‘जेरुसलेम’ के मुद्दे पर अमरिका को प्रत्युत्तर देने की गतिविधियाँ तेज

तेहरान/अंकारा: ‘जेरुसलेम’ के मुद्दे पर अमरिका और इस्रायल अधिकाधिक आक्रामक हो रहे हैं, ऐसे में खाड़ी के इस्लामी-अरब देशों ने भी प्रत्युत्तर देने की गतिविधियों को तेज किया है। ईरान की संसद में जेरुसलेम को पॅलेस्टाईन की राजधानी के तौर पर मान्यता देने वाला अनुबंध मंजूर किया है। तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष रेसेप एर्दोगन ने जेरुसलेम हमारे लिए ‘रेड लाइन’ है ऐसा कड़ा इशारा दिया है।

जेरुसलेम’ के मुद्दे पर

अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने जेरुसलेम को इस्रायल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने का निर्णय लेकर तीन हफ़्तों से भी ज्यादा समय बीत चूका है। इस कालावधि में अमरिका-इस्रायल और इस्लामी देश दोनों पक्ष में आक्रामक भूमिका ले रहे हैं। अमरिका के ट्रम्प प्रशासन ने अपनी भूमिका में परिवर्तन करने से इन्कार किया है। उल्टा नए निर्णय की वजह से इस्रायल- पॅलेस्टाईन शांति प्रक्रिया तेज होगी, ऐसा दावा किया है।

लेकिन इस्लामी देशों ने अमरिका के इस निर्णय को तीव्र विरोध करके, जेरुसलेम के मुद्दे पर अपनी आवाज को अधिकाधिक तीव्र करने की नीति अपनाई है। इस में ईरान और तुर्की देश सब से ऊपर हैं। दोनों देशों ने अमरिका के खिलाफ खुलकर संघर्ष की भूमिका ली है। बुधवार को ईरान की संसद में मंजूर किया गया अनुबंध यही संकेत देता है।

ईरान की संसद के अनुबंध के अनुसार, जेरुसलेम को पॅलेस्टाईन की राजधानी के तौर पर घोषित किया गया है। इस समय हुए चुनाव में २९० में से २०७ सदस्यों ने अनुबंध के पक्ष में मतदान किया है। ईरान की संसद के सभापति अली लारिजानी ने, इस अनुबंध का समय बहुत ही महत्वपूर्ण है, ऐसा कहा है।

ईरान की संसद ने मजूर किए इस अनुबंध की पृष्ठभूमि पर देश के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनी ने ट्रम्प पर टीका की है। ‘अमरिका के भूतपूर्व राष्ट्राध्यक्ष रोनाल्ड रिगन डोनाल्ड ट्रम्प से भी बहुत शक्तिशाली और चतुर थे। उन्होंने ईरान को धमकाने का अच्छा अभिनय किया था। रिगन ने ईरान के खिलाफ संघर्ष का फैसला कर के हमारे हवाई जहाज को भी गिराया था। लेकिन रिगन अब नहीं हैं और ईरान ने उन के करियर के बाद कई क्षेत्र में बड़े पैमाने पर प्रगति की है’, इसकी खामेनी ने याद दिलाई है।

‘वर्तमान के अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष के करियर में भी यही नीति कायम है। ईरान पीछे हटेगा या कमजोर बनेगा, ऐसी अगर उनको आशा है तो वह व्यर्थ है’, ऐसा इशारा भी खामेनी ने दिया है।

दौरान, तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने ‘जेरुसलेम’ के मुद्दे पर फिर एक बार आक्रामक भूमिका ली है। बुधवार को ट्यूनीशिया के दौरे में एर्दोगन ने, जेरुसलेम का मुद्दा यह हमारे लिए ‘रेड लाइन’ होगी, ऐसा कड़ा इशारा दिया है। ‘जेरुसलेम’ का ऐतिहासिक दर्जा और उसके साथ जुडी हुई पवित्रता को ठेंच पहुँचाने की कोशिश की गई तो उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, ऐसा एर्दोगन ने इशारा दिया है। दौरान, जेरुसलेम के प्रश्न पर अरब-खाड़ी देश तुर्की और ईरान का नेतृत्व नहीं स्वीकारेंगे, ऐसा इशारा संयुक्त अरब अमिरात ने दिया है।

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