भारत को स्थायी सदस्यता नहीं दी गई तो संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद अपना प्रभाव और विश्वसनीयता खो देगी – भारत की राजदूत रूचिरा कंबोज

संयुक्त राष्ट्र संघ – भारत ने पहल करके अफ्रीकी महासंघ को जी २० की सदस्यता प्राप्त करने का अवसर दिया। इससे प्रेरित होकर जी २० से भी पुरानी संगठन संयुक्त राष्ट्र संघ सुरक्षा परिषद का विस्तार करने का निर्णय करें। सितंबर महीने में विश्व के ८० नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र संघ में सुधार करने की आवश्यकता बयान की थी। इसे अनदेखा नहीं कर सकते। बड़े संगठन खत्म नहीं होते, लेकिन उनकी अहमियत कम होकर वह कालबाह्य हो जाती है, ऐसा इशारा संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत की राजदूत रूचिरा कंबोज ने दिया। संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में भारत को स्थायी सदस्यता प्राप्त नहीं हुई तो यह संगठन अपना प्रभाव और विश्वसनीयता खो दैगी, यह इशारा भी कंबोज ने दिया है।

सुरक्षा परिषद के विस्तार को लेकर ‘इंटरगव्हर्मेंटल निगोसिएशन्स’ (आईजीएन) ने आयोजित की हुई चर्चा में भारत की राजदूत ने यह बयान किया। विश्व में सबसे अधिक जनसंख्या और सबसे बड़े जनतंत्र के ज़िम्मेदार देश भारत को सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता प्राप्त हो, ऐसी मांग जोर पकड़ रही हैं। सीर्फ भारत ही नहीं, बल्कि ग्लोबल साउथ के देश भी संयुक्त राष्ट्र संघ में यह मांग उठा रहे हैं। सितंबर महीने में आयोजित संयुक्त राष्ट्र संघ की आम सभा में करीबन ८० देशों के नेताओं ने इस संगठन में सुधार करने की मांग की थी। भारत को स्थायी सदस्यता नहीं दी गई तो संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद अपना प्रभाव और विश्वसनीयता खो देगी - भारत की राजदूत रूचिरा कंबोजइसे राष्ट्र संघ अनदेखा नहीं कर सकता, ऐसा राजदूत कंबोज ने कहा है। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र संघ में सुधार और सुरक्षा परिषद का विस्तार करने का अवसर हाथ से छूट रहा हैं, इसका अहसास भी रूचिरा कंबोज करने कराया।

‘जी २०’ की अध्यक्षता प्राप्त होने के बाद भारत ने पहल करके अफ्रीकन महासंघ को ‘जी २०’ की सदस्यता प्राप्त करने का अवसर दिया। इस वजह से जी २० में प्रतिनिधित्व बढ़ा है और यह संगठन अब अधिक प्रभावी होने की ओर कंबोज ने ध्यान खींचा।

‘जी २०’ से भी अधिक पुरानी संगठन संयुक्त राष्ट्र संघ इससे प्रेरित होकर सुरक्षा परिषद का विस्तार करें, ऐसा आवाहन भारत की राजदूत ने किया। नहीं तो यही सुरक्षा परिषद अपना प्रभाव और विश्वसनीयता खो देने का खतरा है, यह कहकर राजदूत रूचिरा कंबोज ने संयुक्त राष्ट्र संघ को स्पष्ट शब्दों में आगाह किया है।

वर्ष २०२४ के सितंबर महीने में संयुक्त राष्ट्र संघ में सुधार करके सुरक्षा परिषद का विस्तार करने का सुनहरा अवसर प्राप्त हो रहा है। पिढ़ी को एक ही बार प्राप्त होने वाले इस अवसर का राष्ट्र संघ लाभ उठाएं, यह आवाहन भी राजदूत कंबोज ने इस दौरान किया। ग्लोबल साउथ की आवाज बने भारत ने सुरक्षा परिषद के विस्तार करने की रखी मांग को राष्ट्र संघ गंभीरता से देखे, यह सुझाव भी कंबोज ने दिया है।

इसी बीच अमेरिका, रशिया, ब्रिटेन, फ्रान्स और चीन यह पांच देश ही अब तक संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य बने हैं। इन पांचो स्थायी सदस्य देश सुरक्षा परिषद का नकाराधिकार रखते हैं और इसके जोर पर यह देश वैश्विक कारोबार पर अपनी पकड़ बनाए हैं। लेकिन, पिछले कुछ सालों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की बढ़ती अहमियत को नकारना इन देशों के लिए कठिन हो रहा हैं। चीन के अलावा अन्य सभी स्थायी सदस्य देशों ने भारत की स्थायी सदस्यता के लिए अपना समर्थन घोषित किया है। लेकिन, इसके लिए आवश्यक सुधार राष्ट्र संघ में करने के लिए यह देश उत्सुक नहीं हैं। लेकिन, विश्व के अन्य देश खास तौर पर ग्लोबल साउथ यानी लैटिन अमेरिकी, अफ्रीकी और एशियाई महाद्विप के अधिकांश देश सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता भारत का अधिकार होने की बात स्वीकार रहे हैं। इसका दबाव संयुक्त राष्ट्र संघ पर होने के बावजूद ज़रूरी सुधार करने के लिए राष्ट्र संघ पहल नहीं कर रहा हैं, यही भारत की शिकायत है।

इससे संयुक्त राष्ट्र संघ अप्रासंगिक बनेगा और अपनी अहमियत खो देगा, ऐसे इशारे भारत समय समय पर दे रहा हैं। राजदूत रूचिरा कंबोज फिर एक बार राष्ट्र संघ को आगाह करके भारत की स्थायी सदस्यता के दावे को अनदेखा नहीं कर सकते, ऐसी चेतावनी देती दिखाई दे रही हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.