युक्रेन का युद्ध अगर नहीं रुका, तो जागतिक अनाजसुरक्षा ख़तरे में पड़ जायेगी

संयुक्त राष्ट्रसंघ – ‘युक्रेन का युद्ध रोकने के लिए अर्थपूर्ण संवाद और राजनीतिक चर्चा की प्रक्रिया अगर फ़ौरन् शुरू नहीं हुई, तो जागतिक अर्थव्यवस्था पर उसके विदारक परिणाम होंगे। इस कारण अनाज-सुरक्षा के लिए और भूखमरी के निर्मूलन के लिए जारी प्रयास असफल ही साबित होंगे’, ऐसी चेतावनी भारत ने दी है। जागतिक स्तर पर संगठित प्रयास किये बग़ैर अनाजसुरक्षा की समस्या हल नहीं होगी, ऐसा संयुक्त राष्ट्रसंघ में नियुक्त भारत की फर्स्ट सेक्रेटरी स्नेहा दुबे ने जताया। समानता, दयाभाव और सामाजिक न्याय इन तत्त्वों के आधार पर, दुनिया की अनाजसुरक्षा जे लिए भारत अपना योगदान दिये बिना नहीं रहेगा, ऐसा यक़ीन इस समय स्नेहा दुबे ने दिलाया।

अनाजसुरक्षायुक्रेन में जारी युद्ध की पृष्ठभूमि पर, संयुक्त राष्ट्रसंघ की आमसभा में विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। ‘टाईम टू ऍक्ट टूगेदार: कोऑर्डिनेटिंग पॉलिसी रिस्पॉन्सेस टू द ग्लोबल फूड सिक्युरिटी क्रायसिस’ ऐसा शीर्षक होनेवाली इस चर्चा में, कोरोना की महामारी और युक्रेन के संघर्ष के कारण निर्माण हुए हालातों का जायज़ा लिया गया। इस समय बात करते हुए भारत की संयुक्त राष्ट्रसंघ में नियुक्त राजनैतिक अधिकारी स्नेहा दुबे ने इस बात का एहसास करा दिया कि युक्रेन का युद्ध ख़त्म करने के लिए फ़ौरन प्रयास करना अनिवार्य है।

कोरोना की महामारी और उसके बाद शुरू हुए युक्रेन के युद्ध के कारण दुनियाभर की, ख़ासकर विकासशील देशों की जनता की स्थिति बहुत संगीन बनी है। इससे ईंधन और उत्पादों के दाम भड़क गये हैं। उसीके साथ, जागतिक सप्लाई चेन तहस-नहस हो चुकी है। इसका विपरित असर आम लोगों के जीवन पर हो रहा है। ग्लोबल साऊथ यानी लैटिन अमरीका, एशिया और ओशिआनिया की जनता पर इसके विदारक परिणाम होते हुए दिखाई दे रहे हैं। ऐसी स्थिति में युक्रेन का युद्ध रोकने के लिए अर्थपूर्ण संवाद तथा राजकीय चर्चा की प्रक्रिया तुरन्त शुरू करनी पड़ेगी। वरना जागतिक अनाजसुरक्षा पर इसके भयावह परिणाम हो सकते हैं, इसपर दुबे ने ग़ौर फ़रमाया।

2030 साल तक भूखमरी का निर्मूलन करने का लक्ष्य संयुक्त राष्ट्रसंघ ने सामने रखा है। इसके लिए ‘ग्लोबल साऊथ’ की कोशिशें जारी हैं। लेकिन युक्रेन युद्ध की वजह से ये कोशिशें व्यर्थ साबित होंगी, ऐसी चेतावनी स्नेहा दुबे ने दी।

अनाज-धान के मामले में स्वयंपूर्ण होनेवाले भारत जैसे देश में भी अफवाहें और डर के कारण अनाज की क़ीमतें बढ़ती चली जा रहीं हैं। यह बात बर्दाश्त नहीं की जायेगी, यह बताकर दुबे ने, इस समस्या के विरोध में जागतिक स्तर पर एकजूट आवश्यक है, ऐसा डटकर कहा। समानता, दयाभाव और सामाजिक न्याय इन तत्त्वों पर आधारित अनाजसुरक्षा के लिए भारत योगदान दिये बग़ैर नहीं रहेगा, ऐसा यक़ीन स्नेहा दुबे ने दिलाया। इसी बीच, भारत गेहू तथा अन्य अनाज की सप्लाई पर रोक ना लगायें, ऐसी माँग संयुक्त राष्ट्रसंघ ने की थी। लेकिन अनाज की सप्लाई करते समय सबसे पहले उस देश की आवश्यकता को मद्देनज़र रखकर भारत अनाज की निर्यात करेगा, ऐसा भारत ने घोषित किया था। संयुक्त राष्ट्रसंघ में नियुक्त भीरत की राजनैतिक अधिकारी ने देश की यह भूमिका फिर एक बार रखी हुई दिख रही है।

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