वर्ल्ड कोलंबियन एक्स्पो

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फुटबॉल वर्ल्डकप, ऑलिंपिक्स्‌ जैसे बड़े ‘इव्हेन्ट’ आज के समय में आयोजित करना और उन्हें यशस्वी कर दिखाना यह तंत्रज्ञान और व्यवस्थापनों के विकास के कारण आसान विषय बन चुका है। परन्त १८९३ में स्थिति ऐसी नहीं थी। इसीलिए अमरीक के शिकागों में आयोजित किये जाने वाले ‘वर्ल्ड कोलंबियन एक्स्पो’ को अपार महत्त्व उस समय दिया जाता था। १२० वर्षों पश्‍चात् भी इस ‘एस्क्पो’ का महत्त्व स्थिर रहेगा, इस बात की गवाही इतिहास दे रहा है। डॉ.टेसला कार्यरत रहने वाले ‘वेस्टिंगहाऊस इलेक्ट्रिक कंपनी’ को इस ‘एक्स्पो’ के विद्युतभार संवाहन करने का ‘प्रोजेक्ट’ न मिल पाये इसके लिए थॉमस अल्वा एडिसन के ‘जनरल इलेक्ट्रिक’ ने जी तोड़ प्रयास किया था। इसके पीछे इस एक्स्पो को मिलने वाली वलय और प्रतिष्ठा थी।

अमरीका की खोज करनेवाले ख्रिस्तोफर कोलंबस के अमरीका में कदम रखे ४०० वर्ष पूर्ण हो चुके, इसी खुशी में यह अतिभव्य प्रदर्शन आयोजित किया गया था। जहॉं पर यह एक्स्पो लगाया गया था। उस स्थान के मध्यभाग में ही एक विस्तृत तालाब बनाया गया था। कोलंबस के यात्रा के प्रतीक रुप में इस तालाब का निर्माण किया गया था।

१ मई १८९३ के दिन यह ‘वर्ल्ड कोलंबियन एक्स्पोज़िशन’ आरंभ हुआ और ३० अक्तूबर के दिन उसका समापन किया गया। पूरे छ: महीनों तक चलने वाले इस एक्स्पो में दुनियाभर के कुल ४६ देश सहभागी हुए थे। लगभग पौने तीन करोड़ नागरिकों ने इस समारोह का आनंद लूटा। इतने बड़े पैमाने पर आयोजित किये जाने वाले इस ‘एक्स्पो’ के लिए ६३० एकर जितनी बड़ी जमीन पर उस समय २०० तात्कालिक इमारतें बनाई गई थीं। इन इमारतों में खेती, खानकाम, कला, यंत्र, इलेक्ट्रिसिटी तथा यातायात आदि के प्रति प्रदर्शन किया गया था।

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इसी कारण ‘वर्ल्ड कोलंबियन एक्स्पोज़िशन’ को बहुत अधिक वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक महत्त्व प्राप्त हुआ था। विविध देशों के संस्कृति कि झलक दिखलाने वाले अनेक दालन यहॉं पर थे ही। परन्तु विविध यूरोपीय देशों से ३५ लड़ाकू जहाज और १० हजार से अधिक नौदल अधिकारी एवं नौसैनिक अपने-अपने देशों के नौदलों के सामर्थ्य का प्रदर्शन यहॉं पर दिखा रहे थे। उस समय यह एक्स्पो केवल अमरीका ही नहीं, बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा प्रदर्शन साबित हुआ था। इस एक्स्पो में लगभग ३५ लाख चौरस फूट जितनी जगह प्रात्यक्षिक के लिए संभालकर रखी गई थी। इन में से सबसे बड़ा प्रदर्शन था ‘इलेक्ट्रिसिटी’ का डॉ.निकोल टेसला तथा ‘वेस्टिंग हाऊस इलेक्ट्रिसिटी कंपनी’ इस एक्स्पो के लिए जोर-शूर के साथ तैयारी कर रहे थे। ‘अल्टरनेटिंग करंट’ का प्रदर्शन दुनिया के सामने प्रस्तुत करने के लिए डॉ.टेसला के पास बहुत बड़ा अवसर एक्स्पो के रुप में चलकर आया था। इसके लिए डॉ.टेसला १२०० किलोमीटर का प्रवास करके शिकागो जा पहुँचे और वहॉं पर उन्होंने इस प्रदर्शन की तैयारी शुरू कर दी।

परन्तु इस चुनौती को स्वीकार करना इतना आसान नहीं था । केवल अल्टरनेटिंग करंट अर्थात एसी सिस्टम का उपयोग करके संपूर्ण ‘एस्क्पो’ को विद्युतभार संवाहन करने के लिए डॉ.टेसला को दिनरात परिश्रम करना पड़ा।

ऐसे में नैसर्गिक स्थिति भी इस पूर्वतैयारी के लिए अनुकूल नहीं थी। कड़ाके की ठंडी के कारण इस प्रदर्शन के पूर्वतैयारी के काम को कुछ सप्ताह तक स्थगित करना पड़ा था। परन्तु इन सभी रुकावटों की पर्वाह न करते हुए डॉ.टेसला निरंतर ‘पॉलिफेज एसी सिस्टम’ को दुनिया के सामने लाने के लिए संघर्ष करते रहे। केवल नैसर्गिक आपत्ति ही नहीं बल्कि ‘जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी’ ने भी डॉ.टेसला कार्यरत न होने वाले वेस्टिंग हाऊस कंपनी को पेटंट के नियम उल्लंघन करने के इल्ज़ाम में कोर्ट में खींच लिया।

‘जनरल इलेक्ट्रिक’ के पास पेटंट होने वाले ‘इलेक्ट्रिक बल्ब’ का उपयोग करने से इस कंपनी ने वेस्टिंग हाऊस को रोका था। इसी लिए इस ‘एक्स्पो’ को केवल तीन महीने का समय रहने पर वेस्टिंग हाऊस कंपनी को कोर्ट में खींच कर ‘जनरल इलेक्ट्रिक’ ने उनके कार्य पर रोक लगा दिया। जो एक बहुत बड़ी समस्या बन गयी थी। कारण इतने कम समय में इस पेटंट के कक्ष में न आने वाले भिन्न प्रकार के बल्ब की बड़े पैमाने में निर्मिती करना यह प्रयत्नस्तर असंभव था। परन्तु वेस्टिंग हाऊस की कंपनी ने एवं डॉ.टेसला ने इसके प्रति दूसरा विकल्प ढूँढ़ निकाला तथा इस ‘एक्स्पो’ के लिए केवल तीन महीने के समय में भी दो लाख बल्ब तैयार कर लिया।

यह एक अनोखी जीत थी। १८९३ में दो लाख बल्ब की संख्या उस अमरीक में उपयोग में लाये जाने वाले बल्बों की संख्या के २५% की बढ़ोत्तरी थी। आज के समय में भी दो लाख बल्ब अल्प समय में तैयार करना कठिन हो सकता है। १८९३ में जब उद्योग क्षेत्र का इतना विकास नहीं हुआ था उस समय में भी वेस्टिंग हाऊस कंपनी एवं डॉ.टेसला ने अपने परिश्रम के जोर पर इस असंभव को संभव बना दिया था।

डॉ.टेसला ने केवल अल्टरनेटिंग करंट के उपयोग मात्र से उन दो लाख बल्बज़ से संपूर्ण ‘वर्ल्ड कोलंबियन एक्स्पोजिशन’ को प्रकाशित कर दिया था। इतना ही नहीं, बल्कि डॉ.टेसला ने इस एक्स्पो में ‘स्टेप अप एवं स्टेप डाऊन ट्रान्सफॉर्मर’, ‘एसी करंट जनरेटर’, दूर तक विद्युतभार संवाहन करने वाली ‘ट्रान्समिशन लाईन’. बड़े आकार एवं क्षमता रखने वाली ‘इंडक्शन मोटर’, रेलगाड़ी चलाने की क्षमता रखने वाली मोटर उसी प्रकार ‘डायरेक्ट करंट’ (डीसी) को ‘अल्टरनेटिंग करंट’(एसी) में परावर्तीत करने वाले कर्न्व्हटर भी प्रदर्शित किया। इसके साथ ही डॉ.टेसला ने अपने अन्य आविष्कारों को भी इस प्रदर्शन के माध्यम से दुनिया के सामने प्रस्तुत किया।

इस प्रदर्शन के लिए डॉ.टेसला ने कुछ भिन्न प्रयोग किए थे। विशिष्ट प्रकार के गॅस भरे हुए ट्यूब्ज़ को प्रकाशमान करके दिखलाया। जिन में विशिष्ट फ्रिक्वेन्सी का करंट पास करने पर वे विभिन्न रंगों में प्रकाशित हो रही थीं। उनकी उम्र भी अधिक थी। ‘फ्ल्युरोसन्ट ट्यूब्ज़’ का उपयोग डॉ.टेसला के पहले भी हो चुका था। परन्तु उनमें विभिन्न प्रकार के फ्रिक्वेन्सी का करंट छोडकर उसका प्रभाव एवं क्षमता बढ़ाने का श्रेय डॉ.टेसला को ही जाता है।

आज ट्यूबलाईट, सीएफएल, निऑन साईन एवं सोडियम व्हेपर लॅम्प इन के संशोधनों की नींव सौ साल पूर्व ही डॉ.टेसला ने डाल रखी थी। ऐसी अनेक संशोधकों का मानना हैं।

Read in English – http://www.aniruddhafriend-samirsinh.com/world-columbian-exposition/

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