अमरिका की ओर से नकाराधिकार का इस्तेमाल

संयुक्त राष्ट्रसंघ: अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने इस्रायल की राजधानी के तौर पर ‘जेरुसलेम’ के बारे में की हुई घोषणा पीछे लेनी चाहिए, ऐसी मांग करने वाला करार अमरिका के मित्र देशों ने संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद में रखा। यह करार मतलब अमरिका का अपमान है, ऐसी टीका करके राष्ट्रसंघ का नकाराधिकार अमरिका ने इस्तेमाल कर के इस करार को अस्वीकार किया है। इस वजह से जेरुसलेम के सवाल पर अमरिका के अपने ब्रिटन, फ़्रांस और जापान इन मित्र देशों के साथ तीव्र हुए हैं, ऐसा दिखाई दे रहा है।

नकाराधिकार

६ दिसंबर को राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने ‘जेरुसलेम’ को इस्रायल की राजधानी घोषित किया था। अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष के इस निर्णय के परिणाम दुनिया भर में दिखाई दिए हैं और सोमवार को संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद में, इस मामले में विशेष बैठक का आयोजन किया गया था। पांच स्थायी सदस्य और दस अस्थायी सदस्यों की इस बैठक में अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष के निर्णय पर टीका करने वाला करार रखा गया। ‘राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प का यह निर्णय अमरिका की पहले की नीतियों से विसंगत है। साथ ही इस निर्णय की वजह से खाड़ी में बहुत समय से चल रहा संघर्ष ख़त्म करने के लिए चल रही कोशिशों को ठेंच पहुंची है’, यह टीका इस करार में की गई है।

राष्ट्रसंघ में अमरिकी राजदूत निकी हैले ने कठोर शब्दों में इस करार पर विरोध जताकर नकाराधिकार इस्तेमाल किया। पिछले छः सालों में अमरिका ने पहली बार सुरक्षा परिषद में नकाराधिकार इस्तेमाल किया है। ‘अमरिका का सार्वभौमत्व और खाड़ी की शांति चर्चा में अमरिका की भूमिका की सुरक्षा के लिए यह नकाराधिकार इस्तेमाल किया गया है। यह करार रखकर सुरक्षा परिषद के अन्य देशों ने खुद के सामने की अडचनों को बढाया है’, ऐसा इशारा हैले ने दिया है। साथ ही यह करार मतलब पॅलेस्टाईन में शांति प्रस्थापित करने की कोशिशों को ठेंच पहुँचाने वाला है, ऐसा आरोप अमरिका के राजदूत ने किया है।

अमरिका ने राष्ट्रसंघ में इस्तेमाल किए नकाराधिकार का इस्रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेत्यान्याहू ने स्वागत किया है। संयुक्त राष्ट्रसंघ में ब्रिटन के राजदूत ‘मथ्यू रीक्रॉफ्ट’ ने अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष के फैसले पर नाराजगी जताई है। जेरुसलेम को राजधानी घोषित करने का यह एकतरफा निर्णय है और इसे मान्यता नहीं दी जा सकती है, ऐसा रीक्रॉफ्ट ने कहा है। चीन के राष्ट्राध्यक्ष ने भी ट्रम्प के निर्णय के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय समुदाय एक हो जाए, ऐसा आवाहन किया है। दो दिनों पहले ही पॅलेस्टाईन को समर्थन देकर चीन ने पूर्व जेरुसलेम में अपना दूतावास शुरू करने के संकेत दिए थे।

दौरान, संयुक्त राष्ट्रसंघ की इस बैठक में रशिया ने भी ‘जेरुसलेम’ विषयक निर्णय पर टीका करके, इस्रायल- पॅलेस्टाईन के बिच अमरिका की भूमिका पर सवाल खड़े किये हैं। साथ ही इस शान्तिचर्चा में रशिया मध्यस्थ की भूमिका निभाने के लिए तैयार है, ऐसा रशियन राजदूत ‘व्लादिमीर सॅफ्रोन्कोव्ह’ ने घोषित किया है।

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