सुरक्षा परिषद की बैठक में कोरोनावायरस के मुद्दे पर अमरीका ने चीन को खरी खरी सुनायी

न्यूयॉर्क/बीजिंग, दि. १० (वृत्तसंस्‍था) – दुनियाभर में ९७ हज़ार से अधिक लोगों की जान लेनेवाले कोरोनावायरस का उद्गमस्थान, इस महामारी के मुख्यस्त्रोत के बारे में जानकारी मिलनी ही चाहिए, ऐसी आक्रमक माँग अमरीका ने संयुक्त राष्ट्रसंघ की बैठक में की। संयुक्त राष्ट्रसंघ की अमरीका की राजदूत ‘केली क्राफ्ट’ ने चीन का ठेंठ उल्लेख टालकर की हुई माँग चीन पर बहुत बड़ा दबाव बढ़ानेवाली साबित हुई। इसी कारण, चीन ने इस मामले में राजनीति कर हमें बलि का बक़रा ना बनाया जायें, ऐसा आवाहन किया है।

कोरोनावायरस की महामारी के मामले में चीन ने दुनिया को धोख़ा दिया होने का आरोप अमरीका, ब्रिटन और जापान लगातार कर रहे हैं। इस पार्श्वभूमि पर पिछले हफ़्ते सुरक्षा परिषद की विशेष बैठक बुलाने का प्रस्ताव अस्थाई सदस्यों ने दिया था। लेकिन इस महामारी का और जागतिक सुरक्षा का ठेंठ कुछ भी संबंध बहीं है, ऐसा कहकर चीन और रशिया ने वेटो का इस्तेमाल किया और इस चर्चा को होने से रोक दिया। लेकिन विद्यमान स्थिति जागतिक सुरक्षा को चुनौती देनेवाली ही है, ऐसा सुरक्षा परिषद के अस्थाई सदस्यों ने ज़ोर देकर कहा। उसके बाद इस बैठक का आयोजन किया गया।

इस बैठक की पार्श्वभूमि पर अमरीका ने पुन: एक बार इस महामारी को लेकर चीन पर अप्रत्यक्ष हमला किया। ‘किसी भी संक्रमण को रोकने के लिए उसके वायरस के बारे में तफ़सीलवार वैज्ञानिक जानकारी, उसका उद्गमस्थान तथा फैलाव इसके बारे में विस्तृत जानकारी आंतर्राष्ट्रीय समुदाय को समय पर ही बताना बहुत महत्त्वपूर्ण होता है। इस मामले में पारदर्शकता दिखाना बहुत आवश्यक है’, ऐसा कहकर क्राफ्ट ने, चीन ने इनमें से कोई भी बात नहीं की थी, इसकी ओर अप्रत्यक्ष रूप में निर्देश किया।

अमरिकी राजदूत क्राफ्ट ने की हुई इस आक्रमक माँग पर राष्ट्रसंघस्थित चीन के राजदूत ‘झँग जून’ खौल उठे। ‘इस जागतिक चुनौती का सामना करने के लिए परस्पर सामंजस्य, सहयोग और समर्थन आवश्यक है। ऐसे समय, राजनीति कर और एक-दूसरे पर ऊँगली उठाकर य किसी देश को बलि का बकरा बनाकर कुछ भी हासिल नहीं होगा’, ऐसे शब्दों में चीन के राजदूत ने अमरीका को जवाब दिया। उसीके साथ, इस महामारी के विरोध में चीन दे रहे योगदान की जानकारी का झँग ने वाचन किया।

राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग के नेतृत्व में चीन ने इस महामारी को मात दी होने का दावा झँग ने किया। उसीके साथ, इस महामारी का मुक़ाबला करने के लिए चीन ने लगभग १०० देशों को वैद्यकीय सहायता, विशेषज्ञों का पथक भेजा, ऐसा झँग न कहा। चीन के राजदूत ने भले ही चीन का पक्ष रखने की कोशिश की हों, लेकिन उसका कुछ ख़ास प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है। पिछले कुछ हफ़्तों से अमरीका के साथ साथ ब्रिटन, ब्राझिल, स्पेन, तुर्की, जॉर्जिया, झेक प्रजासत्ताक और अन्य देशों ने, चीन से मिले मेडिकल किट्स तथा अन्य उपकरण सदोष एवं निकृष्ट दर्ज़े का है, यह बताकर चीन की कड़ी आलोचना की थी। साथ ही, दुनियाभर में हज़ारों लोगों की जानें जा रहीं होते समय, चीन उसके ओर व्यापारी मौके के रूप में देख रहा है, ऐसा आरोप भी ज़ोर पकड़ने लगा है। इसी कारण, जब दुनियाभर में मेडिकल किट्स, मास्क आदि की माँग प्रचंड प्रमाण में बढ़ी है, तब चीन निकृष्ट दर्ज़े की सामग्री की सप्लाई कर उसमें से मुनाफ़ा कमा रहा है, ऐसे आरोप आंतर्राष्ट्रीय माध्यमों में जारी हो रहे हैं। चीन में जब कोरोनावायरस का फैलाव बढ़ा था, तब इटली ने मानवतावादी दृष्टिकोण से भेजी हुई वैद्यकिय सहायता का इस्तेमाल अपनी जनता के लिए ना करते हुए, चीन ने इटली को ही वह वापस बेचा होने की धक्कादायक बात सामने आयी थी।

इससे आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चीन की छवि मिट्टी में मिल गयी है। उसीमें, दुनिया पर टूट पड़े इस संकट के लिए चीन ही ज़िम्मेदार होने के आरोप अब अधिक ही तीव्र बनते जा रहे हैं। सुरक्षा परिषद की बैठक में अमरीका ली राजदूत क्राफ्ट ने की हुई माँग, चीन के विरोध में तैयार हो रहे राजनैतिक मोरचे के संकेत दे रही है। उसका सामना करना चीन के लिए अधिक से अधिक मुश्किल बनता जायेगा, ऐसे आसार अभी से दिखायी देने लगे हैं।

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