‘जम्मू-कश्मीर के बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ मत करो’ : क्रोधित माता-पिताओं ने अलगाववादी नेताओं को फटकारा

श्रीनगर, दि. ३० (वृत्तसंस्था)- आतंकवादी बुर्‍हान वाणी मारा जाने के बाद, जम्मू-कश्मीर के अलगाववादियों ने लगभग २५ पाठशालाओं को जला दिया है| रविवार के दिन में भी अलगाववादियों ने इस राज्य की एक पाठशाला को जला देने की खबर है| लेकिन अब अलगाववादियों के इन कारनामों पर बच्चों के माता-पिता क्रोधित हुए है| ‘हमारे बच्चों का जीवन क्यों बरबाद कर रहे हो?’ ऐसा सवाल करते हुए जम्मू-कश्मीर के माता-पिता बच्चों की शिक्षा के मुद्दे पर सड़कों पर उतर गये हैं| साथ ही, अलगाववादियों का मध्यवर्ती संगठन रहनेवाले ‘हुरियत कॉन्फरन्स’ द्वारा घोषित किये गये ‘बंद’ में हमें ज़बरन शामिल किया जा रहा है, यह शिकायत यहाँ की जनता कर रही है|

जम्मू-कश्मीररविवार के दिन अलगाववादी नेताओं ने जम्मू-कश्मीर में फिर से ‘बंद’ का आयोजन किया था| इस ‘बंद’ के दौरान अनंतनाग ज़िले के इशमुकम की सरकारी पाठशाला जला दी गयी| इसी तरह जम्मू-कश्मीर में करीबन २५ पाठशालाएँ जला दी गयीं| इसके पीछे अलगाववादियों का षड्यंत्र है, ऐसा आरोप जम्मू-कश्मीर के प्रशासन ने किया| लेकिन अलगाववादियों के इन कारनामों को अब लोगों की तरफ से चुनौती मिल रही है| रविवार के दिन ज़ाहिर किये ‘बंद’ को लोगों का प्रतिसाद नही मिला| गुरुवार के दिन भी अलगाववादियों ने ‘बंद’ का ऐलान किया था| उसे भी संमिश्र प्रतिसाद मिला, ऐसा कहा जाता है| साथ ही, जम्मू-कश्मीर में पत्थर फेंकनेवाले प्रदशर्नकर्ताओं की तादाद ४०-५० हजार से १०० और २०० तक आयी है|

शुरू शुरू में अलगाववादियों के बहकावे को मिल रहा प्रतिसाद हवा हो रहा है, यह जम्मू-कश्मीर की पुलीस ने दिये अहवालों से स्पष्ट हुआ है| लेकिन अलगाववादियों के हिंसक प्रदर्शन के कारण पिछले ११२ दिनों से इस राज्य की पाठशालाएँ बंद हैं| इसी कारण बच्चों की परीक्षा नहीं हुई| बच्चों की शिक्षा में बाधा डालनेवाले अलगाववादी नेताओं के खिलाफ़ जम्मू-कश्मीर के छात्रों के माता-पिताओं द्वारा तीव्र क्रोध जताया जा रहा है| इसके खिलाफ़ कई माँ-बाप सड़कों पर उतर आये हैं| हमारे बच्चों का भवितव्य क्यों बरबाद कर रहे हो, यह सवाल माता-पिता ने इस वक्त अलगाववादी नेताओं से पूछा|

अलगाववादी नेताओं द्वारा, ‘बंद’ के दौरान शिक्षासंस्थाओं को भी नहीं छोड़ा जाता| उनपर भी हमले किये जाते हैं| इसी कारण हमारे बच्चों की जान को ख़तरा है, यह शिक़ायत प्रदर्शन करनेवाले माता-पिताओं ने की| पिछले साढ़ेतीन महीनों से इस राज्य की सारीं शिक्षासंस्थाएँ बंद की गयी हैं| अपवाद (एक्सेप्शन) सिर्फ हुरियत के नेता सय्यद अली शहा गिलानी की पोती जिस पाठशाला में पढ़ती है, उसका है| गिलानी की पोती की पाठशाला बंद नही की जाती| वह परीक्षा दे सकती है| फिर यह सहूलियत हमारे बच्चों के लिए क्यों नही? क्या यह दोमुहापन नहीं है? यह बच्चों के मातापिता ने पुछे सवालों का उत्तर देना अलगाववादी नेताओं के लिए कठिन बन गया है|

साथ ही, ‘बंद’ का आवाहन करनेवाले अलगाववादी नेता इसके लिए लोगों को ख़ामख़ाँ पकड़ रहे हैं| जबरदस्ती से इस ‘बंद’ में हमे शामिल कर रहे हैं, यह आरोप लोगों द्वारा किया जा रहा है| इसी कारण, अलगाववादी नेताओं के खिलाफ़ क्रोध बढ़ रहा है| अलगाववादी नेताओं के बच्चे भारत के अन्य शहरों में या विदेश में उच्च शिक्षा ले रहे हैं| लेकिन जम्मू-कश्मीर की पाठशालाएँ और महाविद्यालय बंद करके अलगाववादी नेता यहाँ के बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं, यह आलोचना राज्य की मुख्यमंत्री मेहबूबा मुफ्ती ने की थी| साथ ही, यहाँ के बच्चों को पढ़ने न देकर, उनका सिर्फ़ पत्थर फेंकने के लिए इस्तेमाल करने की साज़िश इसके पीछे है, ऐसा गंभीर आरोप मेहबूबा मुफ्ती ने किया था|

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