अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष ने फिलहाल ‘एच1बी वीज़ा’ पर पाबंदी लगाने का किया ऐलान

वॉशिंग्टन – अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने कोरोना के पृष्ठभूमि पर, अमरिकी युवाओं को नौकरियाँ उपलब्ध हों इसलिए ‘एच1बी वीज़ा’ समेत अन्य वर्ग के ‘वीज़ा’ प्रदान करने पर अस्थायी रूप में पाबंदी लगाने का ऐलान किया है। अमरीका में कार्यरत ‘आयटी’ क्षेत्र की भारतीय कंपनियाँ और कर्मचारियों को इस ऐलान से बड़ा नुकसान होगा, यह ड़र व्यक्त किया जा रहा है। अमरिकी आयटी क्षेत्र की बड़ी कंपनियों ने भी इस निर्णय का विरोध किया है और इससे अर्थव्यवस्था को गति प्राप्त होने में बाधा निर्माण होगी, यह चेतावनी भी दी है।H1B-Visa-Trump

अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने सोमवार के दिन ‘वर्क वीज़ा’ से संबंधित अध्यादेश पर हस्ताक्षर किए। इस अध्यादेश के अनुसार, अमरीका में मौजूद विदेशी कर्मचारियों के लिए जारी किए जा रहे ‘एच1बी’, ‘एच2बी’, ‘जे’ और ‘एल’ वीज़ा की प्रक्रिया ३१ दिसंबर, २०२० तक स्थगित की जाएगी। बुधवार २४ जून से इस अध्यादेश पर अमल शुरू होगा और इस दिन के बाद किसी भी विदेशी कर्मचारी को अमरीका में नौकरी करने के लिए वीज़ा जारी नहीं किया जाएगा।

अमरीका और भारत की आयटी कंपनियाँ ‘एच1बी’ वीज़ा का बड़ी मात्रा में इस्तेमाल करती हैं। अमरिकी इमिग्रेशन विभाग ने प्रदान की हुई जानकारी के अनुसार, १ अप्रैल, २०२० तक उन्हें ‘एच1बी वर्क वीज़ा’ के लिए ढ़ाई लाख निवेदन प्राप्त हुए थे। इनमें से १.८४ लाख निवेदन भारतीयों के थे। प्रति वर्ष अमरिकी यंत्रणा से जारी हो रहे ८५ हज़ार ‘एच1बी वीज़ा’ में से करीबन ७० प्रतिशत वीज़ा भारतीय नागरिकों को प्रदान होते हैं।TCS-H1B-Visa

आयटी क्षेत्र की कंपनियाँ ही कर्मचारियों पर हो रहा खर्च कम करने के लिए ‘एच1बी वीज़ा’ का इस्तेमाल बड़ी मात्रा में करती हैं। ट्रम्प ने राष्ट्राध्यक्ष पद की ज़िम्मेदारी सँभालने के साथ ही, इस प्रक्रिया में बदलाव करने के संकेत लगातार दिए थे। अमरिकी युवाओं को रोज़गार के अधिक से अधिक अवसर प्राप्त हो, इस लिए हम वीज़ा संबंधित नीति में बदलाव करेंगे, यह बात राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने स्पष्ट की थी। सोमवार के दिन जारी किया गया अध्यादेश इसी का एक हिस्सा है और उद्योगक्षेत्र इस निर्णय पर नाराज़गी व्यक्त कर रहा है।

आयटी क्षेत्र की नामांकित कंपनी ‘गुगल’ के प्रमुख ने, अमरीका की प्रगति में विदेशी नागरिकों का भी हिस्सा है, यह बात ध्यान में रखनी होगी, इन शब्दों में नये निर्णय को विरोध दर्शाया है। अमरीका के ‘इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलॉजी इंडस्ट्री कौन्सिल’ इस प्रमुख गुट ने, राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प इस निर्णय पर पुनर्विचार करें, यह माँग की है। वहीं, ‘मॉर्गन स्टॅन्ले’ इस वित्तसंस्था ने इस निर्णय का आयटी क्षेत्र की कंपनियों पर ज़्यादा असर नहीं होगा, यह बात रखी है।

भारत की आयटी कंपनियों के प्रमुख ‘नॅस्कॉम’ संगठन ने, अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष का निर्णय गलत और अमरिकी अर्थव्यवस्था का नुकसान करनेवाला होने की चेतावनी दी है। ट्रम्प के इस निर्णय के बाद आयटी क्षेत्र की टीसीएस, विप्रो, इन्फोसिस, टेक महिंद्रा जैसी प्रमुख कंपनियों के शेअर्स की बड़ी गिरावट हुई है। भारत सरकार ने अभी इस निर्णय पर अधिकृत प्रतिक्रिया दर्ज़ नहीं की है, लेकिन अमरीका के साथ विभिन्न स्तरों पर हो रही बातचीत के दौरान यह मुद्दा उठाया जाएगा, ऐसे संकेत दिए गए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.