रशिया के साथ ‘ओपन स्काईज्‌ ट्रिटी’ में शामिल होने से अमरीका का इन्कार – बायडेन प्रशासन ने राजनीतिक गलती करने की रशिया की आलोचना

वॉशिंग्टन/मास्को – रशिया समेत करीबन ३४ देशों का समावेश होनेवाले ‘ओपन स्काईज्‌ ट्रिटी’ में शामिल ना होने का ऐलान अमरीका के बायडेन प्रशासन ने किया है। युकैन को लेकर रशिया की अपनाई आक्रामक भूमिका इसके लिए ज़िम्मेदार होने का बयान बायडेन प्रशासन ने किया है। इस समझौते की संभावना खारिज़ करने के बावजूद भी, अमरीका और रशिया के राष्ट्राध्यक्षों की बैठक निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार होगी, यह बात भी अमरिकी विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट की है। इसी बीच, ‘ओपन स्काईज्‌ ट्रिटी’ के मुद्दे पर बायडेन प्रशासन ने किए निर्णय का, इस समझौते में शामिल हुए युरोपीय देशों को झटका लगेगा, यह दावा पश्‍चिमी माध्यम कर रहे हैं।अमरीका के विदेश मंत्रालय के उपमंत्री वेंडी शर्मन ने साझा की हुई जानकारी के अनुसार, ओपन स्काईज्‌ ट्रिटी में शामिल ना होने का निर्णय बायडेन प्रशासन ने रशिया तक पहुँचाया है। ‘युक्रैन के विरोध में रशिया की जारी आक्रामक गतिविधियों को ध्यान में रखकर, एक-दूसरे पर विश्‍वास करने के लिए रशिया उचित सहयोगी साबित नहीं होता’, ऐसा आरोप भी अमरिकी विदेश मंत्रालय ने लगाया है।

Open-skies-treatyऐसी स्थिति में, क्या १६ जून के दिन जेनीवा में राष्ट्राध्यक्ष बायडेन और रशियन राष्ट्राध्यक्ष पुतिन की आयोजित होनेवाली बैठक भी रद  होगी, यह सवाल माध्यमों ने अमरिकी विदेश मंत्रालय से किया। लेकिन, जेनीवा की बैठक के कार्यक्रम में बदलाव नहीं होगा, यह बात अमरिकी विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट की। अमरीका के इस ऐलान पर रशिया के विदेश मंत्रालय ने फटकार लगाई है। जेनीवा की बैठक से पहले बायडेन प्रशासन ने किया यह निर्णय यानी बड़ी राजनीतिक गलती साबित होती है, ऐसी आलोचना रशिया के उप-विदेशमंत्री सर्जेई रिब्कोव्ह ने की है।

‘युरोपीय देशों की सुरक्षा को एक और झटका देनेवाला निर्णय बायडेन प्रशासन ने किया है। अमरीका को अपनी गलती सुधारने का एक अवसर रशिया ने दिया था। लेकिन, बेताल आरोपों के ज़रिये रशिया को ज़िम्मेदार करार देकर बायडेन प्रशासन ने यह अवसर भी गँवाया है’, ऐसा इशारा रिब्कोव्ह ने दिया है। इसी बीच, रशियन सरकार के प्रवक्ता दिमित्रि पेस्कोव्ह ने ऐसा कहा है कि अगर अमरीका और रशिया का समावेश ना हों, तो इस समझौते के लिए मतलब नहीं होता।

Open-skies-treaty-01वर्ष १९९२ में हेलन्स्की में हुई बैठक के दौरान, ‘ऑर्गनायझेशन फॉर सिक्युरिटी ॲण्ड को-ऑपरेशन इन युरोप ’ (ओएससीई) नामक गुट के सदस्य देशों ने ‘ओपन स्काईज्‌ ट्रिटी’ को मंजुरी प्रदान की थी। अमरीका और रशिया समेत युरोपीय देशों का समावेश होनेवाले इस समझौते के अनुसार, सदस्य देशों को एक-दूसरे की हवाई सीमा में विमान भेजकर संवेदनशील ठिकानों पर गश्‍त लगाने की अनुमति है। इसके लिए गश्‍ती विमान एवं ड्रोन्स का इस्तेमाल करने के लिए अनुमति दी गई थी।
इस समझौते के तहत, दूसरे देश पर गश्‍ती लगाने से पहले करीबन ७२ घंटे पहले अलर्ट और २४ घंटे पहले इससे संबंधित नोटीस देना बंधनकारक किया गया था। लेकिन, अमरीका और रशिया ये दो प्रमुख देश ही इस समझौते से पीछे हटने की वजह से इसकी अहमियत खत्म हुई है, यह दावा पश्‍चिमी माध्यम कर रहे हैं। इसका सीधा असर युरोपीय देशों की सुरक्षा पर होने की कड़ी संभावना है।

इसी बीच, बीते वर्ष के नवंबर महीने में अमरीका के तत्कालीन राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने इस समझौते से पीछे हटने का निर्णय किया था। लेकिन, ट्रम्प के इस निर्णय की बायडेन ने आलोचना की थी। इसके बाद अमरीका में अपनी सरकार बनाने के बाद बायडेन ने यह समझौता नए से करने की तैयारी भी रखी थी। लेकिन, अब युक्रैन संबंधित रशिया की भूमिका का हवाला देकर बायडेन प्रशासन ने ‘ओपन स्काईज्‌ ट्रिटी’ में अमरीका को रुचि ना होने की बात दिखाई है।

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