चीन के राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग के स्वास्थ्य को लेकर विश्‍वभर में चर्चा – ६०० से अधिक दिन में एक भी विदेश यात्रा नहीं

बीजिंग – चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग के स्वास्थ्य को लेकर विश्‍वभर में बड़ी चर्चा जारी है। बीते ६०० से अधिक दिनों में जिनपिंग ने एक भी विदेश यात्रा नहीं की है। ‘जी-२०’ गुट के किसी भी देश का राष्ट्रप्रमुख लगातार इतने लंबे समय तक देश में रुका नहीं रहा है। बीते कुछ दिनों में ‘ब्रिक्स’ एवं ‘एससीओ’ की बैठकों में जिनपिंग वीडियो कान्फरन्स के माध्यम से शामिल हुए थे।

जिनपिंग के स्वास्थ्यअंतरराष्ट्रीय माध्यमों ने जारी किए वृत्त के अनुसार चीन के राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग अपनी आखिरी विदेशी यात्रा के दौरान म्यांमार गए थे। यह यात्रा जनवरी २०२० में हुई थी। इसके बाद तिब्बत के दौरे के अलावा जिनपिंग ज्यादातर राजधानी बीजिंग से बाहर ही नहीं निकले, ऐसा सूत्रों द्वारा कहा जा रहा है। अमरीका के ‘यूएस टूडे’ की खबर में यह दावा किया गया है कि, जिनपिंग विदेशी नेताओं से मुलाकात करने से भी दूर रहे हैं।

बीते वर्ष से विदेश यात्रा के लिए चीन पहुँचे विभिन्न नेताओं से जिनपिंग से मुलाकात के कार्यक्रमों को भी टाला गया है। अधिकांश विदेशी नेताओं को राजधानी बीजिंग से बाहर उतारा गया है। इन नेताओं को जिनपिंग के बजाय विदेशमंत्री वैंग यी से मिलाया जाने की बात सामने आ रही है। स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या के कारण ही जिनपिंग विदेशी नेताओं से मिलने से दूर रहते होंगे, ऐसा कहा जा रहा है।

वर्ष २०१९ में यूरोप यात्रा के दौरान की घटनाओं की और भी माध्यमों ने ध्यान आर्षित किया है। उस यात्रा में सलामी स्वीकारते समय चीनी राष्ट्राध्यक्ष के पैर लड़खड़ाए थे। इसके अलावा फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युएल मैक्रॉन के साथ चर्चा के लिए बैठते समय उन्हें कुर्सी के दोनों हाथों का सहारा लेना पड़ा था। तब भी उनके स्वास्थ्य को लेकर आशंका जताई गई थी। लेकिन, चीन की हुकूमत ने इसे ठुकराया था। बीते वर्ष शेन्झेन में हुए एक समारोह के लिए जिनपिंग तय समय से काफी देरी से पहुँचे थे। साथ ही वे लगातार खांस रहे थे और पानी पीकर धीमी आवाज में बात कर रहे थे।

इस पृष्ठभूमि पर गौर करें तो बीते १ वर्ष और ८ महीनों में किसी भी देश की यात्रा किए बगैर चीन में ही रुके रहे जिनपिंग की स्वास्थ्य का रहस्य बढ़ा है। जिनपिंग के बाहर ना निकलने के पीछे अन्य कुछ कारण भी हो सकते हैं, यह दावा कुछ माध्यम कर रहे हैं। इसमें कोरोना की महामारी के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन की बदनामी और जिनपिंग के एकाधिकारशाही के खिलाफ कम्युनिस्ट पार्टी में संभावित विद्रोह का भी समावेश है। बीते दो-तीन वर्षों के दौरान चीन में जिनपिंग के खिलाफ खुलेआम नाराज़गी व्यक्त हो रही है, इस ओर भी सूत्रों ने ध्यान आकर्षित किया है।

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