अमरीका और यूरोपिय देश ईरान के ‘खराब’ परमाणु समझौते से पीछे हटें – इस्रायल के प्रधानमंत्री येर लैपिड

जेरूसलम – अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने निर्धारित की हुई ‘रेड लाईन’ का ईरान भंग कर रहा है। इस वजह से अमरीका और पश्‍चिमी देशों को ईरान के परमाणु समझौते से पीछे हटना होगा, ऐसा आवाहन इस्रायल के प्रधानमंत्री येर लैपिड ने किया है। परमाणु समझौते की वजह से ईरान को परमाणु हथियार पाने से रोकना मुमकिन होगा, यह दावा अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष ने किया है। यह हमारी रेड लाईन होने का दावा राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने किया था। हमारे विचार से ईरान ने इस रेड लाईन को कब का मीटा दिया है। इस वजह से पश्‍चिमी देशों द्वारा यह परमाणु समझौता रद्द करना बिल्कुल आम बात बनती है, इन शब्दों में इस्रायली प्रधानमंत्री ने अपने देश की भूमिका रखी।

अंतरराष्ट्रीय वृत्तसंस्थाओं के प्रतिनिधियों के सामने प्रधानमंत्री लैपिड बोल रहे थे। पिछले कुछ दिनों से अमरीका और यूरोपिय देश ईरान का परमाणु समझौता आखरी चरण में होने के संकेत दे रहे हैं। इनमें से कुछ मुद्दों पर ईरान ने आपत्ति जताकर इसमें बदलाव करने की माँग की थी। यूरोपिय महासंघ के विदेश नीति विभाग के प्रमुख जोसेफ बोरेल ने इसकी कबूली दी है। इसका दाखिला देकर ईरान की माँग के अनुसार परमाणु समझौते के प्रस्ताव में बदलाव करना बर्दाश्‍त नहीं होगा। परमाणु हथियारों को लेकर अमरीका और यूरोपिय देशों ने निर्धारित की हुई मर्यादा की रेखा मंजूर किए बिना ईरान इसे मीटा रहा है। ऐसी स्थिति में ईरान के परमाणु समझौते से पश्‍चिमी देश पीछे क्यों नही हटते, ऐसा सवाल इस्रायल के प्रधानमंत्री ने किया।

इस्रायल ईरान के परमाणु समझौते के खिलाफ नहीं है, लेकिन यह परमाणु समझौता काफी खराब है, इसी वजह से इस्रायल इसका विरोध कर रहा है। इस परमाणु समझौते के अनुसार ईरान को प्रतिबंध हटाए गए तो यह देश व्यापार से प्राप्त होनेवाली निधि का गलत इस्तेमाल करेगा। खाड़ी में अस्थिरता फैलाकर विश्‍वभर में आतंकियों को प्रोत्साहित करेगा। अमरीका के न्यूयॉर्क में मौजूद विचारक, लेखकों की हत्या करनेवालों को पैसों की आपूर्ति करेगा। इसके अलवा इन्हीं पैसों का इस्तेमाल ईरान का मूंह बंद करने वाली ईरान की बसिज यंत्रणा को अधिक बल प्रदान करने के लिए किया जाएगा। हिज़बुल्लाह, हमास और इस्लामिक जिहाद जैसे आतंकी संगठनों की ताकत बढ़ाने के लिए ईरान को मिलने वाली निधि का इस्तेमाल होगा और इससे खाड़ी क्षेत्र में मौजूद अमरीका के ठिकानों के लिए खतरा निर्माण होगा, ऐसी चेतावनी इस्रायली प्रधानमंत्री ने दी।

इस पर ध्यान आकर्षित करते हुए इस्रायल के प्रधानमंत्री ने अमरीका और यूरोपिय देशों की सीधे आलोचना करना टाल दिया। अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन इस्रायल के करीबी मित्र होने की बात भी इस्रायल के प्रधानमंत्री ने स्पष्ट की। इस्रायल फिलहाल अमरीका के साथ परमाणु समझौते को लेकर बने मतभेद पर चर्चा कर रहा है, यह जानकारी भी लैपिड ने साझा की। लेकिन, अमरीका और यूरोपिय देशों की सीधी आलोचना करना टालने के साथ ही परमाणु समझौते का इस्रायल स्वीकार नहीं करेगा, यह संदेश प्रधानमंत्री लैपिड ने सौम्य शब्दों में दिया है। साथ ही इस परमाणु समझौते के संभावित परिणामों का अहसास भी उन्होंने पश्‍चिमी देशों को दिलाया है।

इसी बीच, सिर्फ इस्रायल ही नहीं बल्कि खाड़ी देश भी ईरान के परमाणु समझौते के मुद्दे पर पश्‍चिमी देशों के सामने अपनी नाराज़गी व्यक्त कर रहे हैं। इस वजह से खाड़ी क्षेत्र में ईरान विरोधी गठबंधन तैयार हो रहा है और इसके लिए अरब-खाड़ी देश इस्रायल के साथ सहयोग बढ़ा रहे हैं। कुछ खाड़ी देशों ने तो इस्रायल के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाने की ओर कदम बढ़ाएँ हैं। फिर भी ईरान का परमाणु समझौता आगे बढ़ाने की तैयारी बायडेन प्रशासन कर रहा है। इस वजह से खाड़ी देशों पर अमरीका का प्रभाव और इस क्षेत्र में अमरिकी हितों को खतरा हो सकता है। अमरिकी विश्‍लेषक इसका लगातार अहसास दिला रहे हैं।

इसी कारण ईरान के परमाणु समझौते के मुद्दे पर इस्रायल समेत ईरान के विरोध में खड़े हो रहें खाड़ी देशों ने अपनाई पुख्ता भूमिका अमरीका के लिए चुनौती की बात साबित हो सकती है।

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