रशिया को रोकने के लिए अमरिका के नाटो के रैपिड एक्शन फोर्स की क्षमता बढ़ाने की योजना

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ब्रूसेल्स/ वाशिंगटन: ब्रिटेन में रशियन जासूसों पर विशप्रयोग के मामले से रशिया एवं पाश्चात्य देशों में राजनीतिक संघर्ष भडका है और अमरिका ने लष्कर स्तर पर गतिविधियां शुरू की है। यूरोपीय देशों की सुरक्षा की जिम्मेदारी होनेवाले नाटो अधिक आक्रामक एवं सक्रिय करने के लिए अमरिका ने नया प्रस्ताव सामने लाया है। उसके अनुसार नाटो ने रशिया के विरोध में निर्माण किए रैपिड एक्शन फोर्स की क्षमता ३० हजार तक बढ़ाने की मांग अमरिका ने की है। अमरिका के रक्षामंत्री जेम्स मैटिस ने यह मांग सदस्य देशों के सामने रखने की बात कही है।
रशियाने सन २०१४ के क्रीमिया पर कब्जा प्राप्त करने की बात अमरिका एवं नाटो में यूरोपीय देशों के लष्करी सज्जता पर जोर देना शुरू किया था। उसके अनुसार जनवरी २०१७ में ‘व्हेरी हाय रेडिनेस जॉइंट टास्क फोर्स’ सक्रिय हुआ है। इस विशेष शतदल में ५ हजार जवानों का समावेश होकर अमरिका, ब्रिटेन, डेनमार्क एवं पोलैंड में लष्कर की टुकड़ियों का समावेश है। नाटो में किसी भी सदस्य देश पर आक्रमण होने पर तत्काल यह दल उस देश की सहायता के लिए कार्यान्वित होगा, इस हेतु से यह रचना की गई है।

क्रीमिया पर कब्जा प्राप्त करने के बाद रशिया बाल्टिक देशों पर हमले कर सकता है, ऐसा इशारा नाटो के साथ विविध नेता एवं भूतपूर्व स्तरीय अधिकारियों से लगातार किया जा रहा है। रशिया ने पिछले वर्ष की एक व्यापक युद्धाभ्यास पूर्व यूरोप पर हमले की तैयारी थी, ऐसा दावा भी लष्करी विश्लेषकों से किया जा रहा है। इस पृष्ठभूमि पर अमरिका ने नाटो के विशेष का विस्तार करने के बारे में दिया प्रस्ताव ध्यान केंद्रित करने वाला है।

अमरिका के रक्षामंत्री जेम्स मैटिस ने इस बारे में नाटो तथा यूरोपीय देशों के अधिकारियों से चर्चा करने की बात कहीं जा रही है। उसके अनुसार नाटो के ‘व्हेरी हाय रेडीनेस जॉइंट टास्क फोर्स’ की क्षमता ३० हजार तक पढ़ाने की आवश्यकता है। इस लष्करी पथक के साथ लड़ाकू विमानों के ३० स्कौड़रन एवं ३० युद्धनौका तत्काल तैनात करने की आवश्यकता है, ऐसी योजना अमरिका ने नाटो के सदस्य देशों के सामने रखी है। फिलहाल नाटो के सदस्य होने वाले यूरोपीय देशों के पास ३० दिन तक सिर्फ १४ हजार सैनिक तैनात करने की क्षमता है।

रशिया ने यूरोप को जोड़े हुए अपने पश्चिम सीमा के पास लगभग एक लाख से अधिक से सैनिक तैनात हैं और यूरोप में होने वाले कैलिनिनग्राड स्थल पर युद्धनौका, पनडुब्बियां तथा प्रगट मिसाइल तैनात किए गए हैं। इस पृष्ठभूमि पर नाटो की तैयारी अल्प होकर ब्रिटेन के साथ पाश्चात्य देशों के साथ शुरू होने वाले राजनीतिक संघर्ष की पृष्ठभूमि पर क्षमता अधिक बढ़ाने की आवश्यकता सामने आ रही है।

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