‘लैब लीक’ के आरोप से बेचैन हुए चीन ने की भारतीय माध्यमों की आलोचना

‘लैब लीक’बीजिंग – दुनिया भर में फैली हुई कोरोना की महामारी यानि चीन ने छेड़ा जैविक युद्ध होने के पश्चिमियों के ‘लैब लीक’ के आरोप का भारतीय माध्यमों में काफी चर्चा चल रहा है। इससे चीन की बेचैनी बढ़ी है। चीन का सरकारी मुखपत्र होनेवाले ग्लोबल टाइम्स ने, भारतीय माध्यम चीन पर बेबुनियाद आरोप कर रहे होने की आलोचना की। चीन पर ऐसे आरोप करने के बजाय भारतीय माध्यम अमरिकी लष्कर के जैविक शस्त्रों पर सवाल उपस्थित करें और उसकी अंतरराष्ट्रीय जांच की माँग करें, ऐसी सलाह ग्लोबल टाइम्स ने दी है।

दुनिया भर में हाहाकार मचानेवाले जैविक शस्त्र का इस्तेमाल करने की योजना सन २०१५ में ही चीन ने तैयार की थी, यह साबित करनेवाले कुछ दस्तावेज़ दुनिया के सामने आए हैं। उसी समय चीन के वुहान की जिस लैब से कोरोना का वायरस बाहर निकला, उसके बारे में जानकारी चीन छुपा रहा है। इस मामले में चीन कर रहा लीपापोती की कोशिशें भी अब जगजाहिर हुई हैं। अमरीका में आश्रय ली हुई चीन की संशोधिका डॉ. ली-मेंग यान ने कोरोना के मामले में भयंकर विवरण सार्वजनिक करके चीन का पर्दाफाश किया है। इस संशोधिका के इंटरव्यू भारतीय न्यूज़ चैनल द्वारा प्रसारित किए जा रहे हैं।

भारत के पूर्व लष्करी अधिकारी अब खुलेआम, कोरोना के फैलाव के पीछे चीन होने का शक़ ज़ाहिर करने लगे हैं। भारत के विशिष्ट भूभाग में ही कोरोना की महामारी आकस्मिक रुप में बढ़ रही है, लेकिन उसका प्रभाव भारत की सीमा के पार नहीं पड़ रहा, जैसा कि किसी के द्वारा नियंत्रित किया गया हो, यह बात गौरतलब है। इससे इस शक़ की पुष्टि होती है कि कोरोना की महामारी यह भारत को रोकने के लिए छेड़ा हुआ जैविक युद्ध होगा, ऐसा इन पूर्व लष्करी अधिकारियों का कहना है।

‘लैब लीक’भारतीय माध्यमों में इस संदर्भ में जारी होनेवाले वृत्तांत और दावों के मामले में चीन बहुत ही संवेदनशीलता दिखा रहा है। चीन की कम्युनिस्ट तानाशाही हुकूमत का मुखपत्र होनेवाले ग्लोबल टाइम्स ने, भारतीय माध्यमों के ये आरोप बेबुनियाद होने का दोषारोपण किया। इतना ही नहीं बल्कि भारतीय माध्यमों का यह गुट, अपनी सरकार और यंत्रणाओं की असफलता से जनता का ध्यान दूसरी ओर मोड़ने के लिए चीन को लक्ष्य कर रहा होने का आरोप ग्लोबल टाइम्स ने किया।

जागतिक स्वास्थ्य संगठन ने चीन पर आरोप अमान्य किए हैं । इससे यह स्पष्ट हुआ है कि ‘लैब लीक’ यानी चीन की वुहान लैब से कोरोना की महामारी फैली, यह आरोप बेबुनियाद साबित हुआ है। ऐसा होने के बावजूद भी इस मामले में चीन पर किए जा रहे आरोप तथ्यहीन हैं, ऐसा बचाव चीन के इस सरकारी अखबार ने किया। साथ ही, इस मामले में चीन पर आरोप करने के बजाए भारतीय माध्यम अमरीका को सवाल करें, ऐसी सलाह ग्लोबल टाइम्स ने दी। अमरिकी लष्कर की लगभग २०० से अधिक जैविक लैब्स दूसरे देशों में सक्रिय हैं। इस कारण चीन पर आरोप करने के बजाए, भारतीय माध्यम उसकी अन्तर्राष्ट्रीय जाँच की माँग करें, ऐसा ग्लोबल टाइम्स ने सूचित किया है।

चीन ने भारत को उदार मन से कोरोना विरोधी जंग में सहायता प्रदान की। लेकिन भारतीय माध्यमों ने इस सहायता की तुलना ताइवान द्वारा की जा रही सहायता के साथ की। इस उपलक्ष्य में चीन के विरोध में ‘ताइवान कार्ड’ का इस्तेमाल करने की चाल भारतीय माध्यम चल रहे हैं, ऐसी नाराज़गी ग्लोबल टाइम्स ने व्यक्त की। लेकिन चीन के मुखपत्र द्वारा भारतीय माध्यमों पर की जानेवाली आलोचना और अपने देश का बचाव, यह अपेक्षित बात ही है। जैविक युद्ध के आरोप के कारण चीन फिलहाल बेचैन हुआ है। अपनी अन्तर्राष्ट्रीय छवि इससे खतरे में पड़ गई है, इसका भी एहसास चीन को हो चुका है।

अमरीका का बायडेन प्रशासन हालाँकि चीनपरस्त है, फिर भी चीन के विरोध में अमरीका में धधक रहे असंतोष के कारण बायडेन के प्रशासन को भी चीन के खिलाफ कदम उठाने पड़ रहे हैं। इतना ही नहीं बल्कि, युरोपीय महासंघ ने भी चीन के साथ किया व्यापार और निवेश विषयक समझौता स्थगित कर दिया है। जागतिक उत्पादन का केंद्र होनेवाले चीन से बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ बाहर निकल रही हैं। उत्पादन का वैकल्पिक केंद्र भारत में विकसित हों, इसके लिए जापान और ऑस्ट्रेलिया सहयोग कर रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में चीन अपनी मलिन हो चुकी अन्तर्राष्ट्रीय छवि निखारने के लिए जानतोड़ कोशिशें कर रहा है।

चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने कोरोनाविरोधी लड़ाई के लिए गरीब देशों को तीन अरब डॉलर का सहयोग देने की तैयारी की है। यह सारा, चीन द्वारा की जा रही लीपापोती की कोशिशों का ही भाग माना जाता है।

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