तालिबान से चर्चा को इनकार किया तो अमरीका अफगानिस्तान में दीर्घ युद्ध के लिए तैयार रहे – रशिया की चेतावनी

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मॉस्को – अमरीका तालिबान विरोधी भूमिका छोड़ दे और उनसे चर्चा शुरू करें अन्यथा अमरीका अफगानिस्तान में खत्म ना होनेवाले रक्त रंजित युद्ध के लिए तैयार रहे, ऐसी चेतावनी रशियन राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन के अफगानिस्तान में स्थित विशेष दूत झमिर काबुलोव्ह ने दी है। साथ ही अमरिका ने अफगानिस्तान में ५ हजार अथवा ५० हजार जवान तैनात किए फिर भी तालिबान विरोधी युद्ध के परिणाम नहीं बदलेंगे ऐसा दावा काबुलोव्ह ने किया है।

रशियन राष्ट्राध्यक्ष के विशेषदूत काबुलोव्ह ने एक मुलाकात में बोलते हुए अमरिका के अफगानिस्तान विषयक भूमिका पर आलोचना की है। अफगानिस्तान में लगभग ४० फीसदी भू-भाग पर तालिबान का वर्चस्व है। जिसकी वजह से अमरिका ने इन तालिबानियों के साथ चर्चा करके अफगानिस्तान की समस्या सुलझाएं, ऐसा आवाहन काबूलोव्ह ने किया है। अमरिका ने तालिबान के साथ चर्चा के लिए इनकार किया तो अफगानिस्तान में रक्तरंजित युद्ध अधिक समय तक रहेगा, ऐसी चेतावनी काबुलोव्ह ने दी है।

अमरीका अफगानिस्तान

इससे पहले फरवरी महीने में अफगानिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष अशरफ गनी ने तालिबानी लोगों को शांति चर्चा का प्रस्ताव दिया था। पर तालिबान ने यह प्रस्ताव ठुकराकर अफगानिस्तान में हमले बढ़ाएं थे। तालिबान के कुछ प्रतिनिधियों ने हमसे संपर्क करके, इन हमलों के कारण स्पष्ट किए थे, ऐसा काबुलोव्ह ने कहा है। राष्ट्राध्यक्ष गनी यह पाश्चिमात्य देशों के हाथ की कठपुतली होकर तालिबान से चर्चा करने के लिए तैयार नहीं है। पर तालिबान ने अमरिका से सीधे चर्चा की तैयारी दिखाई थी ऐसी जानकारी है।

साथ ही अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प की अफगानिस्तान में संघर्ष के लिए अतिरिक्त सेना तैनाती के बारे में हुई घोषणा पर भी काबुलोव्ह ने चिंता व्यक्त की है। सोवियत रशिया के हजारों सैनिकों को अफगानिस्तान में तैनात करके सफलता नहीं मिली है। अमरिका ने भी ५ हजार से ५० हजार सैनिक तैनात किए फिर भी अफगानिस्तान में परिस्थिति नहीं बदलेगी, ऐसा दावा रशिया के विशेष दूत ने किया है।

काबुलोव्ह ने तालिबान के पक्ष से किया यह विधान सूचक माना जा रहा है। पिछले कई महीनों से अमरिका ने तालिबान के विरोध में आक्रामक कार्रवाई हाथ ली है और इन आतंकवादी संघटना को आर्थिक गतिरोध किया है। विशेष रूप से तालिबान के नशीले पदार्थ के व्यापार पर अमरिका ने किए हमले निर्णायक रहे हैं और इसकी वजह से तालिबान की अवस्था जटिल होने का दावा किया जा रहा है। इसीलिए यह आतंकवादी संघटना भीषण हमले करके अपने सामर्थ्य का प्रदर्शन कर रही है। साथ ही तालिबान अमरिका से चर्चा करने के लिए तैयारी दिखा रही है। पर ट्रंप प्रशासन ने स्वीकारी हुई आक्रामक भूमिका को देखकर फिलहाल अमरिका और तालिबान में किसी भी चर्चा की आशंका नहीं दिखाई दे रही है।

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