अमरीका की ‘यूएसएस रोनाल्ड रिगन’ हिंद महासागर में दाखिल होगी – १२ अक्तुबर को भारतीय नौसेना के साथ ‘पासएक्स’ युद्धाभ्यास होगा

नई दिल्ली – भारत और चीन के बीच सांतवें स्तर की लष्करी चर्चा शुरू होने से पहले अमरीका की विमान वाहक युद्धपोत ‘यूएसएस रोनाल्ड रिगन’ हिंद महासागर में दाखिल होने के लिए रवाना हुई है। मलक्का की खाड़ी में ‘यूएसएस रोनाल्ड रिगन’ की मौजूदगी दिखाई देने का समाचार है। पंद्रह दिन पहले ही अमरिकी नौसेना का ‘पी८ पोसायडन’ नामक पनडुब्बी विरोधी गश्‍त विमान अंड़मान निकोबार के हवाई अड्डे पर उतरा था। इसके बाद अमरिकी विमान वाहक युद्ध पोत का अपने पूरे बेड़े के साथ हिंद महासागर में प्रवेश करना चीन के लिए और एक सामरिक इशारा साबित होता है, ऐसा विश्‍लेषकों का कहना है।

बीते तीन महीनों में अमरिकी विमान वाहक युद्धपोत हिंद महासागर में दाखिल होने का यह दूसरा अवसर है। इससे पहले जुलाई महीने में अमरीका की ‘यूएसएस निमित्ज़’ नामक विश्‍व की सबसे बड़ी विमान वाहक युद्धपोत हिंद महासागर में दाखिल हुई थी। इस दौरान भारत और अमरिकी नौसेनाओं ने ‘पासएक्स’ नामक युद्धाभ्यास भी किया था। इसके बाद अब साउथ चायना सी में युद्धाभ्यास करके ‘यूएसएस रोनाल्ड रिगन’ हिंद महासागर में दाखिल हो रही है।

‘यूएसएस रोनाल्ड रिगन’ मलाक्का की खाड़ी के रास्ते हिंद महासागर क्षेत्र में दाखिल होते ही भारत और अमरिकी नौसेना दुबारा ‘पासएक्स’ युद्धाभ्यास करेंगे। १२ अक्तुबर को इस युद्धाभ्यास का आयोजन होगा, ऐसा समाचार है। खास बात यह है कि, इसी दिन भारत और चीन के सेना अधिकारी लद्दाख के तनाव पर अगले स्तर की चर्चा करेंगे। इस वजह से चीन के लिए और एक स्पष्ट संदेश इस युद्धाभ्यास में छुपा होने की बात विश्‍लेषक कह रहे हैं।

मलाक्का की खाड़ी से चीन का ७० प्रतिशत व्यापार होता है और यह मार्ग बंद होने पर चीन की घेराबंदी हो सकती है। यह जानकर भारत ने मलाक्का की खाड़ी के करीबी क्षेत्र में अपनी तैनाती बढ़ाई है। मलाक्का की खाड़ी के मुख पर स्थित अंड़मान निकोबार क्षेत्र में अन्य देशों के साथ युद्धाभ्यास हो रहे हैं। इसी बीच हाल ही में भारत ने इस क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया के साथ भी युद्धाभ्यास किया था। उससे पहले अमरीका, जापान और फ्रान्स के साथ भारत ने युद्धाभ्यास का आयोजन किया था। अब अमरीका के साथ और एक बार ‘पासएक्स’ युद्धाभ्यास हो रहा है। यह गतिविधियां चीन पर दबाव बढ़ानेवाली साबित हो रही हैं। साथ ही हम भारत के पीछे ड़टकर खड़े होने का संदेश भी अमरीका इसके ज़रिए दे रही है।

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