तालिबानी कमांडर्स की ईरान के साथ चर्चा

Third World Warतेहरान/काबुल: तालिबान के कमांडर्स ने ईरान की यात्रा की है और इस दौरान उन्होंने ईरान के उप विदेश मंत्री अब्बास अरागची इनसे बातचीत की| एक महीने के दौरान तालिबानी कमांडर्स ने ईरान को दी यह दुसरी भेंट है| अमरिकी सेना की अफगानिस्तान से वापसी होने के बाद संभाव्य परिस्थिती पर चर्चा करने के लिए इस यात्रा का प्रयोजन हुआ, यह तालिबान ने कहा है| वही, इस यात्रा के बाद अफगान सरकार और तालिबान के बीच चर्चा करवाने के लिए ईरान मध्यस्थता करने के लिए तैयार है, यह ईरान के विदेश मंत्रालय ने कहा है|

कुछ दिनों पहले ही अमरिका अफगानिस्तान में तैनात सेना की वापसी करने के लिए तैयार है, ऐसी खबरें प्रसिद्ध हुई थी| अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प इन्होंने इस संबंधी आदेश जारी किए है, यह भी समाचार था| लेकिन इस संबंधी खबरे गलत है, यह कहकर व्हाईट हाऊस ने यह खबर देने वाले वृत्तसंस्था को कडी फटकार लगाई थी| साथ ही अफगानिस्तान में तैनात अमरिकी सेना की वापसी करने का कोई भी विचार अमरिका नही रख रही है, यह ऐलान भी व्हाईट हाऊस ने किया था| फिर भी तालिबान अमरिकी सेना की वापसी होने की संभावना ध्यान में रखकर ईरान से चर्चा करता दिखाई दे रहा है|

तालिबानी, कमांडर्स, ईरान, साथ, चर्चाअमरिका ने अफगानिस्तान से सेना हटाई नही, तो जैसे सोव्हिएत रशिया को स्वीकारना पडा था, उससे भी भयंकर पराभव अमरिका को स्वीकारना होगा इन शब्दों में तालिबान ने अमरिका को धमकाया था| अमरिका के विरोध में शुरू इस जंग में तालिबान को ईरान की सहायता प्राप्त हो रही है, यह बात पहले ही स्पष्ट हुई थी| अफगानिस्तान और ईरान के बीच ९६० किलोमीटर लंबी सीमा है और ईरान की सहायता तालिबान के लिए काफी अहम साबित होती है|

अमरिका का विरोध इस एक मुद्दे पर ईरान और तालिबान एक होते दिखाई दे रहा है| इससे पहले अफगानिस्तान में तालिबान को ईरान ने डटकर विरोध दर्शाया था? और तालिबान विरोधी गुटों के पीछे अपनी सहायता खडी की थी| अफगानिस्तान के शिया पंथी ‘हजारा’ समुदाय पर किए अत्याचारों की वजह से ईरान ने तालिबान के विरोधी भूमिका स्वीकारी थी| इसी लिए ईरान और तलिबान के दौरान लगातार हो रही चर्चा ध्यान आकर्षित करती है| केवल इतना ही नही तो तालिबान ने पाकिस्तान, चीन और रशिया के साथ भी बातचीत शुरू की है| लेकिन अफगान सरकार के साथ बातचीत के लिए तालिबान तैयार नही है|

काबुल में अश्रफ गणी इनकी सरकार को हम मानते नही है, यह तालिबान ने पहले ही घोषित किया था| लेकिन तालिबान और अफगान सरकार के बीच मध्यस्थता करने की तैयारी ईरान के विदेश मंत्रालय ने दिखाई है| ईरान के विदेश मंत्रालय ने इस बारे में की घोषणा तालिबान पर ईरान का प्रभाव बढ रहा है, यह दिखा रही है| इसके पहले पाकिस्तान तालिबान को नियंत्रित करता रहा है| लेकिन अब इस संगठन पर ईरान का भी प्रभाव बढने से अफगानिस्तान में बडी उथल पुथल हो सकती है|

अफगानिस्तान में हजारा समुदाय और उत्तरी हिस्से के ‘नॉर्दन अलायन्स’ इन तालिबान विरोधी गुटों पर ईरान का प्रभाव था| लेकिन तालिबान के साथ ईरान की बढती नजदिकीयां अमरिका के लिए सिरदर्द का विषय बन सकता है| खास तौर पर रशिया, ईरान और पाकिस्तान के बीच अफगानिस्तान को लेकर सहमती बनी तो वह अमरिकी हितसंबंधों के लिए खतरे की बात हो सकती है|

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