सुदान में प्रदर्शनकारियों पर हुई कार्रवाई में ११८ लोगों की मौत – सेना ने कार्रवाई के आदेश देने की बात स्वीकारी

Third World Warखार्तूम: सुदान में ‘मिलिट्री काउंसिल’ के एकाधिकारशाही के विरोध में शुरू आंदोलन में बलि गए लोगों की संख्या ११८ पर गई है| सुदान में जनतंत्रशाही आंदोलन का भाग होनेवाले डॉक्टरों के गुट ने यह जानकारी घोषित की है| सुदानी लष्कर ने आंदोलनों के विरोध में कि कार्रवाई उजागर होते समय मिलिट्री काउंसिल ने प्रदर्शन दबाने के लिए कार्रवाई के आदेश दिए थे, ऐसा बयान दिया है| मिलिट्री काउंसिल के इस बयान के बाद सुदान में फिर एक बार प्रदर्शकों द्वारा प्रदर्शन शुरू हुए हैं और इससे पहले हिंसाचार की निष्पक्ष जांच हो, ऐसी मांग अंतरराष्ट्रीय समुदाय से की जा रही है|

अप्रैल महीने में सुदान के लष्कर ने हुकुमशाह एवं भूतपूर्व राष्ट्राध्यक्ष ‘ओमर अल बशीर’ इनकी तीन दशकों की एकाधिकारशाही को उठाया था| पर बशीर इनको निकालने के बाद मिलिट्री काउंसिल ने सुदान के सूत्र हाथ लिए थे| इस काउंसिल में बशीर इनके कार्यकाल में लष्कर के वरिष्ठ पद पर होनेवाले अधिकारियों का समावेश है|

इस काउंसिल में नागरिक एवं राजनीतिक प्रतिनिधि को स्थान दिया जाए एवं उनके चुनाव के साथ अन्य प्रक्रिया संपन्न की जाए, यह सुदानी जनता की मांग है| पर मिलिट्री काउंसिल ने यह मांग ठुकराई है और खुद का दबाव बनाना शुरू किया है| जिससे २ वर्षों में चुनाव के साथ अन्य जनतंत्रवादी सुधार करने का आश्वासन दिया है| मिलिट्री काउंसिल के इस एकतंत्री कामकाज पर नाराजगी दर्शाते हुए सुदानी जनता ने फिर एक बार आक्रामक प्रदर्शन शुरू किए हैं|

सुदानी जनता से शुरू आंदोलन तोड़ने के लिए कई दिनों पहले बड़ी लष्करी कार्रवाई की गई थी| इस कार्रवाई में हुए अत्याचार की बातें सामने आने लगी है और लष्कर ने प्रदर्शकों पर अत्याचार करके उनके शव नदी में फेंकने की घटनाएं सामने आई है| उस समय लष्कर ने प्रदर्शन तोड़ने के लिए की गई कार्रवाई नियोजनबद्ध थी, ऐसे आरोप हो रहे हैं| शुरुआत से यह आरोप ठुकरानेवाले मिलिट्री काउंसिल ने शनिवार को इसका बयान दिया है|

यह बयान देते हुए आंदोलन तोड़ने के लिए लष्कर को विशेष आदेश दिए गए थे, ऐसा कहकर कार्रवाई के दौरान हुए गलतियों की माफी मांगने की बात घोषित की है| लष्कर से कार्रवाई के दौरान बली गए प्रदर्शन के आंकड़े छिपाए गए हैं, ऐसी बात भी सामने आई है| लष्कर के इस बयान की सुदान के साथ अंतरराष्ट्रीय समुदाय में तीव्र प्रतिक्रिया उमड़ रही है और स्थानीय गुटों से आंदोलन अधिक तीव्र करने के संकेत दिए जा रहे हैं|

दौरान सुदान में जनतंत्रशाही आंदोलन तोड़ने के लिए लष्कर ने कि कार्रवाई की निष्पक्ष जांच हो, ऐसी मांग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही है| इसमें अमरिका, यूरोप के देश एवं अफ्रीकन महासंघ का समावेश है| उस समय सुदान में मिलिट्री काउंसिल एवं विरोधी गुटों में सही समझौते नहीं हुए, तो सुदान का रूपांतर लीबिया अथवा सोमालिया में होने का खतरा है, ऐसी चेतावनी अमरिका के वरिष्ठ अधिकारी तिबोर नागी ने दी है|

Leave a Reply

Your email address will not be published.