जम्मू-कश्मीर के अलगाववादियों के साथ चर्चा करने की ज़िद किस लिए? : गृहमंत्री का सवाल

नई दिल्ली/ श्रीनगर, दि. ६ (पीटीआय)- जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर के कुछ इलाकों से संचारबंदी स्थगित कर दी गई है| इसी कारण यहाँ का तनाव कुछ हद तक कम हुआ है| लेकिन यहाँ की परिस्थिति अब भी पूरी तरह से नियंत्रण में नहीं है| हिंसा में जान गँवानेवालों की संख्या ७३ पर पहुँची है| ऐसे में, भारत के खिलाफ़ नारा देनेवाले हुरियत के नेताओं से चर्चा करने की ज़िद किस लिए की जा रही है, ऐसा सवाल केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंग ने किया|

जम्मू-कश्मीरजम्मू-कश्मीर का तनाव कम करने के लिए सर्वपक्षीय नेताओं का प्रतिनिधिमंडल इस राज्य में रवाना हुआ है| ‘हुरियत कॉन्फरन्स’ इस अलगाववादियों के मध्यवर्ती संगठन के नेताओं के साथ बातचीत करने में कोई हर्ज़ नहीं है, ऐसी प्रतिनिधिमंडल की भूमिका थी| लेकिन ‘हुरियत’ के नेताओं ने प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों से मुलाक़ात करने से इन्कार किया| इससे यह स्पष्ट हुआ कि अलगाववादी नेताओं को चर्चा में और जम्मू-कश्मीर की शांति में कोई भी दिलचस्पी नहीं है| हुरियत के नेताओं की इस भूमिका पर गृहमंत्री राजनाथ सिंग ने नाराज़गी जतायी| साथ ही, ‘केंद्र सरकार कश्मीर के मुद्दे पर किसी के भी साथ बातचीत के लिए तैयार है| लेकिन ‘पाकिस्तान झिंदाबाद’ के नारे लगानेवाले अलगाववादी नेताओं से चर्चा करने की ज़िद क्यों?’ यह सवाल राजनाथ सिंग ने सर्वपक्षीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों को किया|

पिछले दो सालों से भारत सरकार, कश्मीर मुद्दे पर हुरियत के साथ चर्चा करने की तैयारी दर्शा रही है| लेकिन हुरियत ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया, इसपर राजनाथ सिंग ने ग़ौर फ़रमाया| ‘केंद्र सरकार ने हुरियत के नेताओं के साथ चर्चा करते हुए जम्मू-कश्मीर की हिंसा को रोकना चाहिए’ ऐसी सलाह विरोधी दलों के नेताओं द्वारा दी जा रही है| लेकिन ‘पाकिस्तान के समर्थन में नारेबाज़ी करनेवाले हुरियत के साथ चर्चा संभव नहीं है और इसके लिए सिर्फ़ हुरियत की देशविरोधी नीति ज़िम्मेदार है’ ऐसे संकेत राजनाथ सिंग ने दिये हैं| इस दौरान, ‘जी-२०’ सम्मेलन से भारत लौटे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात कर गृहमंत्री राजनाथ सिंग ने, जम्मू-कश्मीर की परिस्थिति के सिलसिले में रिपोर्ट प्रकाशित किया|

‘हुरियत’ के नेताओं ने बातचीत के दरवाज़ें खुद ही बंद कर देने के बाद, केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में नई नीति अपनाने की तैयारी की है| ‘इस राज्य में भारतीय सैनिकों द्वारा अत्याचार किये जा रहे हैं’ ऐसा झूठा प्रचार हुरियत और पाकिस्तान के हस्तकों द्वारा किया जा रहा है| इस दुष्प्रचार को कड़ा जवाब देने की तैयारी केंद्र सरकार ने की है| साथ ही, जम्मू-कश्मीर के युवकों तक अपना संदेश पहुँचाने के लिए भी अधिक व्यापक रूप से कोशिशें की जायेंगी| इससे अलगाववादी नेताओं द्वारा किए जानेवाले दुष्प्रचार को जवाब मिलेगा और इस राज्य के हिंसाचार को बढ़ावा देनेवाले पाक़िस्तान का असली चेहरा सबके सामने उज़ागर होगा, ऐसा तर्क इसके पीछे है|

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