले हैं और उनकी भारी मारक क्षमता की वजह से भारतीय नौसेना की क्षमता भी बढ़ेगी। इस महीने के अंत में अथवा अगले महीने में ‘आयएनएस अरिदमन’ का जलावतरण होने की खबर है। जलावतरण होने के बाद यह पनडुब्बी अत्याधुनिक मिसाइल यंत्रणा से सज्जित की जाएगी और विविध समुद्री परीक्षणों को शुरुवात होगी। इन समुद्री परीक्षणों के बाद २०१९ तक यह भारतीय नौसेना के ताफे में दाखिल होगी।

जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे के हालही में पूरे हुए भारत दौरे में जापान की ओर से भारत को पनडुब्बी निर्यात करने पर चर्चा हुई थी। इसके पहले ‘प्रोजेक्ट-७५’ के तहत भारत में स्कोर्पियन श्रेणी की छः पनडुब्बियों का निर्माण कार्य फ़्रांस की सहायता से शुरू हुआ है। ‘प्रोजेक्ट-७५ (आई)’ के तहत अल छः पनडुब्बियों का निर्माण किया जाने वाला है। लेकिन उसी समय पनडुब्बी युद्ध तकनीक में महत्वपूर्ण साबित होने वाली परमाणु पनडुब्बी के निर्माण पर भी भारत जोर दे रहा है।

पिछले कुछ सालों से हिन्द महासागर से लेकर भारत की अन्य समुद्री सीमा के पास चीन की पनडुब्बियां दिखाई देने की घटनाएँ सामने आई हैं। चीन अपनी नौसेना के सामर्थ्य में जानबूझकर बढ़ोत्तरी कर रहा है और इस वजह से भारत को बहुत बड़ा खतरा निर्माण हुआ है। विशेष रूप से चीन की नौसेना में ७० से अधिक पनडुब्बियों का समावेश है, जिन में परमाणु पनडुब्बियों की संख्या ज्यादा है। इसी वजह से भारत को अपनी परमाणु पनडुब्बियों की संख्या में बढ़ोत्तरी करना अनिवार्य बन गया है।

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