‘वुहान लैब लीक’ के दावे की अमरिकी प्रयोगशाला ने की पुष्टि

वॉशिंग्टन – ‘सार्स-कोवी-२’ नामक ‘कोरोना’ के विषाणु का निर्माण ‘लैब’ में ही हुआ होगा, यह संभावना अमरीका की राष्ट्रीय प्रयोगशाला ने स्वीकारी है। अमरीका की लैब ने वर्ष २०२० में ही यह रपट पेश की थी। यह रपट एक अमरिकी अखबार ने प्रसिद्ध की है। अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने चीन से कोरोना संबंधित जाँच के लिए सहयोग करने का निवेदन किया है। लेकिन, कोरोना के मुद्दे पर अमरीका द्वारा चीन पर लगाए जा रहे आरोप यानी १२ वर्ष पहले इराक पर सामुहिक संहार के हथियार रखने संबंधी लगाए आरोपों की तरह ही जाली होने का बयान चीन के राजनीतिक अधिकारी ने किया है। कोरोना संबंधी अधिक जानकारी प्रदान करने के लिए चीन को मज़बूर किया नहीं जा सकता, इस तरह की अजब प्रतिक्रिया विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दर्ज़ की है।

us-lab-wuhan-lab-leak-2कोरोना की महामारी फैलने के बाद अमरीका के उस समय के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने इस संक्रमण की जाँच करने के आदेश दिए थे। अमरीका के कैलिफोर्निया की ‘लॉरेन्स लिवरमोर नैशनल लेबोरेटरी’ ने कोरोना से संबंधित शोधकार्य करके पेश की हुई प्राथमिक रपट में इस विषाणु का निर्माण लैब में ही किया गया होगा, यह संभावना व्यक्त की। इससे संबंधित दो प्राथमिक स्तर के अनुमान भी रखे गए थे। कोरोना का विषाणु लैब में हुई किसी दुर्घटना से बाहर फैला होगा या प्राणी एवं मानव में संक्रमित होकर यह विषाणु वहां से बाहर फैला, इस तरह की दो संभावना हैं। लेकिन, इस मुद्दे पर अधिक शोधकार्य करने की आवश्‍यकता होने की बात इस रपट में स्पष्ट रूप से कही गई है।

साथ ही यह विषाणु प्राकृतिक पद्धति से संक्रमित नहीं हुआ है या चमगाधड़ या अन्य प्राणीयों में संक्रमित होकर फैला नहीं है। क्योंकि, संक्रमित होने के १८ महीनें बाद भी इस विषाणु से संक्रमित हुए चमगाधड़ या अन्य प्राणी बरामद नहीं हुए हैं, यह बात इस रपट में दर्ज़ है। इस वजह से कोरोना की महामारी चीन ने जानबूज़कर संक्रमित की है, इस आशंका को अधिक बल प्राप्त हो रहा है। इस मुद्दे पर चीन को लेकर जताई जा रही आशंका बढ़ रही है और तभी अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन ने चीन से आवाहन करके कोरोना संबंधित जाँच करने के लिए सहायता करने को कहा है। अपने विरोध मे जताई जा रही आशंका और लगाए जा रहे आरोप झूठे हैं, यह साबित करने की ज़िम्मेदारी चीन की ही है, यह इशारा भी सुलिवन ने दिया।

us-lab-wuhan-lab-leak-1लेकिन, विश्व स्वास्थ्य संगठन के वरिष्ठ अधिकारी माईक रेआन ने कोरोना की जाँच करने के लिए आवश्‍यक सहयोग प्रदान करने के लिए चीन को मज़बूर करने का अधिकार हमें ना होने की बात स्पष्ट की। हम सिर्फ चीन से सहयोग की माँग कर सकते हैं, इस तरह की बेबस प्रतिक्रिया रेआन ने बयान की है। विश्‍वभर में ३५ लाख से अधिक लोगों की जान लेनेवाली इस महामारी को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनाई यह नरम भूमिका इस संगठन की विश्‍वासार्हता पर ही सवाल उठा रही है।

इसी बीच, वुहान की लैब में ही कोरोना विषाणु तैयार किया गया और संक्रमित किया गया, यह आरोप अधिक से अधिक तीव्र हो रहा है। ऐसे में चीन ने आक्रामक भूमिका अपनाई है। अमरीका ने कोरोना के मुद्दे पर अभी तक चीन के खिलाफ अधिकृत स्तर पर आरोप नहीं लगाए हैं। लेकिन, अमरिकी वैज्ञानिक, माध्यम और प्रमुख नेताओं ने लगाए आरोपों से चीन पर काफी दबाव पड़ने की बात स्पष्ट दिख रही है। १२ वर्ष पहले अमरीका ने इराक में ‘वेपन्स ऑफ मास डिस्ट्रक्शन’ यानी सामुदायिक संहार करनेवाले हथियार होने का आरोप लगाकर इराक पर हमला किया था। लेकिन, आगे के दिनों में इस तरह के हथियार इराक में बरामद भी नहीं हुए थे। इसका दाखिला देकर अमरीका में स्थित चीनी दूतावास के प्रवक्ता लियु पेंग्यू ने कोरोना के मामले में चीन के खिलाफ लगाए जा रहे आरोप उसी तरह झूठे होने की बात कही है।

भारतीय शोधकर्ताओं ने एक वर्ष पहले कोरोना का विषाणु प्राकृतिक ना होने का बयान करके इसका निर्माण लैब में ही हुआ है, यह बात दर्ज़ की थी। लेकिन, तब अमरीका के स्वास्थ्य सलाहकार डॉ.फॉसी ने भारतीय शोधकर्ताओं का यह अनुमान काफी अलग होने का बयान करके इसका मज़ाक उड़ाया था। इस वजह से अमरीका के स्वास्थ्य सलाहकार चीन के लिए ढ़ाल बनकर लड़ रहे है, यह बात सामने आयी थी। लेकिन, अब चीन का बचाव करनेवाले डॉ.फॉसी स्वयं मुश्‍किलों से घिरे हैं। अमरीका में उनके खिलाफ काफी असंतोष फैला है।

कोरोना का विषाणु प्राकृतिक होने के दावे करते रहे डॉ.फॉसी लंबे समय तक अपने दावे पर ड़टे रहे। इस ओर ध्यान आकर्षित करके भारतीय विश्‍लेषक चीन ने अमरीका के शोधकार्य के क्षेत्र में किए घुसपैठ का दाखिला दे रहे हैं। इस घुसपैठ का प्रभाव स्पष्ट तौर पर दिखाई दे रहा है, ऐसी फटकार भी भारतीय विश्‍लेषकों ने लगाई है।

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