यूरोपिय सहयोगियों से भी जो ईमानदार नहीं है, उस अमरीका की खाड़ी में हुई तैनाती कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे – ईरान के सर्वोच्च नेता की चेतावनी

तेहरान/अमान – ‘अमरीका किसी की भी मित्रता सुरक्षित नहीं रख सकती। बिल्कुल अपने यूरोपिय मित्र देशों के प्रति भी अमरीका ईमानदार नहीं है। इस वजह से अमरीका इराक की भी मित्र नहीं बन सकती। ऐसी अमरीका की खाड़ी में हुई तैनाती को कतई बर्दाश्न नहीं करेंगे’, ऐसी चेतावनी ईरान के सर्वोच्च नेता आयातुल्ला अली खामनी ने दी। इसके चौबीस घंटे पूरे भी नहीं हो रहे थे तभी अरब देशों ने भी ईरान की भूमिका का अप्रत्यक्ष समर्थन किया। ईरान की तरह सौदी अरब, जॉर्डन, इजिप्ट और इराक इन अरब देशों ने भी सीरिया में तैनाती अमरिकी सेना की वापसी की मांग की है। 

खाड़ी में हुई तैनातीवर्ष २००३ में आतंकवाद विरोधी कार्रवाई का ऐलान करके अमरीका और मित्र देशों ने इराक में अपनी सेना उतारी थी। वहां पर सद्दाम हुसेन की हुकूमत को हटाने के बाद पिछले २० से अधिक सालों से अमरिकी सेना इराक में ड़ेरा बनाए हैं। आयएस और अन्य आतंकी संगठनों का प्रभाव अभी भी कायम होने का दावा करके बायडेन प्रशासन इराक एवं सीरिया में सैन्य तैनाती बढ़ाने के संकेत दे रहा है। लेकिन, पिछले दो दशकों से अमरीका की सैन्य तैनाती का विरोध कर रहा ईरान अपनी भूमिका पर कायम है। 

खाड़ी में हुई तैनातीपिछले हफ्ते इराक के राष्ट्राध्यक्ष लतिफ राशिद ने ईरान का दौरा करके सर्वोच्च धार्मिक नेता आयातुल्ला खामेनी और राष्ट्राध्यक्ष इब्राहिम रईसी से मुलाकात की। इस दौरान खामेन ने इराक से अमरिकी सेना की पुरी वापसी की मांग फिर से उठायी। इराक में अमरीका का एक भी सैनिक तैनात रहना खतरा साबित होगा, यह इशारा खामेनी ने दिया है। साथ ही यूरोपिय मित्र देशों के प्रति ईमानदार ना होनेवाली अमरीका पर कभी भी भरोसा नहीं कर सकते, ऐसा बयान ईरान के सर्वोच्च नेता ने किया है।

इराक में अमरीका के २,५०० सैनिक तैनात हैं। अमरीका की इस तैनाती का विरोध ईरान ने पहले भी किया था। अब तक अरब-खाड़ी देशों ने ईरान की इस भूमिका का विरोध ही किया था। लेकिन, पहली बार अरब-खाड़ी देश अमरीका के इस क्षेत्र में हुई तैनाती के विषय में ईरान की सोच अपनाते दिख रहे हैं। जॉर्डन की राजधानी अमान में सीरिया के सहयोग की पृष्ठभूमि पर अरब देशों ने विशेष बैठक की। इसमें जॉर्डन-सीरिया समेत सौदी अरब, इजिप्ट और इराक के विदेश मंत्री भी मौजूद थे। 

खाड़ी में हुई तैनातीइस बैठक के बाद अरब देशों ने पुरी सहमति से सीरिया में विदेशी सेना की तैनाती का तीव्र विरोध किया। वर्ष २०११ में सीरिया में ड़ेरा जमाए बैठी विदेशी सेना वहां से वापस जाए और सीरिया की अस्साद हुकूमत को देश की बागड़ोर सौप दे, यह मांग इन अरब देशों ने की। साथ ही आनेवाले समय में सीरिया के साथ सैन्य और रक्षा सहयोग स्थापित किया जाएगा, यह ऐलान भी इन अरब देशों ने वर्णित बैठक के बाद किया। अब यह दावा किया जा रहा है कि, स्पष्ट ज़िक्र ना किया गया हो, फिर भी अमरीका और तुर्की ने सीरिया में की हुई सैन्य तैनाती पर अरब देश ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।

इसी बीच, पिछले कुछ महीनों से सौदी अरब और अन्य अरब देशों ने अपनाई अमरीका विरोधी भूमिका के लिए बायडेन प्रशासन ज़िम्मेदार होने का आरोप अमरीका में ही जोर पकड़ रहा हैं। राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने सौदी अरब देशों के हितसंबंधों को अनदेखा करने के कारण ही अमरीका इस क्षेत्र में भरोसा खो बैठी हैं, ऐसी आलोचना अमरिकी नेता कर रहे हैं। 

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