जिनपिंग लगातार तीसरी बार चीन के राष्ट्राध्यक्ष चुने गए

बीजिंग – शी जिनपिंग तीसरी बार चीन के राष्ट्राध्यक्ष के रूप में चुने गए हैं। चीन पर पूरा नियंत्रण रखने वाली कम्युनिस्ट पार्टी की ‘नैशनल पीपल्स कांग्रेस’ ने जिनपिंग के राष्ट्राध्यक्ष पद के तीसरे कार्यकाल का ऐलान किया। इसकी वजह से जिनपिंग चीन की ’सबसे ताकतवर नेता’ होने की बात फिर से साबित हुई है और उन्हें चुनौती देने की ताकत चीन के अन्य किसी भी नेता में न होने की बात सामने आयी है। राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग फिर से राष्ट्राध्यक्ष बनने से इसकी गूंज पूरी दुनिया में सुनाई दे रही है।

चीन के राष्ट्राध्यक्षपिछले साल सितंबर में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के चुनावों में राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग को पक्ष प्रमुख के रूप में चुना गया था। इसके कुछ दिनों बाद राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने पिपल्स लिबरेशन आर्मी के सभी अधिकार फिर से अपने हाथ में लिए थे। चीन की सत्ता की बागड़ोर संभालने के लिए आवश्यक दोनों प्रमुख पद अपने हाथों में रखने के बाद राष्ट्राध्यक्ष पद का नियंत्रण भी जिनपिंग के हाथों में ही होगा, यह स्पष्ट था। उम्मीद के अनुसार शुक्रवार को चीन की नैशनल पिपल्स कांग्रेस ने जिनपिंग की पूरी सहमति के साथ नियुक्ती होने का ऐलान किया।

जिनपिंग के इस चयन की खबर अंतरराष्ट्रीय माध्यमों ने जारी करने के बाद दुनियाभर के विश्लेषकों ने इस पर जोरदार बयान किए हैं। चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत के कड़े विरोधी और अमरीका के प्रसिद्ध विश्लेषक गॉर्डन चैंग ने जिनपिंग के चुने जाने पर तीव्र चिंता जताई है। कम्युनिस्ट पार्टी और चीन की सेना पर पकड़ के बाद चीन का राष्ट्राध्यक्ष चुना जाना महज औपचारिकता बची थी। शुक्रवार को यह भी पूरी हो गई। राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने चीन को पहाड़ की चोटी पर ले गए थे। आनेवाले समय में वे चीन को वहां से धकेल देंगे, ऐसी चेतावनी गॉर्डन चैंग ने दी।

ऐसे में, शुक्रवार को हुए मतदान में चीन के नैशनल कांग्रेस में कुल २९५२ वोट दर्शाए गए और यह सभी वोट जिनपिंग के पक्ष में थे, इस पर कुछ अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। इससे जिनपिंग की कम्युनिस्ट पार्टी पर मज़बूत पकड़ स्पष्ट होती है, ऐसा विश्लेषक कह रहे हैं। चीनी जनता के अलावा कम्युनिस्ट पार्टी पर भी जिनपिंग ने अपनी पकड़ मज़बूत की है और अपने विरोधियों को जिनपिंग ने योजना के तहत एक तरफ हटा दिया, यही इस नतीजे से साबित होता है।

पिछले साल कम्युनिस्ट पार्टी की बैठक में जिनपिंग के अंगरक्षकों ने चीन के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष हु जिंताओ को हाथ पकड़कर बाहर निकाला था। इसके वीडियोज्‌‍ और फोटो विश्वभर में प्रसिद्ध हुए थे। जिंताओ की तबियत खराब होने से उन्हें बाहर ले जाया गया, ऐसा चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने कहा था। लेकिन, कोरोना के दौर में जिनपिंग ने अपने देश की प्रतिमा में खराब करने के मुद्दे पर जिंताओ ने स्पष्ट नाराज़गी व्यक्त की थी। इसके प्रतिशोध के रूप में जिनपिंग को बैठक से बाहर निकाला गया, ऐसा दावा कुछ विश्लेषकों ने किया था। इसके अलावा कम्युनिस्ट पार्टी के जिनपिंग के विरोधियों की गूढ़ रूप से मृत्यु हुई है, इस पर भी यह विश्लेषक ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। इस तरह जिनपिंग ने पिछले साल कम्युनिस्ट पार्टी पर अपनी पकड़ मज़बूत की थी, इसकी याद विश्लेषक दिला कर रहे हैं।

इसी बीच चीन के राष्ट्राध्यक्ष पद पर लगातार तीसरी बार पकड़ बनाए रखने वाले जिनपिंग आनेवाले दिनों में अपने सैन्य इरादे पूरे करेंगे। इसमें तैइवान पर सैन्य हमला करने का समावेश होगा, ऐसा दावा किया जा रहा है। दो दिन पहले अमरीका के ‘ऑफिस ऑफ डायरेक्टर ऑफ नैशनल इंटेलिजन्स’ ने अपनी सालाना रपट में ताइवान की सुरक्षा को चीन से खतरा प्रसिद्ध किया था। साल २०२७ तक चीन ताइवान पर हमला करने की कोशिश करेगा, ऐसा इशारा अमरिकी यंत्रणा दे रही है।

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