यूक्रेन युद्ध ने भारत को हथियारों के लिए आत्मनिर्भर होने का पाठ दिया – रक्षाबलप्रमुख जनरल अनिल चौहान

नई दिल्ली – ‘हथियारों के मोर्चे पर आत्मनिर्भर होने के अलावा विकल्प ही नहीं है। यह अहम पाठ भारत ने यूक्रेन युद्ध से सीखा’, ऐसा पुख्ता बयान रक्षाबलप्रमुख जनरल अनिल चौहान ने किया। छोटे युद्ध के लिए काफी प्रगत और सटीक हमला करने की क्षमता के हथियारों की जरुरत है। इसके अलावा लंबे चलने वाले युद्ध में सप्लाई चेन बाधित होने का खतरा होता है। इसकी वजह से हथियार और रक्षा सामान का निर्माण करने में भारत को स्वावलंबी बनना ही पडेगा, ऐसा जनरल चौहान ने कहा। इस दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। लेकिन, यह प्रक्रिया अधिक गतिमान करने के लिए तीनों रक्षाबलों को पहल करनी पडेगी, यह संदेश रक्षाबलप्रमुख ने इस दौरान दिया। 

यूक्रेन युद्धनई दिल्ली में रायसेना डायलॉग जैसी रक्षा से संबंधित बैठक में जनरल अनिल चौहान बोल रहे थे। वद ओल्ड, द न्यू ऐण्ड द अनकन्वेशनल असेसिंग कंटेम्परी कॉन्फ्लिक्टस्‌‍’ विषय पर बोलते हुए जनरल चौहान ने मौजूदा दौर के युद्ध की स्थिति का अहसास कराया। सैन्य अधिकारी के तौर पर यूक्रेन युद्ध का अभ्यास करके इसकी जानकारी रखते हैं, ऐसा जनरल चौहान ने इस दौरान कहा।

आने वाले समय में छोटे और तेज़ी से आगे बढ़ने वाले युद्ध के लिए आधुनिक और सटीक हमला करने की क्षमता वाले प्रभावी हथियारों की जरुरत महसूस होगी। फिलहाल भारत लंबे चलने वाले युद्ध में व्यस्त होने की संभावना नहीं है। लेकिन, ऐसे किसी भी युद्ध के लिए भारत को तैयार रहना पडेगा। लंबे चलने वाले युद्ध के दौरान सप्लाइ चेन बाधित होने से अन्य देशों से मिल रही हथियारों की आपूर्ति भी बाधित हो सकती है। इसकी वजह से मित्र और सहयोगी देश कितनी भी सहायता करते हों पर युद्ध के दौरान हथियारों के लिए उन पर निर्भर नहीं रहा जा सकता। हमें आवश्यक हथियारों का देश में ही निर्माण करने की क्षमता प्राप्त करनी चाहिये, ऐसा जनरल चौहान ने स्पष्ट किया।

लंबे युद्ध की क्षमता विकसित करनी हो तो इसके लिए रक्षा संबंधित बुनियादी सुविधाओं का विकास करना पडेगा। इसके सिवा यह मुमकिन नहीं है, ऐसा कहकर जनरल चौहान ने यूक्रेन युद्ध का दाखिला दिया। मौजूदा दौर में रशियन सेना यूक्रेन के बाखमत में सिर्फ तीन किलोमीटर की बढ़त मिलने पर बड़ी सफलता का दावा कर रही है। पहले विश्वयुद्ध के दौर में इस तरह का संघर्ष होता था, इसकी याद जनरल अनिल चौहान ने ताज़ा की। हाल ही के दिनों में युद्ध छोटे होंगे, यह सोच सालभर से अधिक चलने वाले रशिया-यूक्रेन युद्ध ने बदल दी है। इसकी वजह से भारत ने छोटे और लंबे युद्ध के लिए भी स्वयं को तैयार करना चाहिए, ऐसा स्पष्ट विचार जनरल चौहान ने रखा।

इसी बीच भारत सरकार रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए उचित कदम उठा रही है, यह कहकर जनरल चौहान ने इस पर संतोष व्यक्त किया। साथ ही रक्षा क्षेत्र की आत्मनिर्भरता के मोर्चे पर देश के तीनों रक्षा बलों की पहल बड़ी अहम साबित होगी, यह कहकर इनकी वजह से आत्मनिर्भरता की यह प्रक्रिया अधिक गतिमान होगी, यह विश्वास जनरल चौहान ने व्यक्त किया। 

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